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یسعیاہ 37:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 यह बातें सुनकर हिज़क़ियाह ने अपने कपड़े फाड़े और टाट का मातमी लिबास पहनकर रब के घर में गया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 اَب جَب حِزقیاہؔ بادشاہ نے سُنا تو اَپنے کپڑے پھاڑے اَور ٹاٹ پہن کر یَاہوِہ کے بیت المُقدّس میں داخل ہُوا۔

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کِتابِ مُقادّس

1 جب حِزقیاہ بادشاہ نے یہ سُنا تو اپنے کپڑے پھاڑے اور ٹاٹ اوڑھ کر خُداوند کے گھر میں گیا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 یہ باتیں سن کر حِزقیاہ نے اپنے کپڑے پھاڑے اور ٹاٹ کا ماتمی لباس پہن کر رب کے گھر میں گیا۔

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یسعیاہ 37:1
13 حوالہ جات  

फिर महल का इंचार्ज इलियाक़ीम बिन ख़िलक़ियाह, मीरमुंशी शिबनाह और मुशीरे-ख़ास युआख़ बिन आसफ़ रंजिश के मारे अपने लिबास फाड़कर हिज़क़ियाह के पास वापस गए। दरबार में पहुँचकर उन्होंने बादशाह को सब कुछ कह सुनाया जो रबशाक़ी ने उन्हें कहा था।


शाम की क़ुरबानी के वक़्त मैं वहाँ से उठ खड़ा हुआ जहाँ मैं तौबा की हालत में बैठा हुआ था। वही फटे हुए कपड़े पहने हुए मैं घुटने टेककर झुक गया और अपने हाथों को आसमान की तरफ़ उठाए हुए रब अपने ख़ुदा से दुआ करने लगा,


किताब की बातें सुनकर बादशाह ने रंजीदा होकर अपने कपड़े फाड़ लिए।


“ऐ ख़ुराज़ीन, तुझ पर अफ़सोस! बैत-सैदा, तुझ पर अफ़सोस! अगर सूर और सैदा में वह मोजिज़े किए गए होते जो तुममें हुए तो वहाँ के लोग कब के टाट ओढ़कर और सर पर राख डालकर तौबा कर चुके होते।


गो बादशाह और उसके तमाम मुलाज़िमों ने यह तमाम बातें सुनीं तो भी न वह घबराए, न उन्होंने परेशान होकर अपने कपड़े फाड़े।


क्या यहूदाह के बादशाह हिज़क़ियाह या यहूदाह के किसी और शख़्स ने मीकाह को सज़ाए-मौत दी? हरगिज़ नहीं, बल्कि हिज़क़ियाह ने रब का ख़ौफ़ मानकर उसका ग़ुस्सा ठंडा करने की कोशिश की। नतीजे में रब ने पछताकर वह सज़ा उन पर नाज़िल न की जिसका एलान वह कर चुका था। सुनें, अगर हम यरमियाह को सज़ाए-मौत दें तो अपने आप पर सख़्त सज़ा लाएँगे।”


फिर हिज़क़ियाह बादशाह और आमूस के बेटे यसायाह नबी ने चिल्लाते हुए आसमान पर तख़्तनशीन ख़ुदा से इलतमास की।


जब मर्दकी को मालूम हुआ कि क्या हुआ है तो उसने रंजिश से अपने कपड़ों को फाड़कर टाट का लिबास पहन लिया और सर पर राख डाल ली। फिर वह निकलकर बुलंद आवाज़ से गिर्याओ-ज़ारी करते करते शहर में से गुज़रा।


उस वक़्त क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज ने हुक्म दिया कि गिर्याओ-ज़ारी करो, अपने बालों को मुँडवाकर टाट का लिबास पहन लो।


ख़त मिलने पर हिज़क़ियाह ने उसे पढ़ लिया और फिर रब के घर के सहन में गया। ख़त को रब के सामने बिछाकर


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