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یسعیاہ 54:10 - किताबे-मुक़द्दस

10 गो पहाड़ हट जाएँ और पहाड़ियाँ जुंबिश खाएँ, लेकिन मेरी शफ़क़त तुझ पर से कभी नहीं हटेगी, मेरा सलामती का अहद कभी नहीं हिलेगा।” यह रब का फ़रमान है जो तुझ पर तरस खाता है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

10 یَاہوِہ جو تُجھ پر مہربان ہے، یُوں کہتاہے: خواہ پہاڑ ہلا دئیے جایٔیں اَور ٹیلے سَرکا دئیے جایٔیں، مگر میری لافانی مَحَبّت تُجھ پر سے کبھی نہ ہٹے گی اَور نہ ہی میرا عہدِ اَمن کبھی ٹلےگا۔

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کِتابِ مُقادّس

10 خُداوند تُجھ پر رحم کرنے والا یُوں فرماتا ہے کہ پہاڑ تو جاتے رہیں اور ٹِیلے ٹل جائیں لیکن میری شفقت کبھی تُجھ پر سے جاتی نہ رہے گی اور میرا صُلح کا عہد نہ ٹلے گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

10 گو پہاڑ ہٹ جائیں اور پہاڑیاں جنبش کھائیں، لیکن میری شفقت تجھ پر سے کبھی نہیں ہٹے گی، میرا سلامتی کا عہد کبھی نہیں ہلے گا۔“ یہ رب کا فرمان ہے جو تجھ پر ترس کھاتا ہے۔

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یسعیاہ 54:10
33 حوالہ جات  

इसलिए हम ख़ौफ़ नहीं खाएँगे, गो ज़मीन लरज़ उठे और पहाड़ झूमकर समुंदर की गहराइयों में गिर जाएँ,


आसमानो-ज़मीन तो जाते रहेंगे, लेकिन मेरी बातें हमेशा तक क़ायम रहेंगी।


क्योंकि जब भी अल्लाह किसी को अपनी नेमतों से नवाज़कर बुलाता है तो उस की यह नेमतें और बुलावे कभी नहीं मिटने की।


कान लगाकर मेरे पास आओ! सुनो तो जीते रहोगे। मैं तुम्हारे साथ अबदी अहद बाँधूँगा, तुम्हें उन अनमिट मेहरबानियों से नवाज़ूँगा जिनका वादा दाऊद से किया था।


क्योंकि मैंने अहद बाँधकर लावियों से ज़िंदगी और सलामती का वादा किया था, और मैंने वादे को पूरा भी किया। उस वक़्त लावी मेरा ख़ौफ़ मानते बल्कि मेरे नाम से दहशत खाते थे।


मैंने अपने ग़ज़ब का पूरा ज़ोर तुझ पर नाज़िल करके पल-भर के लिए अपना चेहरा तुझसे छुपा लिया, लेकिन अब अबदी शफ़क़त से तुझ पर रहम करूँगा।” रब तेरा छुड़ानेवाला यह फ़रमाता है।


न उन्हें भूक सताएगी न प्यास। न तपती गरमी, न धूप उन्हें झुलसाएगी। क्योंकि जो उन पर तरस खाता है वह उनकी क़ियादत करके उन्हें चश्मों के पास ले जाएगा।


यक़ीनन मेरा घराना मज़बूती से अल्लाह के साथ है, क्योंकि उसने मेरे साथ अबदी अहद बाँधा है, ऐसा अहद जिसका हर पहलू मुनज़्ज़म और महफ़ूज़ है। वह मेरी नजात तकमील तक पहुँचाएगा और मेरी हर आरज़ू पूरी करेगा।


तो उसने हमें बचाया। यह नहीं कि हमने रास्त काम करने के बाइस नजात हासिल की बल्कि उसके रहम ही ने हमें रूहुल-क़ुद्स के वसीले से बचाया जिसने हमें धोकर नए सिरे से जन्म दिया और नई ज़िंदगी अता की।


मैं तुझे यह भी बताता हूँ कि तू पतरस यानी पत्थर है, और इसी पत्थर पर मैं अपनी जमात को तामीर करूँगा, ऐसी जमात जिस पर पाताल के दरवाज़े भी ग़ालिब नहीं आएँगे।


मैं तुमको सच बताता हूँ, जब तक आसमानो-ज़मीन क़ायम रहेंगे तब तक शरीअत भी क़ायम रहेगी—न उसका कोई हरफ़, न उसका कोई ज़ेर या ज़बर मनसूख़ होगा जब तक सब कुछ पूरा न हो जाए।


