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یسعیاہ 28:19 - किताबे-मुक़द्दस

19 वह सुबह बसुबह और दिन-रात गुज़रेगा, और जब भी गुज़रेगा तो तुम्हें अपने साथ बहा ले जाएगा। उस वक़्त लोग दहशतज़दा होकर कलाम का मतलब समझेंगे।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

19 وہ جَب بھی آئے گا، تُمہیں بہا لے جائے گا؛ چاہے دِن ہو چاہے رات، وہ روز بروز آئے گا۔“ اُس کا مطلب سمجھوگے تو تُم پر خوف طاری ہو جائے گا

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کِتابِ مُقادّس

19 اور گُذرتے وقت تُم کو بہا لے جائے گا۔ ہر صُبح اور شب و روز آئے گا بلکہ اُس کا چرچا سُننا بھی خوفناک ہو گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

19 وہ صبح بہ صبح اور دن رات گزرے گا، اور جب بھی گزرے گا تو تمہیں اپنے ساتھ بہا لے جائے گا۔ اُس وقت لوگ دہشت زدہ ہو کر کلام کا مطلب سمجھیں گے۔“

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یسعیاہ 28:19
26 حوالہ جات  

यह सब कुछ सुनकर मेरा जिस्म लरज़ उठा। इतना शोर था कि मेरे दाँत बजने लगे, मेरी हड्डियाँ सड़ने लगीं, मेरे घुटने काँप उठे। अब मैं उस दिन के इंतज़ार में रहूँगा जब आफ़त उस क़ौम पर आएगी जो हम पर हमला कर रही है।


इसके बाद मैं, दानियाल निढाल होकर कई दिनों तक बीमार रहा। फिर मैं उठा और बादशाह की ख़िदमत में दुबारा अपने फ़रायज़ अदा करने लगा। मैं रोया से सख़्त परेशान था, और कोई नहीं था जो मुझे उसका मतलब बता सके।


मुझे मज़ीद कुछ नहीं बताया गया। मैं, दानियाल इन बातों से बहुत परेशान हुआ, और मेरा चेहरा माँद पड़ गया, लेकिन मैंने मामला अपने दिल में महफ़ूज़ रखा।


उन्हें बता, ‘ऐ यहूदाह के बादशाहो और यरूशलम के बाशिंदो, रब का कलाम सुनो! रब्बुल-अफ़वाज जो इसराईल का ख़ुदा है फ़रमाता है कि मैं इस मक़ाम पर ऐसी आफ़त नाज़िल करूँगा कि जिसे भी इसकी ख़बर मिलेगी उसके कान बजेंगे।


रब क़ादिरे-मुतलक़ ने मुझे शागिर्द की-सी ज़बान अता की ताकि मैं वह कलाम जान लूँ जिससे थकामाँदा तक़वियत पाए। सुबह बसुबह वह मेरे कान को जगा देता है ताकि मैं शागिर्द की तरह सुन सकूँ।


नबी के पास पहुँचकर उन्होंने हिज़क़ियाह का पैग़ाम सुनाया, “आज हम बड़ी मुसीबत में हैं। सज़ा के इस दिन असूरियों ने हमारी सख़्त बेइज़्ज़ती की है। हमारा हाल दर्दे-ज़ह में मुब्तला उस औरत का-सा है जिसके पेट से बच्चा निकलने को है, लेकिन जो इसलिए नहीं निकल सकता कि माँ की ताक़त जाती रही है।


फिर महल का इंचार्ज इलियाक़ीम बिन ख़िलक़ियाह, मीरमुंशी शिबनाह और मुशीरे-ख़ास युआख़ बिन आसफ़ रंजिश के मारे अपने लिबास फाड़कर हिज़क़ियाह के पास वापस गए। दरबार में पहुँचकर उन्होंने बादशाह को सब कुछ कह सुनाया जो रबशाक़ी ने उन्हें कहा था।


