फिर भी असूर का बादशाह मुतमइन न हुआ। उसने अपने सबसे आला अफ़सरों को बड़ी फ़ौज के साथ लकीस से यरूशलम को भेजा (उनकी अपनी ज़बान में अफ़सरों के ओहदों के नाम तरतान, रब-सारिस और रबशाक़ी थे)। यरूशलम पहुँचकर वह उस नाले के पास रुक गए जो पानी को ऊपरवाले तालाब तक पहुँचाता है (यह तालाब उस रास्ते पर है जो धोबियों के घाट तक ले जाता है)।
