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یسعیاہ 26:20 - किताबे-मुक़द्दस

20 ऐ मेरी क़ौम, जा और थोड़ी देर के लिए अपने कमरों में छुपकर कुंडी लगा ले। जब तक रब का ग़ज़ब ठंडा न हो वहाँ ठहरी रह।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

20 اَے میرے لوگو، جاؤ، اَپنی خوابگاہوں میں داخل ہوکر اَپنے پیچھے دروازے بند کر لو؛ تھوڑی دیر کے لیٔے جَب تک کہ قہر ٹل نہ جائے اَپنے آپ کو چُھپائے رکھو۔

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کِتابِ مُقادّس

20 اَے میرے لوگو! اپنے خلوت خانوں میں داخِل ہو اور اپنے پِیچھے دروازے بند کر لو اور اپنے آپ کو تھوڑی دیر تک چِھپا رکھّو جب تک کہ غضب ٹل نہ جائے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

20 اے میری قوم، جا اور تھوڑی دیر کے لئے اپنے کمروں میں چھپ کر کنڈی لگا لے۔ جب تک رب کا غضب ٹھنڈا نہ ہو وہاں ٹھہری رہ۔

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یسعیاہ 26:20
34 حوالہ جات  

क्योंकि वह लमहा-भर के लिए ग़ुस्से होता, लेकिन ज़िंदगी-भर के लिए मेहरबानी करता है। गो शाम को रोना पड़े, लेकिन सुबह को हम ख़ुशी मनाएँगे।


क्योंकि मुसीबत के दिन वह मुझे अपनी सुकूनतगाह में पनाह देगा, मुझे अपने ख़ैमे में छुपा लेगा, मुझे उठाकर ऊँची चट्टान पर रखेगा।


इसके बजाए जब तू दुआ करता है तो अंदर के कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद कर और फिर अपने बाप से दुआ कर जो पोशीदगी में है। फिर तेरा बाप जो पोशीदा बातें देखता है तुझे इसका मुआवज़ा देगा।


वह तुझे अपने शाहपरों के नीचे ढाँप लेगा, और तू उसके परों तले पनाह ले सकेगा। उस की वफ़ादारी तेरी ढाल और पुश्ता रहेगी।


रब का नाम मज़बूत बुर्ज है जिसमें रास्तबाज़ भागकर महफ़ूज़ रहता है।


आँख की पुतली की तरह मेरी हिफ़ाज़त कर, अपने परों के साये में मुझे छुपा ले।


क्योंकि हमारी मौजूदा मुसीबत हलकी और पल-भर की है, और वह हमारे लिए एक ऐसा अबदी जलाल पैदा कर रही है जिसकी निसबत मौजूदा मुसीबत कुछ भी नहीं।


मेरा तुझ पर ग़ुस्सा जल्द ही ठंडा हो जाएगा और मेरा ग़ज़ब असूरियों पर नाज़िल होकर उन्हें ख़त्म करेगा।”


तू मेरी छुपने की जगह है, तू मुझे परेशानी से महफ़ूज़ रखता, मुझे नजात के नग़मों से घेर लेता है। (सिलाह)


“ऐ मेरी क़ौम, मुझ पर ध्यान दे! ऐ मेरी उम्मत, मुझ पर ग़ौर कर! क्योंकि हिदायत मुझसे सादिर होगी, और मेरा इनसाफ़ क़ौमों की रौशनी बनेगा।


जो अल्लाह तआला की पनाह में रहे वह क़ादिरे-मुतलक़ के साये में सुकूनत करेगा।


तू उन्हें अपने चेहरे की आड़ में लोगों के हमलों से छुपा लेता, उन्हें ख़ैमे में लाकर इलज़ामतराश ज़बानों से महफ़ूज़ रखता है।


जो इस क़िस्म की बातें करते हैं उन्हें जवाब दे, रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि जी हाँ, मैंने उन्हें दूर दूर भगा दिया, और अब वह दीगर क़ौमों के दरमियान ही रहते हैं। मैंने ख़ुद उन्हें मुख़्तलिफ़ ममालिक में मुंतशिर कर दिया, ऐसे इलाक़ों में जहाँ उन्हें मक़दिस में मेरे हुज़ूर आने का मौक़ा थोड़ा ही मिलता है।


मैंने अपने अलफ़ाज़ तेरे मुँह में डालकर तुझे अपने हाथ के साये में छुपाए रखा है ताकि नए सिरे से आसमान को तानूँ, ज़मीन की बुनियादें रखूँ और सिय्यून को बताऊँ, ‘तू मेरी क़ौम है’।”


