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یسعیاہ 58:7 - किताबे-मुक़द्दस

7 भूके को अपने खाने में शरीक करे, बेघर मुसीबतज़दा को पनाह दे, बरहना को कपड़े पहनाए और अपने रिश्तेदार की मदद करने से गुरेज़ न करे!

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

7 کیا وہ یہ نہیں کہ اَپنی روٹی میں بھُوکوں کو شریک کرے اَور مارے مارے پھرتے ہُوئے مسکینوں کو آسرا دے جَب کسی کو ننگا دیکھے تو اُسے کپڑے پہنائے، اَور اَپنے ہم جنس سے روپوشی نہ کرے۔

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کِتابِ مُقادّس

7 کیا یہ نہیں کہ تُو اپنی روٹی بُھوکوں کو کِھلائے اور مِسکِینوں کو جو آوارہ ہیں اپنے گھر میں لائے اور جب کِسی کو ننگا دیکھے تو اُسے پہنائے اور تُو اپنے ہم جِنس سے رُوپوشی نہ کرے؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

7 بھوکے کو اپنے کھانے میں شریک کرے، بےگھر مصیبت زدہ کو پناہ دے، برہنہ کو کپڑے پہنائے اور اپنے رشتے دار کی مدد کرنے سے گریز نہ کرے!

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یسعیاہ 58:7
38 حوالہ جات  

उसने जवाब दिया, “जिसके पास दो कुरते हैं वह एक उसको दे दे जिसके पास कुछ न हो। और जिसके पास खाना है वह उसे खिला दे जिसके पास कुछ न हो।”


वह किसी पर ज़ुल्म नहीं करता। अगर कोई ज़मानत देकर उससे क़र्ज़ा ले तो पैसे वापस मिलने पर वह ज़मानत वापस कर देता है। वह चोरी नहीं करता बल्कि भूकों को खाना खिलाता और नंगों को कपड़े पहनाता है।


ग़रीबों को देनेवाला ज़रूरतमंद नहीं होगा, लेकिन जो अपनी आँखें बंद करके उन्हें नज़रंदाज़ करे उस पर बहुत लानतें आएँगी।


अगर तेरा दुश्मन भूका हो तो उसे खाना खिला, अगर प्यासा हो तो पानी पिला।


और किसी पर भी ज़ुल्म नहीं करता। अगर कोई ज़मानत देकर उससे क़र्ज़ा ले तो पैसे वापस मिलने पर वह ज़मानत लौटा देता है। वह चोरी नहीं करता बल्कि भूकों को खाना खिलाता और नंगों को कपड़े पहनाता है।


भूके को अपनी रोटी दे और मज़लूमों की ज़रूरियात पूरी कर! फिर तेरी रौशनी अंधेरे में चमक उठेगी और तेरी रात दोपहर की तरह रौशन होगी।


फ़ैयाज़दिल को बरकत मिलेगी, क्योंकि वह पस्तहाल को अपने खाने में शरीक करता है।


चुनाँचे जो कुछ बरतन के अंदर है उसे ग़रीबों को दे दो। फिर तुम्हारे लिए सब कुछ पाक-साफ़ होगा।


और कि लोग उसके नेक कामों की अच्छी गवाही दे सकें, मसलन क्या उसने अपने बच्चों को अच्छी तरह पाला है? क्या उसने मेहमान-नवाज़ी की और मुक़द्दसीन के पाँव धोकर उनकी ख़िदमत की है? क्या वह मुसीबत में फँसे हुओं की मदद करती रही है? क्या वह हर नेक काम के लिए कोशाँ रही है?


ऐ बादशाह, अब मेहरबानी से मेरा मशवरा क़बूल फ़रमाएँ। इनसाफ़ करके और मज़लूमों पर करम फ़रमाकर अपने गुनाहों को दूर करें। शायद ऐसा करने से आपकी ख़ुशहाली क़ायम रहे।”


भाई, आपकी मुहब्बत देखकर मुझे बड़ी ख़ुशी और तसल्ली हुई है, क्योंकि आपने मुक़द्दसीन के दिलों को तरो-ताज़ा कर दिया है।


जब मुक़द्दसीन ज़रूरतमंद हैं तो उनकी मदद करने में शरीक हों। मेहमान-नवाज़ी में लगे रहें।


फिर उसने उन्हें अपने घर में लाकर खाना खिलाया। अल्लाह पर ईमान लाने के बाइस उसने और उसके तमाम घरवालों ने बड़ी ख़ुशी मनाई।


