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یسعیاہ 10:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 तुम पर अफ़सोस जो ग़लत क़वानीन सादिर करते और ज़ालिम फ़तवे देते हो

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 افسوس اُن پرجو غَیر مُنصِفانہ قوانین بناتے ہیں، اَور اُن پر بھی جو ظالمانہ اَحکام جاری کرتے ہیں،

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کِتابِ مُقادّس

1 اُن پر افسوس جو بے اِنصافی سے فَیصلے کرتے ہیں اور اُن پر جو ظُلم کی رُوبکاریں لِکھتے ہیں۔

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1 تم پر افسوس جو غلط قوانین صادر کرتے اور ظالم فتوے دیتے ہو

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یسعیاہ 10:1
39 حوالہ جات  

शरीअत के आलिमो, तुम पर अफ़सोस! क्योंकि तुमने इल्म की कुंजी को छीन लिया है। न सिर्फ़ यह कि तुम ख़ुद दाख़िल नहीं हुए, बल्कि तुमने दाख़िल होनेवालों को भी रोक लिया।”


शरीअत के आलिमो और फ़रीसियो, तुम पर अफ़सोस! रियाकारो! गो तुम बड़ी एहतियात से पौदीने, अजवायन और ज़ीरे का दसवाँ हिस्सा हदिये के लिए मख़सूस करते हो, लेकिन तुमने शरीअत की ज़्यादा अहम बातों को नज़रंदाज़ कर दिया है यानी इनसाफ़, रहम और वफ़ादारी को। लाज़िम है कि तुम यह काम भी करो और पहला भी न छोड़ो।


उसे देखते ही राहनुमा इमाम और उनके मुलाज़िम चीख़ने लगे, “इसे मसलूब करें, इसे मसलूब करें!” पीलातुस ने उनसे कहा, “तुम ही इसे ले जाकर मसलूब करो। क्योंकि मुझे इसे मुजरिम ठहराने की कोई वजह नहीं मिली।”


उसके वालिदैन ने यह इसलिए कहा कि वह यहूदियों से डरते थे। क्योंकि वह फ़ैसला कर चुके थे कि जो भी ईसा को मसीह क़रार दे उसे यहूदी जमात से निकाल दिया जाए।


लेकिन यह सब उसका मज़ाक़ उड़ाकर उसे लान-तान करेंगी। वह कहेंगी, ‘उस पर अफ़सोस जो दूसरों की चीज़ें छीनकर अपनी मिलकियत में इज़ाफ़ा करता है, जो क़र्ज़दारों की ज़मानत पर क़ब्ज़ा करने से दौलतमंद हो गया है। यह काररवाई कब तक जारी रहेगी?’


तुम पर अफ़सोस जो यके बाद दीगरे घरों और खेतों को अपनाते जा रहे हो। आख़िरकार दीगर तमाम लोगों को निकलना पड़ेगा और तुम मुल्क में अकेले ही रहोगे।


उन पर अफ़सोस! उन्होंने क़ाबील की राह इख़्तियार की है। पैसों के लालच में उन्होंने अपने आपको पूरे तौर पर उस ग़लती के हवाले कर दिया है जो बिलाम ने की। वह क़ोरह की तरह बाग़ी होकर हलाक हुए हैं।


इब्ने-आदम तो कूच कर जाएगा जिस तरह कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, लेकिन उस शख़्स पर अफ़सोस जिसके वसीले से उसे दुश्मन के हवाले कर दिया जाएगा। उसके लिए बेहतर यह होता कि वह कभी पैदा ही न होता।”


शरीअत के आलिमो और फ़रीसियो, तुम पर अफ़सोस! रियाकारो! तुम नबियों के लिए क़ब्रें तामीर करते और रास्तबाज़ों के मज़ार सजाते हो।


शरीअत के आलिमो और फ़रीसियो, तुम पर अफ़सोस! रियाकारो! तुम ऐसी क़ब्रों से मुताबिक़त रखते हो जिन पर सफेदी की गई हो। गो वह बाहर से दिलकश नज़र आती हैं, लेकिन अंदर से वह मुरदों की हड्डियों और हर क़िस्म की नापाकी से भरी होती हैं।


उस पर अफ़सोस जो शहर को क़त्लो-ग़ारत के ज़रीए तामीर करता, जो आबादी को नाइनसाफ़ी की बुनियाद पर क़ायम करता है।


उस पर अफ़सोस जो नाजायज़ नफ़ा कमाकर अपने घर पर आफ़त लाता है, हालाँकि वह आफ़त से बचने के लिए अपना घोंसला बुलंदियों पर बना लेता है।