ऐ रब, मुझे मेरे दुश्मनों से छुड़ा, क्योंकि मैं तुझमें पनाह लेता हूँ।


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तर्ज़ : तबाह न कर। यह सुनहरा गीत उस वक़्त से मुताल्लिक़ है जब वह साऊल से भागकर ग़ार में छुप गया। ऐ अल्लाह, मुझ पर मेहरबानी कर, मुझ पर मेहरबानी कर! क्योंकि मेरी जान तुझमें पनाह लेती है। जब तक आफ़त मुझ पर से गुज़र न जाए मैं तेरे परों के साये में पनाह लूँगा।


फिर रब ने नूह से कहा, “अपने घराने समेत कश्ती में दाख़िल हो जा, क्योंकि इस दौर के लोगों में से मैंने सिर्फ़ तुझे रास्तबाज़ पाया है।


रब फ़रमाता है, “मैं इमामों की जान को तरो-ताज़ा करूँगा, और मेरी क़ौम मेरी बरकतों से सेर हो जाएगी।”


नरो-मादा आए थे। सब कुछ वैसा ही हुआ था जैसा अल्लाह ने नूह को हुक्म दिया था। फिर रब ने दरवाज़े को बंद कर दिया।


हाय यरूशलम, यरूशलम! तू जो नबियों को क़त्ल करती और अपने पास भेजे हुए पैग़ंबरों को संगसार करती है। मैंने कितनी ही बार तेरी औलाद को जमा करना चाहा, बिलकुल उसी तरह जिस तरह मुरग़ी अपने बच्चों को अपने परों तले जमा करके महफ़ूज़ कर लेती है। लेकिन तुमने न चाहा।


मैंने उन्हें सिर्फ़ यह हुक्म दिया कि मेरी सुनो! तब ही मैं तुम्हारा ख़ुदा हूँगा और तुम मेरी क़ौम होगे। पूरे तौर पर उस राह पर चलते रहो जो मैं तुम्हें दिखाता हूँ। तब ही तुम्हारी ख़ैर होगी।


काश तू मुझे पाताल में छुपा देता, मुझे वहाँ उस वक़्त तक पोशीदा रखता जब तक तेरा क़हर ठंडा न हो जाता! काश तू एक वक़्त मुक़र्रर करे जब तू मेरा दुबारा ख़याल करेगा।


ज़हीन आदमी ख़तरा पहले से भाँपकर छुप जाता है, जबकि सादालौह आगे बढ़कर उस की लपेट में आ जाता है।


असूर पर अफ़सोस जो मेरे ग़ज़ब का आला है, जिसके हाथ में मेरे क़हर की लाठी है।


उसके फ़ौजी दूर-दराज़ इलाक़ों बल्कि आसमान की इंतहा से आ रहे हैं। क्योंकि रब अपने ग़ज़ब के आलात के साथ आ रहा है ताकि तमाम मुल्क को बरबाद कर दे।


क्योंकि रब को तमाम उम्मतों पर ग़ुस्सा आ गया है, और उसका ग़ज़ब उनके तमाम लशकरों पर नाज़िल हो रहा है। वह उन्हें मुकम्मल तौर पर तबाह करेगा, इन्हें सफ़्फ़ाक के हवाले करेगा।


इन बातों का मुशाहदा करके तुम्हारा दिल ख़ुश होगा और तुम ताज़ा हरियाली की तरह फलो-फूलोगे।” उस वक़्त ज़ाहिर हो जाएगा कि रब का हाथ उसके ख़ादिमों के साथ है जबकि उसके दुश्मन उसके ग़ज़ब का निशाना बनेंगे।


बादशाह जो जी चाहे करेगा। वह सरफ़राज़ होकर अपने आपको तमाम माबूदों से अज़ीम क़रार देगा। ख़ुदाओं के ख़ुदा के ख़िलाफ़ वह नाक़ाबिले-बयान कुफ़र बकेगा। उसे कामयाबी भी हासिल होगी, लेकिन सिर्फ़ उस वक़्त तक जब तक इलाही ग़ज़ब ठंडा न हो जाए। क्योंकि जो कुछ मुक़र्रर हुआ है उसे पूरा होना है।


ऐ मुल्क के तमाम फ़रोतनो, ऐ उसके अहकाम पर अमल करनेवालो, रब को तलाश करो! रास्तबाज़ी के तालिब हो, हलीमी ढूँडो। शायद तुम उस दिन रब के ग़ज़ब से बच जाओ।


मैं अल्लाह तआला को पुकारता हूँ, अल्लाह से जो मेरा मामला ठीक करेगा।


ताकि वह मुसीबत के दिनों से आराम पाए और उस वक़्त तक सुकून से ज़िंदगी गुज़ारे जब तक बेदीनों के लिए गढ़ा तैयार न हो।


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