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یسعیاہ 5:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 आओ, मैं अपने महबूब के लिए गीत गाऊँ, एक गीत जो उसके अंगूर के बाग़ के बारे में है। मेरे प्यारे का बाग़ था। अंगूर का यह बाग़ ज़रख़ेज़ पहाड़ी पर था।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 میں اَپنے محبُوب کے لیٔے اُس کے تاکستان کا نغمہ گاؤں گی: میرے محبُوب کا تاکستان کا باغ تھا ایک زرخیز پہاڑی پر۔

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کِتابِ مُقادّس

1 اب مَیں اپنے محبُوب کے لِئے اپنے محبُوب کا ایک گِیت اُس کے تاکِستان کی بابت گاؤُں گا۔ میرے محبُوب کا تاکِستان ایک زرخیز پہاڑ پر تھا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 آؤ، مَیں اپنے محبوب کے لئے گیت گاؤں، ایک گیت جو اُس کے انگور کے باغ کے بارے میں ہے۔ میرے پیارے کا باغ تھا۔ انگور کا یہ باغ زرخیز پہاڑی پر تھا۔

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یسعیاہ 5:1
23 حوالہ جات  

फिर वह तमसीलों में उनसे बात करने लगा। “किसी आदमी ने अंगूर का एक बाग़ लगाया। उसने उस की चारदीवारी बनाई, अंगूरों का रस निकालने के लिए एक गढ़े की खुदाई की और पहरेदारों के लिए बुर्ज तामीर किया। फिर वह उसे मुज़ारेओं के सुपुर्द करके बैरूने-मुल्क चला गया।


फिर ईसा लोगों को यह तमसील सुनाने लगा, “किसी आदमी ने अंगूर का एक बाग़ लगाया। फिर वह उसे मुज़ारेओं के सुपुर्द करके बहुत देर के लिए बैरूने-मुल्क चला गया।


मैं अंगूर की हक़ीक़ी बेल हूँ और मेरा बाप माली है।


एक और तमसील सुनो। एक ज़मीनदार था जिसने अंगूर का बाग़ लगाया। उसने उस की चारदीवारी बनाई, अंगूरों का रस निकालने के लिए एक गढ़े की खुदाई की और पहरेदारों के लिए बुर्ज तामीर किया। फिर वह उसे मुज़ारेओं के सुपुर्द करके बैरूने-मुल्क चला गया।


पहले तू अंगूर की मख़सूस और क़ाबिले-एतमाद नसल की पनीरी थी जिसे मैंने ख़ुद ज़मीन में लगाया। तो यह क्या हुआ कि तू बिगड़कर जंगली बेल बन गई?


अंगूर की जो बेल मिसर में उग रही थी उसे तू उखाड़कर मुल्के-कनान लाया। तूने वहाँ की अक़वाम को भगाकर यह बेल उनकी जगह लगाई।


मेरा महबूब मेरा ही है, और मैं उसी की हूँ, उसी की जो सोसनों में चरता है।


मैं अपने महबूब की ही हूँ, और वह मेरा ही है, वह जो सोसनों में चरता है।


उसका मुँह मिठास ही है, ग़रज़ वह हर लिहाज़ से पसंदीदा है। ऐ यरूशलम की बेटियो, यह है मेरा महबूब, मेरा दोस्त।


मैं सो रही थी, लेकिन मेरा दिल बेदार रहा। सुन! मेरा महबूब दस्तक दे रहा है, “ऐ मेरी बहन, मेरी साथी, मेरे लिए दरवाज़ा खोल दे! ऐ मेरी कबूतरी, मेरी कामिल साथी, मेरा सर ओस से तर हो गया है, मेरी ज़ुल्फ़ें रात की शबनम से भीग गई हैं।”


क़ोरह की औलाद का ज़बूर। हिकमत और मुहब्बत का गीत। तर्ज़ : सोसन के फूल। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। मेरे दिल से ख़ूबसूरत गीत छलक रहा है, मैं उसे बादशाह को पेश करूँगा। मेरी ज़बान माहिर कातिब के क़लम की मानिंद हो!


दाऊद का ज़बूर। मैं शफ़क़त और इनसाफ़ का गीत गाऊँगा। ऐ रब, मैं तेरी मद्हसराई करूँगा।


अपने दहने हाथ से मदद करके मेरी सुन ताकि जो तुझे प्यारे हैं वह नजात पाएँ।


मुतअद्दिद गल्लाबानों ने मेरे अंगूर के बाग़ को ख़राब कर दिया है। मेरे प्यारे खेत को उन्होंने पाँवों तले रौंदकर रेगिस्तान में बदल दिया है।


“ऐ आदमज़ाद, अंगूर की बेल की लकड़ी किस लिहाज़ से जंगल की दीगर लकड़ियों से बेहतर है?


इसराईल अंगूर की फलती-फूलती बेल था जो काफ़ी फल लाती रही। लेकिन जितना उसका फल बढ़ता गया उतना ही वह बुतों के लिए क़ुरबानगाहें बनाता गया। जितना उसका मुल्क तरक़्क़ी करता गया उतना ही वह देवताओं के मख़सूस सतूनों को सजाता गया।


क्योंकि वह तुझे एक बेहतरीन मुल्क में ले जा रहा है जिसमें नहरें और ऐसे चश्मे हैं जो पहाड़ियों और वादियों की ज़मीन से फूट निकलते हैं।


जब तू कसरत का खाना खाकर सेर हो जाएगा तो फिर रब अपने ख़ुदा की तमजीद करना जिसने तुझे यह शानदार मुल्क दिया है।


तेरी माँ पानी के किनारे लगाई गई अंगूर की-सी बेल थी। बेल कसरत के पानी के बाइस फलदार और शाख़दार थी।


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