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یسعیاہ 26:19 - किताबे-मुक़द्दस

19 लेकिन तेरे मुरदे दुबारा ज़िंदा होंगे, उनकी लाशें एक दिन जी उठेंगी। ऐ ख़ाक में बसनेवालो, जाग उठो और ख़ुशी के नारे लगाओ! क्योंकि तेरी ओस नूरों की शबनम है, और ज़मीन मुरदा रूहों को जन्म देगी।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

19 اَے یَاہوِہ، لیکن تیرے مُردے جئیں گے؛ اُن کی لاشیں اُٹھ کھڑی ہُوں گی۔ تُم جو خاک میں جا بسے ہو، جاگو اَور خُوشی کے نعرے لگاؤ۔ تیری اوس صُبح کی اوس کی مانند ہے؛ زمین اَپنے مُردوں کو پھر سے‏ پیدا کرےگی۔

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کِتابِ مُقادّس

19 تیرے مُردے جی اُٹھیں گے۔ میری لاشیں اُٹھ کھڑی ہوں گی۔ تُم جو خاک میں جا بسے ہو جاگو اور گاؤ کیونکہ تیری اوس اُس اوس کی مانِند ہے جو نباتات پر پڑتی ہے اور زمِین مُردوں کو اُگل دے گی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

19 لیکن تیرے مُردے دوبارہ زندہ ہوں گے، اُن کی لاشیں ایک دن جی اُٹھیں گی۔ اے خاک میں بسنے والو، جاگ اُٹھو اور خوشی کے نعرے لگاؤ! کیونکہ تیری اوس نوروں کی شبنم ہے، اور زمین مُردہ روحوں کو جنم دے گی۔

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یسعیاہ 26:19
37 حوالہ جات  

तब ख़ाक में सोए हुए मुतअद्दिद लोग जाग उठेंगे, कुछ अबदी ज़िंदगी पाने के लिए और कुछ अबदी रुसवाई और घिन का निशाना बनने के लिए।


क्योंकि जो रौशनी में लाया जाता है वह रौशन हो जाता है। इसलिए कहा जाता है, “ऐ सोनेवाले, जाग उठ! मुरदों में से जी उठ, तो मसीह तुझ पर चमकेगा।”


और क़ब्रें खुल गईं। कई मरहूम मुक़द्दसीन के जिस्मों को ज़िंदा कर दिया गया।


मैं फ़िद्या देकर उन्हें पाताल से क्यों रिहा करूँ? मैं उन्हें मौत की गिरिफ़्त से क्यों छुड़ाऊँ? ऐ मौत, तेरे काँटे कहाँ रहे? ऐ पाताल, तेरा डंक कहाँ रहा? उसे काम में ला, क्योंकि मैं तरस नहीं खाऊँगा।


दो दिन के बाद वह हमें नए सिरे से ज़िंदा करेगा और तीसरे दिन हमें दुबारा उठा खड़ा करेगा ताकि हम उसके हुज़ूर ज़िंदगी गुज़ारें।


तूने मुझे मुतअद्दिद तलख़ तजरबों में से गुज़रने दिया है, लेकिन तू मुझे दुबारा ज़िंदा भी करेगा, तू मुझे ज़मीन की गहराइयों में से वापस लाएगा।


मौत इलाही फ़तह का लुक़मा होकर अबद तक नेस्तो-नाबूद रहेगी। तब रब क़ादिरे-मुतलक़ हर चेहरे के आँसू पोंछकर तमाम दुनिया में से अपनी क़ौम की रुसवाई दूर करेगा। रब ही ने यह सब कुछ फ़रमाया है।


उस वक़्त वह हमारे पस्तहाल बदनों को बदलकर अपने जलाली बदन के हमशक्ल बना देगा। और यह वह उस क़ुव्वत के ज़रीए करेगा जिससे वह तमाम चीज़ें अपने ताबे कर सकता है।


