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یسعیاہ 49:24 - किताबे-मुक़द्दस

24 क्या सूरमे का लूटा हुआ माल उसके हाथ से छीना जा सकता है? या क्या ज़ालिम के क़ैदी उसके क़ब्ज़े से छूट सकते हैं? मुश्किल ही से।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

24 کیا جنگجو کے ہاتھ سے مالِ غنیمت چھینا جا سَکتا ہے، یا ظالِم کے ہاتھ سے اسیروں کو چھُڑایا جا سَکتا ہے؟

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کِتابِ مُقادّس

24 کیا زبردست سے شِکار چِھین لِیا جائے گا؟ اور کیا راست باز کے قَیدی چُھڑا لِئے جائیں گے؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

24 کیا سورمے کا لُوٹا ہوا مال اُس کے ہاتھ سے چھینا جا سکتا ہے؟ یا کیا ظالم کے قیدی اُس کے قبضے سے چھوٹ سکتے ہیں؟ مشکل ہی سے۔

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یسعیاہ 49:24
17 حوالہ جات  

किसी ज़ोरावर आदमी के घर में घुसकर उसका मालो-असबाब लूटना किस तरह मुमकिन है जब तक कि उसे बाँधा न जाए? फिर ही उसे लूटा जा सकता है।


रब ने मुझसे पूछा, “ऐ आदमज़ाद, क्या यह हड्डियाँ दुबारा ज़िंदा हो सकती हैं?” मैंने जवाब दिया, “ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़, तू ही जानता है।”


लेकिन अब उस की क़ौम को ग़ारत किया गया, सब कुछ लूट लिया गया है। सबके सब गढ़ों में जकड़े या जेलों में छुपाए हुए हैं। वह लूट का माल बन गए हैं, और कोई नहीं है जो उन्हें बचाए। उन्हें छीन लिया गया है, और कोई नहीं है जो कहे, “उन्हें वापस करो!”


अब हम अपनी शरीर हरकतों और बड़े क़ुसूर की सज़ा भुगत रहे हैं, गो ऐ अल्लाह, तूने हमें इतनी सख़्त सज़ा नहीं दी जितनी हमें मिलनी चाहिए थी। तूने हमारा यह बचा-खुचा हिस्सा ज़िंदा छोड़ा है।


बेशक हम ग़ुलाम हैं, तो भी अल्लाह ने हमें तर्क नहीं किया बल्कि फ़ारस के बादशाह को हम पर मेहरबानी करने की तहरीक दी है। उसने हमें अज़ सरे-नौ ज़िंदगी अता की है ताकि हम अपने ख़ुदा का घर दुबारा तामीर और उसके खंडरात बहाल कर सकें। अल्लाह ने हमें यहूदाह और यरूशलम में एक महफ़ूज़ चारदीवारी से घेर रखा है।


तब रब ने फ़रमाया, “ऐ आदमज़ाद, यह हड्डियाँ इसराईली क़ौम के तमाम अफ़राद हैं। वह कहते हैं, ‘हमारी हड्डियाँ सूख गई हैं, हमारी उम्मीद जाती रही है। हम ख़त्म ही हो गए हैं!’


इसलिए मैं उसे बड़ों में हिस्सा दूँगा, और वह ज़ोरावरों के साथ लूट का माल तक़सीम करेगा। क्योंकि उसने अपनी जान को मौत के हवाले कर दिया, और उसे मुजरिमों में शुमार किया गया। हाँ, उसने बहुतों का गुनाह उठाकर दूर कर दिया और मुजरिमों की शफ़ाअत की।


मुल्क की वाफ़िर पैदावार उन बादशाहों तक पहुँचती है जिन्हें तूने हमारे गुनाहों की वजह से हम पर मुक़र्रर किया है। अब वही हम पर और हमारे मवेशियों पर हुकूमत करते हैं। उन्हीं की मरज़ी चलती है। चुनाँचे हम बड़ी मुसीबत में फँसे हैं।


हक़ीक़त तो यह है कि जो भी मुसीबत हम पर आई है उसमें तू रास्त साबित हुआ है। तू वफ़ादार रहा है, गो हम क़ुसूरवार ठहरे हैं।


किसी ज़ोरावर आदमी के घर में घुसकर उसका मालो-असबाब लूटना उस वक़्त तक मुमकिन नहीं है जब तक उस आदमी को बाँधा न जाए। फिर ही उसे लूटा जा सकता है।


वह शेरनी की तरह गरजते हैं बल्कि जवान शेरबबर की तरह दहाड़ते और ग़ुर्राते हुए अपना शिकार छीनकर वहाँ ले जाते हैं जहाँ उसे कोई नहीं बचा सकता।


रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “ऐ नीनवा, अब मैं तुझसे निपट लेता हूँ। मैं तेरे रथों को नज़रे-आतिश कर दूँगा, और तेरे जवान शेर तलवार की ज़द में आकर मर जाएंगे। मैं होने दूँगा कि आइंदा तुझे ज़मीन पर कुछ न मिले जिसे फाड़कर खा सके। आइंदा तेरे क़ासिदों की आवाज़ कभी सुनाई नहीं देगी।”


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