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یسعیاہ 30:30 - किताबे-मुक़द्दस

30 तब रब अपनी बारोब आवाज़ से लोगों पर अपनी क़ुदरत का इज़हार करेगा। उसका सख़्त ग़ज़ब और भस्म करनेवाली आग नाज़िल होगी, साथ साथ बारिश की तेज़ बौछाड़ और ओलों का तूफ़ान उन पर टूट पड़ेगा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

30 یَاہوِہ اَپنی جلالی آواز لوگوں کو سُنائے گا اَور اَپنے قہر کی شِدّت اَور بھسم کرنے والی آگ کے شُعلوں موسلادھار بارش، زورآور آندھی اَور اولوں کے ساتھ اَپنے بازو کا نازل ہونا اُنہیں دِکھائے گا۔

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کِتابِ مُقادّس

30 کیونکہ خُداوند اپنی جلالی آواز سُنائے گا اور اپنے قہر کی شِدّت اور آتشِ سوزان کے شُعلے اور سَیلاب اور آندھی اور اولوں کے ساتھ اپنا بازُو نِیچے لائے گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

30 تب رب اپنی بارُعب آواز سے لوگوں پر اپنی قدرت کا اظہار کرے گا۔ اُس کا سخت غضب اور بھسم کرنے والی آگ نازل ہو گی، ساتھ ساتھ بارش کی تیز بوچھاڑ اور اولوں کا طوفان اُن پر ٹوٹ پڑے گا۔

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یسعیاہ 30:30
50 حوالہ جات  

रब्बुल-अफ़वाज उन पर टूट पड़ेगा। वह बिजली की कड़कती आवाज़ें, ज़लज़ला, बड़ा शोर, तेज़ आँधी, तूफ़ान और भस्म करनेवाली आग के शोले अपने साथ लेकर शहर की मदद करने आएगा।


और जब अमोरी इस रास्ते पर अज़ीक़ा की तरफ़ भाग रहे थे तो रब ने आसमान से उन पर बड़े बड़े ओले बरसाए जिन्होंने इसराईलियों की निसबत ज़्यादा दुश्मनों को हलाक कर दिया।


आसमान पर अल्लाह के घर को खोला गया और उसमें उसके अहद का संदूक़ नज़र आया। बिजली चमकने लगी, शोर मच गया, बादल गरजने और बड़े बड़े ओले पड़ने लगे।


देखो, रब एक ज़बरदस्त सूरमा भेजेगा जो ओलों के तूफ़ान, तबाहकुन आँधी और सैलाब पैदा करनेवाली मूसलाधार बारिश की तरह सामरिया पर टूट पड़ेगा और ज़ोर से उसे ज़मीन पर पटख़ देगा।


और भड़कती हुई आग में उन्हें सज़ा देगा जो न अल्लाह को जानते हैं, न हमारे ख़ुदावंद ईसा की ख़ुशख़बरी के ताबे हैं।


एक क़ौम दूसरी के ख़िलाफ़ उठ खड़ी होगी, और एक बादशाही दूसरी के ख़िलाफ़। काल पड़ेंगे और जगह जगह ज़लज़ले आएँगे।


उसके पाँवों तले पहाड़ पिघल जाएंगे और वादियाँ फट जाएँगी, वह आग के सामने पिघलनेवाले मोम या ढलान पर उंडेले गए पानी की मानिंद होंगे।


गो जंगल तबाह और शहर ज़मीनबोस क्यों न हो,


उसके पाँव भट्टे में दमकते पीतल की मानिंद थे और उस की आवाज़ आबशार के शोर जैसी थी।


उस की क़ुदरत ने अज़ीम काम कर दिखाए हैं, और दिल से मग़रूर लोग तित्तर-बित्तर हो गए हैं।


करूबी फ़रिश्ते अपने परों को इतने ज़ोर से फड़फड़ा रहे थे कि उसका शोर बैरूनी सहन तक सुनाई दे रहा था। यों लग रहा था कि क़ादिरे-मुतलक़ ख़ुदा बोल रहा है।


