Biblia Todo Logo
آن لائن بائبل

- اشتہارات -




یسعیاہ 35:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 फूट निकलेंगे, और वह ज़ोर से शादियाना बजाकर ख़ुशी के नारे लगाएगा। उसे लुबनान की शान, करमिल और शारून का पूरा हुस्नो-जमाल दिया जाएगा। लोग रब का जलाल और हमारे ख़ुदा की शानो-शौकत देखेंगे।

باب دیکھیں کاپی

اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 زعفران کی مانند کھِل اُٹھیں گے۔ وہ نہایت شادمان ہوگا اَور خُوشی سے چِلّا اُٹھے گا۔ لبانونؔ کی شوکت، اَور کرمِلؔ اَور شارونؔ کی زینت اُسے بخشی جائے گی؛ اَور وہ یَاہوِہ کا جلال اَور ہمارے خُدا کی حشمت دیکھیں گے۔

باب دیکھیں کاپی

کِتابِ مُقادّس

2 اُس میں کثرت سے کلِیاں نِکلیں گی۔ وہ شادمانی سے گا کر خُوشی کرے گا۔ لُبناؔن کی شَوکت اور کرمِل اور شارُوؔن کی زِینت اُسے دی جائے گی۔ وہ خُداوند کا جلال اور ہمارے خُدا کی حشمت دیکھیں گے۔

باب دیکھیں کاپی

ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

2 پھوٹ نکلیں گے، اور وہ زور سے شادیانہ بجا کر خوشی کے نعرے لگائے گا۔ اُسے لبنان کی شان، کرمل اور شارون کا پورا حُسن و جمال دیا جائے گا۔ لوگ رب کا جلال اور ہمارے خدا کی شان و شوکت دیکھیں گے۔

باب دیکھیں کاپی




یسعیاہ 35:2
57 حوالہ جات  

लुबनान की शानो-शौकत तेरे सामने हाज़िर होगी। जूनीपर, सनोबर और सरो के दरख़्त मिलकर तेरे पास आएँगे ताकि मेरे मक़दिस को आरास्ता करें। यों मैं अपने पाँवों की चौकी को जलाल दूँगा।


उस दिन लोग कहेंगे, “यही हमारा ख़ुदा है जिसकी नजात के इंतज़ार में हम रहे। यही है रब जिससे हम उम्मीद रखते रहे। आओ, हम शादियाना बजाकर उस की नजात की ख़ुशी मनाएँ।”


और सुनानेवाले किस तरह दूसरों के पास जाएंगे अगर उन्हें भेजा न गया? इसलिए कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है, “उनके क़दम कितने प्यारे हैं जो ख़ुशख़बरी सुनाते हैं।”


क्योंकि जिस तरह समुंदर पानी से भरा हुआ है, उसी तरह दुनिया एक दिन रब के जलाल के इरफ़ान से भर जाएगी।


तब अल्लाह का जलाल ज़ाहिर हो जाएगा, और तमाम इनसान मिलकर उसे देखेंगे। यह रब के अपने मुँह का फ़रमान है।”


शहर को सूरज या चाँद की ज़रूरत नहीं जो उसे रौशन करे, क्योंकि अल्लाह का जलाल उसे रौशन कर देता है और लेला उसका चराग़ है।


क्योंकि जिस ख़ुदा ने फ़रमाया, “अंधेरे में से रौशनी चमके,” उसने हमारे दिलों में अपनी रौशनी चमकने दी ताकि हम अल्लाह का वह जलाल जान लें जो ईसा मसीह के चेहरे से चमकता है।


ऐ बाप, मैं चाहता हूँ कि जो तूने मुझे दिए हैं वह भी मेरे साथ हों, वहाँ जहाँ मैं हूँ, कि वह मेरे जलाल को देखें, वह जलाल जो तूने इसलिए मुझे दिया है कि तूने मुझे दुनिया की तख़लीक़ से पेशतर प्यार किया है।


