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یسعیاہ 37:27 - किताबे-मुक़द्दस

27 इसी लिए उनके बाशिंदों की ताक़त जाती रही, वह घबराए और शरमिंदा हुए। वह घास की तरह कमज़ोर थे, छत पर उगनेवाली उस हरियाली की मानिंद जो थोड़ी देर के लिए फलती-फूलती तो है, लेकिन लू चलते वक़्त एकदम मुरझा जाती है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

27 اِسی وجہ سے اُن لوگوں کی طاقت چھین لی گئی، اَور وہ دہشت زدہ اَور شرمسار ہو گئے۔ وہ کھیتوں میں اُگے ہُوئے پَودوں کی مانند ہیں، بالکُل نازک ہرے پَودوں کی طرح، اَور چھتوں پر خُود اُگنے والی گھاس کی مانند ہیں، جو بڑھنے سے پہلے ہی مُرجھا جاتی ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

27 اِسی سبب سے اُن کے باشِندے کمزور ہُوئے اور گھبرا گئے اور شرمِندہ ہُوئے۔ وہ مَیدان کی گھاس اور پَود۔ چھتوں پر کی گھاس اور کھیت کے اناج کی مانِند ہو گئے جو ابھی بڑھا نہ ہو۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

27 اِسی لئے اُن کے باشندوں کی طاقت جاتی رہی، وہ گھبرائے اور شرمندہ ہوئے۔ وہ گھاس کی طرح کمزور تھے، چھت پر اُگنے والی اُس ہریالی کی مانند جو تھوڑی دیر کے لئے پھلتی پھولتی تو ہے، لیکن لُو چلتے وقت ایک دم مُرجھا جاتی ہے۔

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یسعیاہ 37:27
17 حوالہ جات  

वह छतों पर की घास की मानिंद हों जो सहीह तौर पर बढ़ने से पहले ही मुरझा जाती है


यों कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है, “तमाम इनसान घास ही हैं, उनकी तमाम शानो-शौकत जंगली फूल की मानिंद है। घास तो मुरझा जाती और फूल गिर जाता है,


ख़ाह तुम हमलाआवर पूरी बाबली फ़ौज को शिकस्त क्यों न देते और सिर्फ़ ज़ख़मी आदमी बचे रहते तो भी तुम नाकाम रहते, तो भी यह बाज़ एक आदमी अपने ख़ैमों में से निकलकर यरूशलम को नज़रे-आतिश करते।”


जाओ, उसके अंगूर के बाग़ों पर टूट पड़ो और सब कुछ बरबाद कर दो। लेकिन उन्हें मुकम्मल तौर पर ख़त्म मत करना। बेलों की शाख़ों को दूर करो, क्योंकि वह रब के लोग नहीं हैं।”


मिसरी उस दिन औरतों जैसे कमज़ोर होंगे। जब रब्बुल-अफ़वाज उन्हें मारने के लिए अपना हाथ उठाएगा तो वह घबराकर काँप उठेंगे।


इनसान के दिन घास की मानिंद हैं, और वह जंगली फूल की तरह ही फलता-फूलता है।


गो बेदीन घास की तरह फूट निकलते और बदकार सब फलते-फूलते हैं, लेकिन आख़िरकार वह हमेशा के लिए हलाक हो जाएंगे।


क्योंकि वह घास की तरह जल्द ही मुरझा जाएंगे, हरियाली की तरह जल्द ही सूख जाएंगे।


इसी लिए उनके बाशिंदों की ताक़त जाती रही, वह घबराए और शरमिंदा हुए। वह घास की तरह कमज़ोर थे, छत पर उगनेवाली उस हरियाली की मानिंद जो थोड़ी देर के लिए फलती-फूलती तो है, लेकिन लू चलते वक़्त एकदम मुरझा जाती है।


रब से बग़ावत मत करना। उस मुल्क के रहनेवालों से न डरें। हम उन्हें हड़प कर जाएंगे। उनकी पनाह उनसे जाती रही है जबकि रब हमारे साथ है। चुनाँचे उनसे मत डरें।”


जो कुछ मैं तुम्हें अंधेरे में सुना रहा हूँ उसे रोज़े-रौशन में सुना देना। और जो कुछ आहिस्ता आहिस्ता तुम्हारे कान में बताया गया है उसका छतों से एलान करो।


फिर सात और बालें फूट निकलीं जो दुबली-पतली और मशरिक़ी हवा से झुलसी हुई थीं।


तूने शेख़ी मार मारकर मेरे ख़िलाफ़ कुफ़र बका है, लेकिन ख़बरदार! मैंने इन तमाम बातों पर तवज्जुह दी है।


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