“एक बार फिर” के अलफ़ाज़ इस तरफ़ इशारा करते हैं कि ख़लक़ की गई चीज़ों को हिलाकर दूर किया जाएगा और नतीजे में सिर्फ़ वह चीज़ें क़ायम रहेंगी जिन्हें हिलाया नहीं जा सकता।


आसमान तूमार की तरह जब उसे लपेटकर बंद किया जाता है पीछे हट गया। और हर पहाड़ और जज़ीरा अपनी अपनी जगह से खिसक गया।


लिहाज़ा उसे बता देना कि मैं उसके साथ सलामती का अहद क़ायम करता हूँ।


यह तो तबाह हो जाएंगे, लेकिन तू क़ायम रहेगा। यह सब कपड़े की तरह घिस फट जाएंगे। तू उन्हें पुराने लिबास की तरह बदल देगा, और वह जाते रहेंगे।


क्योंकि हमारे हाँ बच्चा पैदा हुआ, हमें बेटा बख़्शा गया है। उसके कंधों पर हुकूमत का इख़्तियार ठहरा रहेगा। वह अनोखा मुशीर, क़वी ख़ुदा, अबदी बाप और सुलह-सलामती का शहज़ादा कहलाएगा।


बेदीन अपनी बुरी राह और शरीर अपने बुरे ख़यालात छोड़े। वह रब के पास वापस आए तो वह उस पर रहम करेगा। वह हमारे ख़ुदा के पास वापस आए, क्योंकि वह फ़राख़दिली से मुआफ़ कर देता है।


क्योंकि तुम ख़ुशी से निकलोगे, तुम्हें सलामती से लाया जाएगा। पहाड़ और पहाड़ियाँ तुम्हारे आने पर बाग़ बाग़ होकर शादियाना बजाएँगी, और मैदान के तमाम दरख़्त तालियाँ बजाएंगे।


रब फ़रमाता है, “जहाँ तक मेरा ताल्लुक़ है, उनके साथ मेरा यह अहद है : मेरा रूह जो तुझ पर ठहरा हुआ है और मेरे अलफ़ाज़ जो मैंने तेरे मुँह में डाले हैं वह अब से अबद तक न तेरे मुँह से, न तेरी औलाद के मुँह से और न तेरी औलाद की औलाद से हटेंगे।” यह रब का फ़रमान है।


क्योंकि रब फ़रमाता है, “मुझे इनसाफ़ पसंद है। मैं ग़ारतगरी और कजरवी से नफ़रत रखता हूँ। मैं अपने लोगों को वफ़ादारी से उनका अज्र दूँगा, मैं उनके साथ अबदी अहद बाँधूँगा।


मैं रब की मेहरबानियाँ सुनाऊँगा, उसके क़ाबिले-तारीफ़ कामों की तमजीद करूँगा। जो कुछ रब ने हमारे लिए किया, जो मुतअद्दिद भलाइयाँ उसने अपने रहम और बड़े फ़ज़ल से इसराईल को दिखाई हैं उनकी सताइश करूँगा।


रब फ़रमाता है, “जब तक यह क़ुदरती उसूल मेरे सामने क़ायम रहेंगे उस वक़्त तक इसराईल क़ौम मेरे सामने क़ायम रहेगी।


“रब फ़रमाता है कि मैंने दिन और रात से अहद बाँधा है कि वह मुक़र्ररा वक़्त पर और तरतीबवार गुज़रें। कोई इस अहद को तोड़ नहीं सकता।


तब मेरा ग़ुस्सा ठंडा हो जाएगा, और तू मेरी ग़ैरत का निशाना नहीं रहेगी। मेरी नाराज़ी ख़त्म हो जाएगी, और मुझे दुबारा तसकीन मिलेगी।’


गो समुंदर शोर मचाकर ठाठें मारे और पहाड़ उस की दहाड़ों से काँप उठें। (सिलाह)


“यह कैसे हो सकता है? क्या माँ अपने शीरख़ार को भूल सकती है? जिस बच्चे को उसने जन्म दिया, क्या वह उस पर तरस नहीं खाएगी? शायद वह भूल जाए, लेकिन मैं तुझे कभी नहीं भूलूँगा!


मैं इसराईलियों के साथ सलामती का अहद बाँधकर दरिंदों को मुल्क से निकाल दूँगा। फिर वह हिफ़ाज़त से सो सकेंगे, ख़ाह रेगिस्तान में हों या जंगल में।


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