सुनो, उनके सूरमे गलियों में चीख़ रहे हैं, अमन के सफ़ीर तलख़ आहें भर रहे हैं।


तब रब ने बाबल, शाम, मोआब और अम्मोन से डाकुओं के जत्थे भेज दिए ताकि उसे तबाह करें। वैसा ही हुआ जिस तरह रब ने अपने ख़ादिमों यानी नबियों की मारिफ़त फ़रमाया था।


वह ऐसी चीज़ों से घिरा रहता है जो उसे क़दम बक़दम दहशत खिलाती और उस की नाक में दम करती हैं।


चुनाँचे रब इसराईल का ख़ुदा फ़रमाता है, ‘मैं यरूशलम और यहूदाह पर ऐसी आफ़त नाज़िल करूँगा कि जिसे भी इसकी ख़बर मिलेगी उसके कान बजने लगेंगे।


हिज़क़ियाह बादशाह की हुकूमत के 14वें साल में असूर के बादशाह सनहेरिब ने यहूदाह के तमाम क़िलाबंद शहरों पर धावा बोलकर उन पर क़ब्ज़ा कर लिया।


लेकिन आख़िरकार वह होसेअ की हुकूमत के नवें साल में कामयाब हुआ और शहर पर क़ब्ज़ा करके इसराईलियों को जिलावतन कर दिया। उन्हें असूर लाकर उसने कुछ ख़लह के इलाक़े में, कुछ जौज़ान के दरियाए-ख़ाबूर के किनारे पर और कुछ मादियों के शहरों में बसाए।


फिर रब समुएल से हमकलाम हुआ, “देख, मैं इसराईल में इतना हौलनाक काम करूँगा कि जिसे भी इसकी ख़बर मिलेगी उसके कान बजने लगेंगे।


क्योंकि क़ादिरे-मुतलक़ के तीर मुझमें गड़ गए हैं, मेरी रूह उनका ज़हर पी रही है। हाँ, अल्लाह के हौलनाक हमले मेरे ख़िलाफ़ सफ़आरा हैं।


गहरी तारीकी ही उनकी सुबह होती है, क्योंकि उनकी घने अंधेरे की दहशतों से दोस्ती हो गई है।


मेरा दिल मेरे अंदर तड़प रहा है, मौत की दहशत मुझ पर छा गई है।


मैं मुसीबतज़दा और जवानी से मौत के क़रीब रहा हूँ। तेरे दहशतनाक हमले बरदाश्त करते करते मैं जान से हाथ धो बैठा हूँ।


उनके बारे में इत्तला पाकर हमारे हाथ हिम्मत हार गए हैं। हम पर ख़ौफ़ तारी हो गया है, हमें दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत का-सा दर्द हो रहा है।


जिनसे मैं दहशत खाता था उन्हें तूने बुलाया। जिस तरह बड़ी ईदों के मौक़े पर हुजूम शहर में जमा होते हैं उसी तरह दुश्मन चारों तरफ़ से मुझ पर टूट पड़े। जब रब का ग़ज़ब नाज़िल हुआ तो न कोई बचा, न कोई बाक़ी रह गया। जिन्हें मैंने पाला और जो मेरे ज़ेरे-निगरानी परवान चढ़े उन्हें दुश्मन ने हलाक कर दिया।


यक़ीनन उस पर क़ाबू पाने की हर उम्मीद फ़रेबदेह साबित होगी, क्योंकि उसे देखते ही इनसान गिर जाता है।


यहूदाह में एलान करो और यरूशलम को इत्तला दो, ‘मुल्क-भर में नरसिंगा बजाओ!’ गला फाड़कर चिल्लाओ, ‘इकट्ठे हो जाओ! आओ, हम क़िलाबंद शहरों में पनाह लें!’


रब फ़रमाता है, “उस दिन बादशाह और उसके अफ़सर हिम्मत हारेंगे, इमामों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे और नबी ख़ौफ़ से सुन होकर रह जाएंगे।”


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