और सिय्यून के सोगवारों को दिलासा देकर राख के बजाए शानदार ताज, मातम के बजाए ख़ुशी का तेल और शिकस्ता रूह के बजाए हम्दो-सना का लिबास मुहैया करूँ। तब वह ‘रास्ती के दरख़्त’ कहलाएँगे, ऐसे पौदे जो रब ने अपना जलाल ज़ाहिर करने के लिए लगाए हैं।


आइंदा तुझे न दिन के वक़्त सूरज, न रात के वक़्त चाँद की ज़रूरत होगी, क्योंकि रब ही तेरी अबदी रौशनी होगा, तेरा ख़ुदा ही तेरी आबो-ताब होगा।


ज़मीन ख़ुश्क होकर मुरझा गई है, लुबनान कुमलाकर शरमिंदा हो गया है। शारून का मैदान बेशजर बयाबान-सा बन गया है, बसन और करमिल अपने पत्ते झाड़ रहे हैं।


तेरा सर कोहे-करमिल की मानिंद है, तेरे खुले बाल अरग़वान की तरह क़ीमती और दिलकश हैं। बादशाह तेरी ज़ुल्फ़ों की ज़ंजीरों में जकड़ा रहता है।


उसके जलाली नाम की अबद तक तमजीद हो, पूरी दुनिया उसके जलाल से भर जाए। आमीन, फिर आमीन।


मुल्क में अनाज की कसरत हो, पहाड़ों की चोटियों पर भी उस की फ़सलें लहलहाएँ। उसका फल लुबनान के फल जैसा उम्दा हो, शहरों के बाशिंदे हरियाली की तरह फलें-फूलें।


अल्लाह का नूर सिय्यून से चमक उठा है, उस पहाड़ से जो कामिल हुस्न का इज़हार है।


चुनाँचे हम सब जिनके चेहरों से निक़ाब हटाया गया है ख़ुदावंद का जलाल मुनअकिस करते और क़दम बक़दम जलाल पाते हुए मसीह की सूरत में बदलते जाते हैं। यह ख़ुदावंद ही का काम है जो रूह है।


यह भी लिखा है, “ऐ दीगर क़ौमो, उस की उम्मत के साथ ख़ुशी मनाओ!”


यसायाह ने यह इसलिए फ़रमाया क्योंकि उसने ईसा का जलाल देखकर उसके बारे में बात की।


इफ़राईम के अफ़राद सूरमे से बन जाएंगे, वह यों ख़ुश हो जाएंगे जिस तरह दिल मै पीने से ख़ुश हो जाता है। उनके बच्चे यह देखकर बाग़ बाग़ हो जाएंगे, उनके दिल रब की ख़ुशी मनाएँगे।


तब तेरी क़ौम के तमाम अफ़राद रास्तबाज़ होंगे, और मुल्क हमेशा तक उनकी मिलकियत रहेगा। क्योंकि वह मेरे हाथ से लगाई हुई पनीरी होंगे, मेरे हाथ का काम जिससे मैं अपना जलाल ज़ाहिर करूँगा।


ऐ आसमान, ख़ुशी के नारे लगा! ऐ ज़मीन, बाग़ बाग़ हो जा! ऐ पहाड़ो, शादमानी के गीत गाओ! क्योंकि रब ने अपनी क़ौम को तसल्ली दी है, उसे अपने मुसीबतज़दा लोगों पर तरस आया है।


मेरे हाथ से रेगिस्तान में देवदार, कीकर, मेहँदी और ज़ैतून के दरख़्त लगेंगे, बयाबान में जूनीपर, सनोबर और सरो के दरख़्त मिलकर उगेंगे।


जब तक अल्लाह अपना रूह हम पर नाज़िल न करे उस वक़्त तक हालात ऐसे ही रहेंगे। लेकिन फिर रेगिस्तान बाग़ में तबदील हो जाएगा, और बाग़ के फलदार दरख़्त जंगल जैसे घने हो जाएंगे।


