7 इसलिए मोआबी अपने आप पर आहो-ज़ारी कर रहे, सब मिलकर आहें भर रहे हैं। वह सिसक सिसककर क़ीर-हरासत की किशमिश की टिक्कियाँ याद कर रहे हैं, उनका निहायत बुरा हाल हो गया है।
7 اِس لئے موآبی اپنے آپ پر آہ و زاری کر رہے، سب مل کر آہیں بھر رہے ہیں۔ وہ سسک سسک کر قیرحراست کی کشمش کی ٹکیاں یاد کر رہے ہیں، اُن کا نہایت بُرا حال ہو گیا ہے۔
चलते चलते उन्होंने तमाम शहरों को बरबाद किया। जब भी वह किसी अच्छे खेत से गुज़रे तो हर सिपाही ने एक पत्थर उस पर फेंक दिया। यों तमाम खेत पत्थरों से भर गए। इसराईलियों ने तमाम चश्मों को भी बंद कर दिया और हर अच्छे दरख़्त को काट डाला। आख़िर में सिर्फ़ क़ीर-हरासत क़ायम रहा। लेकिन फ़लाख़न चलानेवाले उसका मुहासरा करके उस पर हमला करने लगे।
लोग तुम्हें मशवरा देते हैं, “जाओ, मुरदों से राबिता करनेवालों और क़िस्मत का हाल बतानेवालों से पता करो, उनसे जो बारीक आवाज़ें निकालते और बुड़बुड़ाते हुए जवाब देते हैं।” लेकिन उनसे कहो, “क्या मुनासिब नहीं कि क़ौम अपने ख़ुदा से मशवरा करे? हम ज़िंदों की ख़ातिर मर्दों से बात क्यों करें?”
क़रीब के रहनेवालों ने भी इसमें उनकी मदद की। इशकार, ज़बूलून और नफ़ताली तक के लोग अपने गधों, ऊँटों, ख़च्चरों और बैलों पर खाने की चीज़ें लादकर वहाँ पहुँचे। मैदा, अंजीर और किशमिश की टिक्कियाँ, मै, तेल, बैल और भेड़-बकरियाँ बड़ी मिक़दार में हबरून लाई गईं, क्योंकि तमाम इसराईली ख़ुशी मना रहे थे।