रब ने अपने दाएँ हाथ और ज़ोरावर बाज़ू की क़सम खाकर वादा किया है, “आइंदा न मैं तेरा ग़ल्ला तेरे दुश्मनों को खिलाऊँगा, न बड़ी मेहनत से बनाई गई तेरी मै को अजनबियों को पिलाऊँगा।


ऐ रब के बाज़ू, उठ! जाग उठ और क़ुव्वत का जामा पहन ले! यों अमल में आ जिस तरह क़दीम ज़माने में आया था, जब तूने मुतअद्दिद नसलों पहले रहब को टुकड़े टुकड़े कर दिया, समुंदरी अज़दहे को छेद डाला।


रब की तमजीद में नया गीत गाओ, क्योंकि उसने मोजिज़े किए हैं। अपने दहने हाथ और मुक़द्दस बाज़ू से उसने नजात दी है।


क़ौमें शोर मचाने, सलतनतें लड़खड़ाने लगीं। अल्लाह ने आवाज़ दी तो ज़मीन लरज़ उठी।


फिर वह ग़ुस्से से उन्हें डाँटता, अपना शदीद ग़ज़ब उन पर नाज़िल करके उन्हें डराता है।


क्या तेरा बाज़ू अल्लाह के बाज़ू जैसा ज़ोरावर है? क्या तेरी आवाज़ उस की आवाज़ की तरह कड़कती है।


समुएल अभी क़ुरबानी पेश कर रहा था कि फ़िलिस्ती वहाँ पहुँचकर इसराईलियों पर हमला करने के लिए तैयार हुए। लेकिन उस दिन रब ने ज़ोर से कड़कती हुई आवाज़ से फ़िलिस्तियों को इतना दहशतज़दा कर दिया कि वह दरहम-बरहम हो गए और इसराईली आसानी से उन्हें शिकस्त दे सके।


दहशत और ख़ौफ़ उन पर छा गया। तेरी अज़ीम क़ुदरत के बाइस वह पत्थर की तरह जम गए। ऐ रब, वह न हिले जब तक तेरी क़ौम गुज़र न गई। वह बेहिसो-हरकत रहे जब तक तेरी ख़रीदी हुई क़ौम गुज़र न गई।


मूसा ने अपनी लाठी आसमान की तरफ़ उठाई तो रब ने एक ज़बरदस्त तूफ़ान भेज दिया। ओले पड़े, बिजली गिरी और बादल गरजते रहे।


क्या तू वहाँ तक पहुँच गया है जहाँ बर्फ़ के ज़ख़ीरे जमा होते हैं? क्या तूने ओलों के गोदामों को देख लिया है?


असूर पर अफ़सोस जो मेरे ग़ज़ब का आला है, जिसके हाथ में मेरे क़हर की लाठी है।


लेकिन तुम गीत गाओगे, ऐसे गीत जैसे मुक़द्दस ईद की रात गाए जाते हैं। इतनी रौनक़ होगी कि तुम्हारे दिल फूले न समाएँगे। तुम्हारी ख़ुशी उन ज़ायरीन की मानिंद होगी जो बाँसरी बजाते हुए रब के पहाड़ पर चढ़ते और इसराईल की चट्टान के हुज़ूर आते हैं।


रब की आवाज़ असूर को पाश पाश कर देगी, उस की लाठी उसे मारती रहेगी।


सिय्यून में गुनाहगार घबरा गए हैं, बेदीन परेशानी के आलम में थरथराते हुए चिल्ला रहे हैं, “हममें से कौन भस्म करनेवाली इस आग के सामने ज़िंदा रह सकता है? हममें से कौन हमेशा तक भड़कनेवाली इस अंगीठी के क़रीब क़ायम रह सकता है?”


