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یسعیاہ 47:5 - किताबे-मुक़द्दस

5 “ऐ बाबलियों की बेटी, चुपके से बैठ जा! तारीकी में छुप जा! आइंदा तू ‘ममालिक की मलिका’ नहीं कहलाएगी।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

5 ”اَے کَسدیوں کی ملِکہ شہر، چُپ چاپ بیٹھی رہ اَور تاریکی میں چلی جا؛ کیونکہ اَب تُم مملکتوں کی ملِکہ نہ کہلائے گی۔

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کِتابِ مُقادّس

5 اَے کسدِیوں کی بیٹی چُپ ہو کر بَیٹھ اور اندھیرے میں داخِل ہو کیونکہ اب تُو مُملکتوں کی خاتُون نہ کہلائے گی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

5 ”اے بابلیوں کی بیٹی، چپکے سے بیٹھ جا! تاریکی میں چھپ جا! آئندہ تُو ’ممالک کی ملکہ‘ نہیں کہلائے گی۔

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یسعیاہ 47:5
25 حوالہ جات  

लेकिन रब अपने मुक़द्दस घर में मौजूद है। उसके हुज़ूर पूरी दुनिया ख़ामोश रहे।”


तू बोली, ‘मैं अबद तक मलिका ही रहूँगी!’ तूने संजीदगी से ध्यान न दिया, न इसके अंजाम पर ग़ौर किया।


उसे उतनी ही अज़ियत और ग़म पहुँचा दो जितना उसने अपने आपको शानदार बनाया और ऐयाशी की। क्योंकि अपने दिल में वह कहती है, ‘मैं यहाँ अपने तख़्त पर रानी हूँ। न मैं बेवा हूँ, न मैं कभी मातम करूँगी।’


जिस औरत को तूने देखा वह वही बड़ा शहर है जो ज़मीन के बादशाहों पर हुकूमत करता है।”


यह समुंदर की बेकाबू लहरों की मानिंद हैं जो अपनी शर्मनाक हरकतों की झाग उछालती हैं। यह आवारा सितारे हैं जिनके लिए अल्लाह ने सबसे गहरी तारीकी में एक दायमी जगह मख़सूस की है।


तमाम इनसान रब के सामने ख़ामोश हो जाएँ, क्योंकि वह उठकर अपनी मुक़द्दस सुकूनतगाह से निकल आया है।


हाय, अफ़सोस! यरूशलम बेटी कितनी तनहा बैठी है, गो उसमें पहले इतनी रौनक़ थी। जो पहले अक़वाम में अव्वल दर्जा रखती थी वह बेवा बन गई है, जो पहले ममालिक की रानी थी वह ग़ुलामी में आ गई है।


मैं उनके दरमियान ख़ुशीओ-शादमानी और दूल्हे दुलहन की आवाज़ें बंद कर दूँगा। चक्कियाँ ख़ामोश पड़ जाएँगी और चराग़ बुझ जाएंगे।


तब तुम कहोगे, ‘हम यहाँ क्यों बैठे रहें? आओ, हम क़िलाबंद शहरों में पनाह लेकर वहीं हलाक हो जाएँ। हमने रब अपने ख़ुदा का गुनाह किया है, और अब हम इसका नतीजा भुगत रहे हैं। क्योंकि उसी ने हमें हलाकत के हवाले करके हमें ज़हरीला पानी पिला दिया है।


ऐ कुँवारी बाबल बेटी, उतर जा! ख़ाक में बैठ जा! ऐ बाबलियों की बेटी, ज़मीन पर बैठ जा जहाँ तख़्त नहीं है! अब से लोग तुझसे नहीं कहेंगे, ‘ऐ मेरी नाज़-परवर्दा, ऐ मेरी लाडली!’


बाबल ख़ारपुश्त का मसकन और दलदल का इलाक़ा बन जाएगा, क्योंकि मैं ख़ुद उसमें तबाही का झाड़ू फेर दूँगा।” यह रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।


उस दिन तू बाबल के बादशाह पर तंज़ का गीत गाएगा, “यह कैसी बात है? ज़ालिम नेस्तो-नाबूद और उसके हमले ख़त्म हो गए हैं।


आसमान के सितारे और उनके झुरमुट नहीं चमकेंगे, सूरज तुलू होते वक़्त तारीक ही रहेगा, और चाँद की रौशनी ख़त्म होगी।


वह फ़रमाता है, “अपनी हरकतों से बाज़ आओ! जान लो कि मैं ख़ुदा हूँ। मैं अक़वाम में सरबुलंद और दुनिया में सरफ़राज़ हूँगा।”


ऐ रब, मुझे शरमिंदा न होने दे, क्योंकि मैंने तुझे पुकारा है। मेरे बजाए बेदीनों के मुँह काले हो जाएँ, वह पाताल में उतरकर चुप हो जाएँ।


वह अपने वफ़ादार पैरोकारों के पाँव महफ़ूज़ रखेगा जबकि शरीर तारीकी में चुप हो जाएंगे। क्योंकि इनसान अपनी ताक़त से कामयाब नहीं होता।


अब वह देखो! दो घोड़ोंवाला रथ आ रहा है जिस पर आदमी सवार है। अब वह जवाब में कह रहा है, ‘बाबल गिर गया, वह गिर गया है! उसके तमाम बुत चकनाचूर होकर ज़मीन पर बिखर गए हैं’।”


ऐ साहिली इलाक़े में बसनेवालो, आहो-ज़ारी करो! ऐ सैदा के ताजिरो, मातम करो! तेरे क़ासिद समुंदर को पार करते थे,


सिय्यून बेटी के बुज़ुर्ग ख़ामोशी से ज़मीन पर बैठ गए हैं। टाट के लिबास ओढ़कर उन्होंने अपने सरों पर ख़ाक डाल ली है। यरूशलम की कुँवारियाँ भी अपने सरों को झुकाए बैठी हैं।


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