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یسعیاہ 42:20 - किताबे-मुक़द्दस

20 गो तूने बहुत कुछ देखा है तूने तवज्जुह नहीं दी, गो तेरे कान हर बात सुन लेते हैं तू सुनता नहीं।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

20 تُم نے بہت سِی چیزیں دیکھیں، لیکن دھیان نہیں دیا؛ تمہارے کان تو کھُلے ہیں، پر تُم کچھ نہیں سُنتے۔“

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کِتابِ مُقادّس

20 تُو بُہت سی چِیزوں پر نظر کرتا ہے پر دیکھتا نہیں۔ کان تو کُھلے ہیں پر سُنتا نہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

20 گو تُو نے بہت کچھ دیکھا ہے تُو نے توجہ نہیں دی، گو تیرے کان ہر بات سن لیتے ہیں تُو سنتا نہیں۔“

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یسعیاہ 42:20
20 حوالہ جات  

अब बता, तू जो औरों को सिखाता है अपने आपको क्यों नहीं सिखाता? तू जो चोरी न करने की मुनादी करता है, ख़ुद चोरी क्यों करता है?


लेकिन गो इन लोगों के हुजूम आकर तेरे पैग़ामात सुनने के लिए तेरे सामने बैठ जाते हैं तो भी वह उन पर अमल नहीं करते। क्योंकि उनकी ज़बान पर इश्क़ के ही गीत हैं। उन्हीं पर वह अमल करते हैं, जबकि उनका दिल नारवा नफ़ा के पीछे पड़ा रहता है।


ऐ रब, मैं किससे बात करूँ, किस को आगाह करूँ? कौन सुनेगा? देख, उनके कान नामख़तून हैं, इसलिए वह सुन ही नहीं सकते। रब का कलाम उन्हें मज़हकाख़ेज़ लगता है, वह उन्हें नापसंद है।


रोज़ बरोज़ वह मेरी मरज़ी दरियाफ़्त करते हैं। हाँ, वह मेरी राहों को जानने के शौक़ीन हैं, उस क़ौम की मानिंद जिसने अपने ख़ुदा के अहकाम को तर्क नहीं किया बल्कि रास्तबाज़ है। चुनाँचे वह मुझसे मुंसिफ़ाना फ़ैसले माँगकर ज़ाहिरन अल्लाह की क़ुरबत से लुत्फ़अंदोज़ होते हैं।


बैल अपने मालिक को जानता और गधा अपने आक़ा की चरनी को पहचानता है, लेकिन इसराईल इतना नहीं जानता, मेरी क़ौम समझ से ख़ाली है।”


कौन दानिशमंद है? वह इस पर ध्यान दे, वह रब की मेहरबानियों पर ग़ौर करे।


लेकिन ख़बरदार, एहतियात करना और वह तमाम बातें न भूलना जो तेरी आँखों ने देखी हैं। वह उम्र-भर तेरे दिल में से मिट न जाएँ बल्कि उन्हें अपने बच्चों और पोते-पोतियों को भी बताते रहना।


इन लोगों में से कोई भी उस मुल्क में दाख़िल नहीं होगा। उन्होंने मेरा जलाल और मेरे मोजिज़े देखे हैं जो मैंने मिसर और रेगिस्तान में कर दिखाए हैं। तो भी उन्होंने दस दफ़ा मुझे आज़माया और मेरी न सुनी।


इसलिए मैं तमसीलों में उनसे बात करता हूँ। क्योंकि वह देखते हुए कुछ नहीं देखते, वह सुनते हुए कुछ नहीं सुनते और कुछ नहीं समझते।


तब रब ने फ़रमाया, “जा, इस क़ौम को बता, ‘अपने कानों से सुनो मगर कुछ न समझना। अपनी आँखों से देखो, मगर कुछ न जानना!’


असल में वह तेरी बातें यों सुनते हैं जिस तरह किसी गुलूकार के गीत जो महारत से साज़ बजाकर सुरीली आवाज़ से इश्क़ के गीत गाए। गो वह तेरी बातें सुनकर ख़ुश हो जाते हैं तो भी उन पर अमल नहीं करते।


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