तू इसराईल के बादशाहों उमरी और अख़ियब के नमूने पर चल पड़ा है, आज तक उन्हीं के मनसूबों की पैरवी करता आया है। इसलिए मैं तुझे तबाही के हवाले कर दूँगा, तेरे लोगों को मज़ाक़ का निशाना बनाऊँगा। तुझे दीगर अक़वाम की लान-तान बरदाश्त करनी पड़ेगी।”


“ऐ ख़ुराज़ीन, तुझ पर अफ़सोस! बैत-सैदा, तुझ पर अफ़सोस! अगर सूर और सैदा में वह मोजिज़े किए गए होते जो तुममें हुए तो वहाँ के लोग कब के टाट ओढ़कर और सर पर राख डालकर तौबा कर चुके होते।


उस पर अफ़सोस जो लकड़ी से कहता है, ‘जाग उठ!’ और ख़ामोश पत्थर से, ‘खड़ा हो जा!’ क्या यह चीज़ें हिदायत दे सकती हैं? हरगिज़ नहीं! उनमें जान ही नहीं, ख़ाह उन पर सोना या चाँदी क्यों न चढ़ाई गई हो।


उस पर अफ़सोस जो अपना प्याला ज़हरीली शराब से भरकर उसे अपने पड़ोसियों को पिला देता है ताकि उन्हें नशे में लाकर उनकी बरहनगी से लुत्फ़अंदोज़ हो जाए।


यहूयक़ीम बादशाह पर अफ़सोस जो नाजायज़ तरीक़े से अपना घर तामीर कर रहा है, जो नाइनसाफ़ी से उस की दूसरी मनज़िल बना रहा है। क्योंकि वह अपने हमवतनों को मुफ़्त में काम करने पर मजबूर कर रहा है और उन्हें उनकी मेहनत का मुआवज़ा नहीं दे रहा।


तुम पर अफ़सोस जो अपने क़ुसूर को धोकेबाज़ रस्सों के साथ अपने पीछे खींचते और अपने गुनाह को बैलगाड़ी की तरह अपने पीछे घसीटते हो।


लेकिन बेदीनों पर अफ़सोस! उनका अंजाम बुरा होगा, क्योंकि उन्हें ग़लत काम की मुनासिब सज़ा मिलेगी।


हरगिज़ नहीं, तुम दिल में बदी करते और मुल्क में अपने ज़ालिम हाथों के लिए रास्ता बनाते हो।


तुम पर अफ़सोस जो सुबह-सवेरे उठकर शराब के पीछे पड़ जाते और रात-भर मै पी पीकर मस्त हो जाते हो।


फिर दो बदमाश आए और उसके मुक़ाबिल बैठ गए। इजतिमा के दौरान यह आदमी सबके सामने नबोत पर इलज़ाम लगाने लगे, “इस शख़्स ने अल्लाह और बादशाह पर लानत भेजी है! हम इसके गवाह हैं।” तब नबोत को शहर से बाहर ले जाकर संगसार कर दिया गया।


रब अपनी क़ौम के बुज़ुर्गों और रईसों का फ़ैसला करने के लिए सामने आकर फ़रमाता है, “तुम ही अंगूर के बाग़ में चरते हुए सब कुछ खा गए हो, तुम्हारे घर ज़रूरतमंदों के लूटे हुए माल से भरे पड़े हैं।


तुम रिश्वत खाकर मुजरिमों को बरी करते और बेक़ुसूरों के हुक़ूक़ मारते हो।


यही उनका अंजाम होगा जो अदालत में दूसरों को क़ुसूरवार ठहराते, शहर के दरवाज़े में अदालत करनेवाले क़ाज़ी को फँसाने की कोशिश करते और झूटी गवाहियों से बेक़ुसूर का हक़ मारते हैं।


अदालत में कोई मुंसिफ़ाना मुक़दमा नहीं चलाता, कोई सच्चे दलायल पेश नहीं करता। लोग सच्चाई से ख़ाली बातों पर एतबार करके झूट बोलते हैं, वह बदकारी से हामिला होकर बेदीनी को जन्म देते हैं।


हम मानते हैं कि रब से बेवफ़ा रहे बल्कि उसका इनकार भी किया है। हमने अपना मुँह अपने ख़ुदा से फेरकर ज़ुल्म और धोके की बातें फैलाई हैं। हमारे दिलों में झूट का बीज बढ़ते बढ़ते मुँह में से निकला।


लेकिन अदालत में किसी ग़रीब की तरफ़दारी भी न करना।


अदालत में ग़रीब के हुक़ूक़ न मारना।


वह ग़रीबों के सर को ज़मीन पर कुचल देते, मुसीबतज़दों को इनसाफ़ मिलने से रोकते हैं। बाप और बेटा दोनों एक ही कसबी के पास जाकर मेरे नाम की बेहुरमती करते हैं।


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