वह फ़ैयाज़ी से ज़रूरतमंदों में ख़ैरात बिखेर देता है। उस की रास्तबाज़ी हमेशा क़ायम रहेगी, और उसे इज़्ज़त के साथ सरफ़राज़ किया जाएगा।


तूने थकेमाँदों को पानी पिलाने से और भूके मरनेवालों को खाना खिलाने से इनकार किया होगा।


लेकिन ज़क्काई ने ख़ुदावंद के सामने खड़े होकर कहा, “ख़ुदावंद, मैं अपने माल का आधा हिस्सा ग़रीबों को दे देता हूँ। और जिससे मैंने नाजायज़ तौर से कुछ लिया है उसे चार गुना वापस करता हूँ।”


हम भी दूसरों की तरह यहूदी क़ौम के हैं, और हमारे बच्चे उनसे कम हैसियत नहीं रखते। तो भी हमें अपने बच्चों को ग़ुलामी में बेचना पड़ता है ताकि गुज़ारा हो सके। हमारी कुछ बेटियाँ लौंडियाँ बन चुकी हैं। लेकिन हम ख़ुद बेबस हैं, क्योंकि हमारे खेत और अंगूर के बाग़ दूसरों के क़ब्ज़े में हैं।”


मज़कूरा चार आदमियों ने सामने आकर क़ैदियों को अपने पास महफ़ूज़ रखा। लूटे हुए माल में से कपड़े निकालकर उन्होंने उन्हें उनमें तक़सीम किया जो बरहना थे। इसके बाद उन्होंने तमाम क़ैदियों को कपड़े और जूते दे दिए, उन्हें खाना खिलाया, पानी पिलाया और उनके ज़ख़मों की मरहम-पट्टी की। जितने थकावट की वजह से चल न सकते थे उन्हें उन्होंने गधों पर बिठाया, फिर चलते चलते सबको खजूर के शहर यरीहू तक पहुँचाया जहाँ उनके अपने लोग थे। फिर वह सामरिया लौट आए।


उसने कहा, “साहबो, अपने बंदे के घर तशरीफ़ लाएँ ताकि अपने पाँव धोकर रात को ठहरें और फिर कल सुबह-सवेरे उठकर अपना सफ़र जारी रखें।” उन्होंने कहा, “कोई बात नहीं, हम चौक में रात गुज़ारेंगे।”


उसके और उसके घरवालों के बपतिस्मा लेने के बाद उसने हमें अपने घर में ठहरने की दावत दी। उसने कहा, “अगर आप समझते हैं कि मैं वाक़ई ख़ुदावंद पर ईमान लाई हूँ तो मेरे घर आकर ठहरें।” यों उसने हमें मजबूर किया।


लूत घर से निकला और अपने दामादों से बात की जिनका उस की बेटियों के साथ रिश्ता हो चुका था। उसने कहा, “जल्दी करो, इस जगह से निकलो, क्योंकि रब इस शहर को तबाह करने को है।” लेकिन उसके दामादों ने इसे मज़ाक़ ही समझा।


“सिकम शहर के तमाम बाशिंदों से पूछें, क्या आप अपने आप पर जिदौन के 70 बेटों की हुकूमत ज़्यादा पसंद करेंगे या एक ही शख़्स की? याद रहे कि मैं आपका ख़ूनी रिश्तेदार हूँ!”


अगर तुझे किसी हमवतन भाई का बैल या भेड़-बकरी भटकी हुई नज़र आए तो उसे नज़रंदाज़ न करना बल्कि मालिक के पास वापस ले जाना।


जिन्हें मौत के हवाले किया जा रहा है उन्हें छुड़ा, जो क़साई की तरफ़ डगमगाते हुए जा रहे हैं उन्हें रोक दे।


रब फ़रमाता है कि इनसाफ़ और रास्ती क़ायम रखो। जिसे लूट लिया गया है उसे ज़ालिम के हाथ से छुड़ाओ। परदेसी, यतीम और बेवा को मत दबाना, न उनसे ज़्यादती करना, और इस जगह बेक़ुसूर लोगों की ख़ूनरेज़ी मत करना।


शफ़ीक़ का अच्छा सुलूक उसी के लिए फ़ायदामंद है जबकि ज़ालिम का बुरा सुलूक उसी के लिए नुक़सानदेह है।


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