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یسعیاہ 40:7 - किताबे-मुक़द्दस

7 जब रब का साँस उन पर से गुज़रे तो घास मुरझा जाती और फूल गिर जाता है, क्योंकि इनसान घास ही है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

7 گھاس سُوکھ جاتی ہے اَور پھُول مُرجھا جاتے ہیں، کیونکہ یَاہوِہ کی ہَوا اُن پر چلتی ہے۔ یقیناً لوگ گھاس ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

7 گھاس مُرجھاتی ہے۔ پُھول کُملاتا ہے کیونکہ خُداوند کی ہوا اُس پر چلتی ہے۔ یقِیناً لوگ گھاس ہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

7 جب رب کا سانس اُن پر سے گزرے تو گھاس مُرجھا جاتی اور پھول گر جاتا ہے، کیونکہ انسان گھاس ہی ہے۔

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یسعیاہ 40:7
15 حوالہ جات  

जब फूँक मारे तो कोयले दहक उठते और उसके मुँह से शोले निकलते हैं।


जबकि दौलतमंद शख़्स अपने अदना मरतबे पर फ़ख़र करे, क्योंकि वह जंगली फूल की तरह जल्द ही जाता रहेगा।


जब सूरज तुलू होता है तो उस की झुलसा देनेवाली धूप में पौदा मुरझा जाता, उसका फूल गिर जाता और उस की तमाम ख़ूबसूरती ख़त्म हो जाती है। उस तरह दौलतमंद शख़्स भी काम करते करते मुरझा जाएगा।


ऐसे लोग अल्लाह की एक फूँक से तबाह, उसके क़हर के एक झोंके से हलाक हो जाते हैं।


फूल की तरह वह चंद लमहों के लिए फूट निकलता, फिर मुरझा जाता है। साये की तरह वह थोड़ी देर के बाद ओझल हो जाता और क़ायम नहीं रहता।


तू लोगों को सैलाब की तरह बहा ले जाता है, वह नींद और उस घास की मानिंद हैं जो सुबह को फूट निकलती है।


वह सुबह को फूट निकलती और उगती है, लेकिन शाम को मुरझाकर सूख जाती है।


मेरा दिल घास की तरह झुलसकर सूख गया है, और मैं रोटी खाना भी भूल गया हूँ।


जब उस पर से हवा गुज़रे तो वह नहीं रहता, और उसके नामो-निशान का भी पता नहीं चलता।


बल्कि इनसाफ़ से बेबसों की अदालत करेगा और ग़ैरजानिबदारी से मुल्क के मुसीबतज़दों का फ़ैसला करेगा। अपने कलाम की लाठी से वह ज़मीन को मारेगा और अपने मुँह की फूँक से बेदीन को हलाक करेगा।


इसी लिए उनके बाशिंदों की ताक़त जाती रही, वह घबराए और शरमिंदा हुए। वह घास की तरह कमज़ोर थे, छत पर उगनेवाली उस हरियाली की मानिंद जो थोड़ी देर के लिए फलती-फूलती तो है, लेकिन लू चलते वक़्त एकदम मुरझा जाती है।


वह नए पौदों की मानिंद हैं जिनकी पनीरी अभी अभी लगी है, बीज अभी अभी बोए गए हैं, पौदों ने अभी अभी जड़ पकड़ी है कि रब उन पर फूँक मारता है और वह मुरझा जाते हैं। तब आँधी उन्हें भूसे की तरह उड़ा ले जाती है।


“मैं, सिर्फ़ मैं ही तुझे तसल्ली देता हूँ। तो फिर तू फ़ानी इनसान से क्यों डरती है, जो घास की तरह मुरझाकर ख़त्म हो जाता है?


“देखो, तुमने बहुत बरकत पाने की तवक़्क़ो की, लेकिन क्या हुआ? कम ही हासिल हुआ। और जो कुछ तुम अपने घर वापस लाए उसे मैंने हवा में उड़ा दिया। क्यों? मैं, रब्बुल-अफ़वाज तुम्हें इसकी असल वजह बताता हूँ। मेरा घर अब तक मलबे का ढेर है जबकि तुममें से हर एक अपना अपना घर मज़बूत करने के लिए भाग-दौड़ कर रहा है।


इनसान के दिन घास की मानिंद हैं, और वह जंगली फूल की तरह ही फलता-फूलता है।


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