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یسعیاہ 38:12 - किताबे-मुक़द्दस

12 मेरे घर को गल्लाबानों के ख़ैमे की तरह उतारा गया है, वह मेरे ऊपर से छीन लिया गया है। मैंने अपनी ज़िंदगी को जूलाहे की तरह इख़्तिताम तक बुन लिया है। अब उसने मुझे काटकर ताँत के धागों से अलग कर दिया है। एक दिन के अंदर अंदर तूने मुझे ख़त्म किया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

12 میرا گھر چرواہے کے خیمہ کی طرح گرا دیا گیا اَور مُجھ سے لے لیا گیا۔ ایک جُلاہے کی طرح مَیں نے اَپنی زندگی کو لپیٹ لیا ہے، اَور اُس نے مُجھے کرگھے سے کاٹ کر الگ کر دیا ہے؛ دِن اَور رات تُو میرا خاتِمہ کرتا رہا۔

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کِتابِ مُقادّس

12 میرا گھر اُجڑ گیا ہے اور گڈرئے کے خَیمہ کی مانِند مُجھ سے دُور کِیا گیا مَیں نے جُلاہے کی مانِند اپنی زِندگانی کو لِپیٹ لِیا ہے۔ وہ مُجھ کو تانت سے کاٹ ڈالے گا صُبح سے شام تک تُو مُجھ کو تمام کر ڈالتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

12 میرے گھر کو گلہ بانوں کے خیمے کی طرح اُتارا گیا ہے، وہ میرے اوپر سے چھین لیا گیا ہے۔ مَیں نے اپنی زندگی کو جولاہے کی طرح اختتام تک بُن لیا ہے۔ اب اُس نے مجھے کاٹ کر تانت کے دھاگوں سے الگ کر دیا ہے۔ ایک دن کے اندر اندر تُو نے مجھے ختم کیا۔

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یسعیاہ 38:12
20 حوالہ جات  

और तू इन्हें चादर की तरह लपेटेगा, पुराने कपड़े की तरह यह बदले जाएंगे। लेकिन तू वही का वही रहता है, और तेरी ज़िंदगी कभी ख़त्म नहीं होती।”


हम तो जानते हैं कि जब हमारी दुनियावी झोंपड़ी जिसमें हम रहते हैं गिराई जाएगी तो अल्लाह हमें आसमान पर एक मकान देगा, एक ऐसा अबदी घर जिसे इनसानी हाथों ने नहीं बनाया होगा।


क्योंकि दिन-भर मैं दर्दो-करब में मुब्तला रहता हूँ, हर सुबह मुझे सज़ा दी जाती है।


देखें, आप यह भी नहीं जानते कि कल क्या होगा। आपकी ज़िंदगी चीज़ ही किया है! आप भाप ही हैं जो थोड़ी देर के लिए नज़र आती, फिर ग़ायब हो जाती है।


इस झोंपड़ी में रहते हुए हम बोझ तले कराहते हैं। क्योंकि हम अपना फ़ानी लिबास उतारना नहीं चाहते बल्कि उस पर आसमानी घर का लिबास पहन लेना चाहते हैं ताकि ज़िंदगी वह कुछ निगल जाए जो फ़ानी है।


आइंदा उसे कभी दुबारा बसाया नहीं जाएगा, नसल-दर-नसल वह वीरान ही रहेगा। न बद्दू अपना तंबू वहाँ लगाएगा, और न गल्लाबान अपने रेवड़ उसमें ठहराएगा।


सिर्फ़ यरूशलम ही बाक़ी रह गया है, सिय्यून बेटी अंगूर के बाग़ में झोंपड़ी की तरह अकेली रह गई है। अब दुश्मन से घिरा हुआ यह शहर खीरे के खेत में लगे छप्पर की मानिंद है।


गो बुज़ुर्ग मेरे ख़िलाफ़ मनसूबे बाँधने के लिए बैठ गए हैं, तेरा ख़ादिम तेरे अहकाम में महवे-ख़याल रहता है।


मेरे दिन शाम के ढलनेवाले साये की मानिंद हैं। मैं घास की तरह सूख रहा हूँ।


उस वक़्त मैं घबराकर बोला, “हाय, मैं तेरे हुज़ूर से मुंक़ते हो गया हूँ!” लेकिन जब मैंने चीख़ते-चिल्लाते हुए तुझसे मदद माँगी तो तूने मेरी इल्तिजा सुन ली।


मेरी रूह शिकस्ता हो गई, मेरे दिन बुझ गए हैं। क़ब्रिस्तान ही मेरे इंतज़ार में है।


फूल की तरह वह चंद लमहों के लिए फूट निकलता, फिर मुरझा जाता है। साये की तरह वह थोड़ी देर के बाद ओझल हो जाता और क़ायम नहीं रहता।


काश वह मुझे कुचल देने के लिए तैयार हो जाए, वह अपना हाथ बढ़ाकर मुझे हलाक करे।


सुबह को वह ज़िंदा है लेकिन शाम तक पाश पाश हो जाता, अबद तक हलाक हो जाता है, और कोई भी ध्यान नहीं देता।


तू लोगों को सैलाब की तरह बहा ले जाता है, वह नींद और उस घास की मानिंद हैं जो सुबह को फूट निकलती है।


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