बुलंद आवाज़ से वह एक दूसरे को पुकार रहे थे, “क़ुद्दूस, क़ुद्दूस, क़ुद्दूस है रब्बुल-अफ़वाज। तमाम दुनिया उसके जलाल से मामूर है।”


आसमानों ने उस की रास्ती का एलान किया, और तमाम क़ौमों ने उसका जलाल देखा।


तूने शिमालो-जुनूब को ख़लक़ किया। तबूर और हरमून तेरे नाम की ख़ुशी में नारे लगाते हैं।


फिर जंगल के दरख़्त रब के सामने शादियाना बजाएंगे, क्योंकि वह आ रहा है, वह ज़मीन की अदालत करने आ रहा है।


जब लुद्दा और मैदानी इलाक़े शारून के तमाम रहनेवालों ने उसे देखा तो उन्होंने ख़ुदावंद की तरफ़ रुजू किया।


और कल सुबह तुम रब का जलाल देखोगे। उसने तुम्हारी शिकायतें सुन ली हैं, क्योंकि असल में तुम हमारे ख़िलाफ़ नहीं बल्कि रब के ख़िलाफ़ बुड़बुड़ा रहे हो।


जद का क़बीला जिलियाद और बसन के इलाक़ों की आबादियों में आबाद था। शारून से लेकर सरहद तक की पूरी चरागाहें भी उनके क़ब्ज़े में थीं।


मैं मैदाने-शारून का फूल और वादियों की सोसन हूँ।


एक वक़्त आएगा कि याक़ूब जड़ पकड़ेगा। इसराईल को फूल लग जाएंगे, उस की कोंपलें निकलेंगी और दुनिया उसके फल से भर जाएगी।


जितनों को रब ने फ़िद्या देकर रिहा किया है वह वापस आएँगे और गीत गाते हुए सिय्यून में दाख़िल होंगे। उनके सर पर अबदी ख़ुशी का ताज होगा, और वह इतने मसरूर और शादमान होंगे कि मातम और गिर्याओ-ज़ारी उनके आगे आगे भाग जाएगी।


ऐ सिय्यून, ऐ ख़ुशख़बरी के पैग़ंबर, बुलंदियों पर चढ़ जा! ऐ यरूशलम, ऐ ख़ुशख़बरी के पैग़ंबर, ज़ोर से आवाज़ दे! पुकारकर कह और ख़ौफ़ मत खा। यहूदाह के शहरों को बता, “वह देखो, तुम्हारा ख़ुदा!”


“ऐ यरूशलम को प्यार करनेवालो, सब उसके साथ ख़ुशी मनाओ! ऐ शहर पर मातम करनेवालो, सब उसके साथ शादियाना बजाओ!


इन बातों का मुशाहदा करके तुम्हारा दिल ख़ुश होगा और तुम ताज़ा हरियाली की तरह फलो-फूलोगे।” उस वक़्त ज़ाहिर हो जाएगा कि रब का हाथ उसके ख़ादिमों के साथ है जबकि उसके दुश्मन उसके ग़ज़ब का निशाना बनेंगे।


इसराईल के लिए मैं शबनम की मानिंद हूँगा। तब वह सोसन की मानिंद फूल निकालेगा, लुबनान के देवदार के दरख़्त की तरह जड़ पकड़ेगा,


अलम्मलिक, अमआद और मिसाल। उस की सरहद समुंदर के साथ साथ चलती हुई करमिल के पहाड़ी सिलसिले के दामन में से गुज़री और उतरती उतरती सैहूर-लिबनात तक पहुँची।


शारून के मैदान में चरनेवाले गाय-बैल सितरी शारूनी के ज़ेरे-निगरानी थे जबकि साफ़त बिन अदली वादियों में चरनेवाले गाय-बैलों को सँभालता था।


ہمیں فالو کریں:

اشتہارات


اشتہارات