क्योंकि रब आग और अपनी तलवार के ज़रीए तमाम इनसानों की अदालत करके अपने हाथ से मुतअद्दिद लोगों को हलाक करेगा।


रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “देखो, यके बाद दीगरे तमाम क़ौमों पर आफ़त नाज़िल हो रही है, ज़मीन की इंतहा से ज़बरदस्त तूफ़ान आ रहा है।


रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं तैश में आकर दीवार पर ज़बरदस्त आँधी आने दूँगा, ग़ुस्से में उस पर मूसलाधार बारिश और मोहलक ओले बरसा दूँगा।


रथों का-सा शोर मचाते हुए वह उछल उछलकर पहाड़ की चोटियों पर से गुज़रते हैं। भूसे को भस्म करनेवाली आग की चटख़्ती आवाज़ सुनाई देती है जब वह जंग के लिए तैयार बड़ी बड़ी फ़ौज की तरह आगे बढ़ते हैं।


चुनाँचे मैं रब्बा की फ़सील को आग लगा दूँगा, और उसके महल नज़रे-आतिश हो जाएंगे। जंग के उस दिन हर तरफ़ फ़ौजियों के नारे बुलंद हो जाएंगे, तूफ़ान के उस दिन उन पर सख़्त आँधी टूट पड़ेगी।


ओले पड़ते रहे और बिजली चमकती रही। मिसरी क़ौम की इब्तिदा से लेकर अब तक ऐसे ख़तरनाक ओले कभी नहीं पड़े थे।


उस वक़्त रब ने इसराईलियों के देखते देखते दुश्मन में अबतरी पैदा कर दी, और उन्होंने जिबऊन के क़रीब दुश्मन को ज़बरदस्त शिकस्त दी। इसराईली बैत-हौरून तक पहुँचानेवाले रास्ते पर अमोरियों का ताक़्क़ुब करते करते उन्हें अज़ीक़ा और मक़्क़ेदा तक मौत के घाट उतारते गए।


मैं उन्हें मुसीबत के वक़्त के लिए महफ़ूज़ रखता हूँ, ऐसे दिनों के लिए जब लड़ाई और जंग छिड़ जाए।


जो उसे झुलसती धूप से महफ़ूज़ रखेगा और तूफ़ान और बारिश से पनाह देगा।


चुनाँचे क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज असूर के मोटे-ताज़े फ़ौजियों में एक मरज़ फैला देगा जो उनके जिस्मों को रफ़्ता रफ़्ता ज़ाया करेगा। असूर की शानो-शौकत के नीचे एक भड़कती हुई आग लगाई जाएगी।


जिस तरह रब्बुल-अफ़वाज ने मिदियानियों को मारा जब जिदौन ने ओरेब की चट्टान पर उन्हें शिकस्त दी उसी तरह वह असूरियों को भी कोड़े से मारेगा। और जिस तरह रब ने अपनी लाठी मूसा के ज़रीए समुंदर के ऊपर उठाई और नतीजे में मिसर की फ़ौज उसमें डूब गई बिलकुल उसी तरह वह असूरियों के साथ भी करेगा।


रब मुझसे हमकलाम हुआ, “सिय्यून पर उतरते वक़्त मैं उस जवान शेरबबर की तरह हूँगा जो बकरी मारकर उसके ऊपर खड़ा ग़ुर्राता है। गो मुतअद्दिद गल्लाबानों को उसे भगाने के लिए बुलाया जाए तो भी वह उनकी चीख़ों से दहशत नहीं खाता, न उनके शोर-शराबा से डरकर दबक जाता है। रब्बुल-अफ़वाज इसी तरह ही कोहे-सिय्यून पर उतरकर लड़ेगा।


रब अपनी मुक़द्दस क़ुदरत तमाम अक़वाम पर ज़ाहिर करेगा, दुनिया की इंतहा तक सब हमारे ख़ुदा की नजात देखेंगे।


रब आग की सूरत में आ रहा है, आँधी जैसे रथों के साथ नाज़िल हो रहा है ताकि दहकते कोयलों से अपना ग़ुस्सा ठंडा करे और शोला-अफ़शाँ आग से मलामत करे।


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