लोग सलामती से बीज बोएँगे, अंगूर की बेल वक़्त पर अपना फल लाएगी, खेतों में फ़सलें पकेंगी और आसमान ओस पड़ने देगा। यह तमाम चीज़ें मैं यहूदाह के बचे हुओं को मीरास में दूँगा।


लेकिन मसीह वाक़ई मुरदों में से जी उठा है। वह इंतक़ाल किए हुओं की फ़सल का पहला फल है।


इसराईल के लिए मैं शबनम की मानिंद हूँगा। तब वह सोसन की मानिंद फूल निकालेगा, लुबनान के देवदार के दरख़्त की तरह जड़ पकड़ेगा,


हाँ, मैं सब कुछ कूड़ा ही समझता हूँ ताकि मसीह को, उसके जी उठने की क़ुदरत और उसके दुखों में शरीक होने का फ़ज़ल जान लूँ। यों मैं उस की मौत का हमशक्ल बनता जा रहा हूँ,


मेरी ताक़त ठीकरे की तरह ख़ुश्क हो गई, मेरी ज़बान तालू से चिपक गई है। हाँ, तूने मुझे मौत की ख़ाक में लिटा दिया है।


चुनाँचे इसराईल सलामती से ज़िंदगी गुज़ारेगा, याक़ूब का चश्मा अलग और महफ़ूज़ रहेगा। उस की ज़मीन अनाज और अंगूर की कसरत पैदा करेगी, और उसके ऊपर आसमान ज़मीन पर ओस पड़ने देगा।


और मैं अल्लाह पर वही उम्मीद रखता हूँ जो यह भी रखते हैं, कि क़ियामत का एक दिन होगा जब वह रास्तबाज़ों और नारास्तों को मुरदों में से ज़िंदा कर देगा।


ऐ यरूशलम, उठ! जाग उठ! ऐ शहर जिसने रब के हाथ से उसका ग़ज़ब भरा प्याला पी लिया है, खड़ी हो जा! अब तूने लड़खड़ा देनेवाले प्याले को आख़िरी क़तरे तक चाट लिया है।


यूसुफ़ की बरकत : रब उस की ज़मीन को बरकत दे। आसमान से क़ीमती ओस टपके और ज़मीन के नीचे से चश्मे फूट निकलें।


मेरी तालीम बूँदा-बाँदी जैसी हो, मेरी बात शबनम की तरह ज़मीन पर पड़ जाए। वह बारिश की मानिंद हो जो हरियाली पर बरसती है।


उसने पीलातुस के पास जाकर ईसा की लाश माँगी, और पीलातुस ने हुक्म दिया कि वह उसे दे दी जाए।


जिस दिन तू अपनी फ़ौज को खड़ा करेगा तेरी क़ौम ख़ुशी से तेरे पीछे हो लेगी। तू मुक़द्दस शानो-शौकत से आरास्ता होकर तुलूए-सुबह के बातिन से अपनी जवानी की ओस पाएगा।


मेरी जड़ें पानी तक फैली और मेरी शाख़ें ओस से तर रहेंगी।


रब एक को मरने देता और दूसरे को ज़िंदा होने देता है। वह एक को पाताल में उतरने देता और दूसरे को वहाँ से निकल आने देता है।


दुनिया के तमाम बड़े लोग उसके हुज़ूर खाएँगे और सिजदा करेंगे। ख़ाक में उतरनेवाले सब उसके सामने झुक जाएंगे, वह सब जो अपनी ज़िंदगी को ख़ुद क़ायम नहीं रख सकते।


क्योंकि रब मुझसे हमकलाम हुआ है, “मैं अपनी सुकूनतगाह से ख़ामोशी से देखता रहूँगा। लेकिन मेरी यह ख़ामोशी दोपहर की चिलचिलाती धूप या मौसमे-गरमा में धुंध के बादल की मानिंद होगी।”


बेशक उस की जड़ें पुरानी हो जाएँ और उसका मुढ मिट्टी में ख़त्म होने लगे,


क्या लोग क़ब्र में तेरी शफ़क़त या पाताल में तेरी वफ़ा बयान करेंगे?


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