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یسعیاہ 56:5 - किताबे-मुक़द्दस

5 क्योंकि मैं उन्हें अपने घर और उस की चारदीवारी में ऐसी यादगार और ऐसा नाम अता करूँगा जो बेटे-बेटियाँ मिलने से कहीं बेहतर होगा। और जो नाम मैं उन्हें दूँगा वह अबदी होगा, वह कभी नहीं मिटने का।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

5 میں اُنہیں اَپنی ہیکل اَور اُس کی چار دیواری میں اَیسا نام اَور نِشان دُوں گا جو بیٹوں اَور بیٹیوں سے بھی بڑھ کر ہوگا؛ میں اُن کو ایک اَبدی نام دُوں گا جو کبھی مٹایا نہ جائے گا۔

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کِتابِ مُقادّس

5 مَیں اُن کو اپنے گھر میں اور اپنی چار دِیواری کے اندر اَیسا نام و نِشان بخشُوں گا جو بیٹوں اور بیٹِیوں سے بھی بڑھ کر ہو گا۔ مَیں ہر ایک کو ایک ابدی نام دُوں گا جو مِٹایا نہ جائے گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

5 کیونکہ مَیں اُنہیں اپنے گھر اور اُس کی چاردیواری میں ایسی یادگار اور ایسا نام عطا کروں گا جو بیٹے بیٹیاں ملنے سے کہیں بہتر ہو گا۔ اور جو نام مَیں اُنہیں دوں گا وہ ابدی ہو گا، وہ کبھی نہیں مٹنے کا۔

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یسعیاہ 56:5
23 حوالہ جات  

जो ग़ालिब आएगा उसे मैं अपने ख़ुदा के घर में सतून बनाऊँगा, ऐसा सतून जो उसे कभी नहीं छोड़ेगा। मैं उस पर अपने ख़ुदा का नाम और अपने ख़ुदा के शहर का नाम लिख दूँगा, उस नए यरूशलम का नाम जो मेरे ख़ुदा के हाँ से उतरनेवाला है। हाँ, मैं उस पर अपना नया नाम भी लिख दूँगा।


जो ग़ालिब आएगा वह भी उनकी तरह सफ़ेद कपड़े पहने हुए फिरेगा। मैं उसका नाम किताबे-हयात से नहीं मिटाऊँगा बल्कि अपने बाप और उसके फ़रिश्तों के सामने इक़रार करूँगा कि यह मेरा है।


ध्यान दें कि बाप ने हमसे कितनी मुहब्बत की है, यहाँ तक कि हम अल्लाह के फ़रज़ंद कहलाते हैं। और हम वाक़ई हैं भी। इसलिए दुनिया हमें नहीं जानती। वह तो उसे भी नहीं जानती।


लेकिन अगर देर भी लगे तो यह पढ़कर आपको मालूम होगा कि अल्लाह के घराने में हमारा बरताव कैसा होना चाहिए। अल्लाह का घराना क्या है? ज़िंदा ख़ुदा की जमात, जो सच्चाई का सतून और बुनियाद है।


तो भी कुछ उसे क़बूल करके उसके नाम पर ईमान लाए। उन्हें उसने अल्लाह के फ़रज़ंद बनने का हक़ बख़्श दिया,


काँटेदार झाड़ी की बजाए जूनीपर का दरख़्त उगेगा, और बिच्छूबूटी की बजाए मेहँदी फले-फूलेगी। यों रब के नाम को जलाल मिलेगा, और उस की क़ुदरत का अबदी और अनमिट निशान क़ायम होगा।”


मैं तुझे यह भी बताता हूँ कि तू पतरस यानी पत्थर है, और इसी पत्थर पर मैं अपनी जमात को तामीर करूँगा, ऐसी जमात जिस पर पाताल के दरवाज़े भी ग़ालिब नहीं आएँगे।


तब वह ‘मुक़द्दस क़ौम’ और ‘वह क़ौम जिसे रब ने एवज़ाना देकर छुड़ाया है’ कहलाएँगे। ऐ यरूशलम बेटी, तू ‘मरग़ूब’ और ‘ग़ैरमतरूका शहर’ कहलाएगी।


अब से तेरे मुल्क में न तशद्दुद का ज़िक्र होगा, न बरबादीओ-तबाही का। अब से तेरी चारदीवारी ‘नजात’ और तेरे दरवाज़े ‘हम्दो-सना’ कहलाएँगे।


तेरी औलाद रेत की मानिंद होती, तेरे पेट का फल रेत के ज़र्रों जैसा अनगिनत होता। इसका इमकान ही न होता कि तेरा नामो-निशान मेरे सामने से मिट जाए।”


