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یسعیاہ 64:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 काश तू आसमान को फाड़कर उतर आए, कि पहाड़ तेरे सामने थरथराएँ।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 اَے کاش کہ آپ آسمانوں کو پھاڑ کر اُتر آئے، کہ آپ کے سامنے پہاڑ کانپ اُٹھیں!

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کِتابِ مُقادّس

1 کاش کہ تُو آسمان کو پھاڑے اور اُتر آئے کہ تیرے حضُور میں پہاڑ لرزِش کھائیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 کاش تُو آسمان کو پھاڑ کر اُتر آئے، کہ پہاڑ تیرے سامنے تھرتھرائیں۔

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یسعیاہ 64:1
22 حوالہ جات  

पानी से निकलते ही ईसा ने देखा कि आसमान फट रहा है और रूहुल-क़ुद्स कबूतर की तरह मुझ पर उतर रहा है।


फिर मैंने एक बड़ा सफ़ेद तख़्त देखा और उसे जो उस पर बैठा है। आसमानो-ज़मीन उसके हुज़ूर से भागकर ग़ायब हो गए।


तो ज़मीन लरज़ उठी और आसमान से बारिश टपकने लगी। हाँ, अल्लाह के हुज़ूर जो कोहे-सीना और इसराईल का ख़ुदा है ऐसा ही हुआ।


रब फ़रमाता है, “ऐसे दिन आनेवाले हैं जब फ़सलें बहुत ही ज़्यादा होंगी। फ़सल की कटाई के लिए इतना वक़्त दरकार होगा कि आख़िरकार हल चलानेवाला कटाई करनेवालों के पीछे पीछे खेत को अगली फ़सल के लिए तैयार करता जाएगा। अंगूर की फ़सल भी ऐसी ही होगी। अंगूर की कसरत के बाइस उनसे रस निकालने के लिए इतना वक़्त लगेगा कि आख़िरकार बीज बोनेवाला साथ साथ बीज बोने का काम शुरू करेगा। कसरत के बाइस नई मै पहाड़ों से टपकेगी और तमाम पहाड़ियों से बहेगी।


ऐ अल्लाह, आसमान से हम पर नज़र डाल, बुलंदियों पर अपनी मुक़द्दस और शानदार सुकूनतगाह से देख! इस वक़्त तेरी ग़ैरत और क़ुदरत कहाँ है? हम तेरी नरमी और मेहरबानियों से महरूम रह गए हैं!


अब मैं उन्हें मिसरियों के क़ाबू से बचाने के लिए उतर आया हूँ। मैं उन्हें मिसर से निकालकर एक अच्छे वसी मुल्क में ले जाऊँगा, एक ऐसे मुल्क में जहाँ दूध और शहद की कसरत है, गो इस वक़्त कनानी, हित्ती, अमोरी, फ़रिज़्ज़ी, हिव्वी और यबूसी उसमें रहते हैं।


क़ौमें शोर मचाने, सलतनतें लड़खड़ाने लगीं। अल्लाह ने आवाज़ दी तो ज़मीन लरज़ उठी।


तीसरे दिन के लिए तैयार हो जाएँ, क्योंकि उस दिन रब लोगों के देखते देखते कोहे-सीना पर उतरेगा।


क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज है। जब वह ज़मीन को छू देता है तो वह लरज़ उठती और उसके तमाम बाशिंदे मातम करने लगते हैं। तब जिस तरह मिसर में दरियाए-नील बरसात के मौसम में सैलाब की सूरत इख़्तियार कर लेता है उसी तरह पूरी ज़मीन उठती, फिर दुबारा उतर जाती है।


“मेरे हाथ से तू गाहने का नया और मुतअद्दिद तेज़ नोकें रखनेवाला आला बनेगा। तब तू पहाड़ों को गाहकर रेज़ा रेज़ा कर देगा, और पहाड़ियाँ भूसे की मानिंद हो जाएँगी।


लगता है कि हम कभी तेरी हुकूमत के तहत नहीं रहे, कि हम पर कभी तेरे नाम का ठप्पा नहीं लगा था।


उस दिन उसके पाँव यरूशलम के मशरिक़ में ज़ैतून के पहाड़ पर खड़े होंगे। तब पहाड़ फट जाएगा। उसका एक हिस्सा शिमाल की तरफ़ और दूसरा जुनूब की तरफ़ खिसक जाएगा। बीच में मशरिक़ से मग़रिब की तरफ़ एक बड़ी वादी पैदा हो जाएगी।


दीगर अक़वाम क्यों कहें, “उनका ख़ुदा कहाँ है?” हमारे देखते देखते उन्हें दिखा कि तू अपने ख़ादिमों के ख़ून का बदला लेता है।


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