उस दिन मुल्के-यहूदाह में गीत गाया जाएगा, “हमारा शहर मज़बूत है, क्योंकि हम अल्लाह की नजात देनेवाली चारदीवारी और पुश्तों से घिरे हुए हैं।


मसीह फ़रक़ है। उसे फ़रज़ंद की हैसियत से अल्लाह के घर पर इख़्तियार है और इसी में वह वफ़ादार है। हम उसका घर हैं बशर्तेकि हम अपनी दिलेरी और वह उम्मीद क़ायम रखें जिस पर हम फ़ख़र करते हैं।


दूसरों के साथ साथ उसमें आपकी भी तामीर हो रही है ताकि आप रूह में अल्लाह की सुकूनतगाह बन जाएँ।


फिर इलक़ाना पूछता, “हन्ना, तू क्यों रो रही है? तू खाना क्यों नहीं खा रही? उदास होने की क्या ज़रूरत? मैं तो हूँ। क्या यह दस बेटों से कहीं बेहतर नहीं?”


जो सुन सकता है वह सुन ले कि रूहुल-क़ुद्स जमातों को क्या कुछ बता रहा है। जो ग़ालिब आएगा उसे मैं पोशीदा मन में से दूँगा। मैं उसे एक सफ़ेद पत्थर भी दूँगा जिस पर एक नया नाम लिखा होगा, ऐसा नाम जो सिर्फ़ मिलनेवाले को मालूम होगा।


आख़िरी ऐयाम में रब के घर का पहाड़ मज़बूती से क़ायम होगा। सबसे बड़ा यह पहाड़ दीगर तमाम बुलंदियों से कहीं ज़्यादा सरफ़राज़ होगा। तब तमाम क़ौमें जौक़-दर-जौक़ उसके पास पहुँचेंगी,


और बेशुमार उम्मतें आकर कहेंगी, “आओ, हम रब के पहाड़ पर चढ़कर याक़ूब के ख़ुदा के घर के पास जाएँ ताकि वह हमें अपनी मरज़ी की तालीम दे और हम उस की राहों पर चलें।” क्योंकि सिय्यून पहाड़ से रब की हिदायत निकलेगी, और यरूशलम से उसका कलाम सादिर होगा।


उन सबको जो मेरा नाम रखते हैं और जिन्हें मैंने अपने जलाल की ख़ातिर ख़लक़ किया, जिन्हें मैंने तश्कील देकर बनाया है।”


क्योंकि मैं उन्हें अपने मुक़द्दस पहाड़ के पास लाकर अपने दुआ के घर में ख़ुशी दिलाऊँगा। जब वह मेरी क़ुरबानगाह पर अपनी भस्म होनेवाली और ज़बह की क़ुरबानियाँ चढ़ाएँगे तो वह मुझे पसंद आएँगी। क्योंकि मेरा घर तमाम क़ौमों के लिए दुआ का घर कहलाएगा।”


अक़वाम तेरी रास्ती देखेंगी, तमाम बादशाह तेरी शानो-शौकत का मुशाहदा करेंगे। उस वक़्त तुझे नया नाम मिलेगा, ऐसा नाम जो रब का अपना मुँह मुतैयिन करेगा।


फिर वह तमाम अक़वाम में रहनेवाले तुम्हारे भाइयों को घोड़ों, रथों, गाड़ियों, ख़च्चरों और ऊँटों पर सवार करके यरूशलम ले आएँगे। यहाँ मेरे मुक़द्दस पहाड़ पर वह उन्हें ग़ल्ला की नज़र के तौर पर पेश करेंगे। क्योंकि रब फ़रमाता है कि जिस तरह इसराईली अपनी ग़ल्ला की नज़रें पाक बरतनों में रखकर रब के घर में ले आते हैं उसी तरह वह तुम्हारे इसराईली भाइयों को यहाँ पेश करेंगे।


रब फ़रमाता है, “जितने यक़ीन के साथ मेरा बनाया हुआ नया आसमान और नई ज़मीन मेरे सामने क़ायम रहेगा उतने यक़ीन के साथ तुम्हारी नसल और तुम्हारा नाम अबद तक क़ायम रहेगा।


उस वक़्त मैं तुम्हें जमा करके वतन में वापस लाऊँगा। मैं तुम्हारे देखते देखते तुम्हें बहाल करूँगा और दुनिया की तमाम अक़वाम में तुम्हारी तारीफ़ और एहतराम कराऊँगा।” यह रब का फ़रमान है।


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