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یسعیاہ 1:21 - किताबे-मुक़द्दस

21 यह कैसे हो गया है कि जो शहर पहले इतना वफ़ादार था वह अब कसबी बन गया है? पहले यरूशलम इनसाफ़ से मामूर था, और रास्ती उसमें सुकूनत करती थी। लेकिन अब हर तरफ़ क़ातिल ही क़ातिल हैं!

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

21 دیکھ ایک وفاشعار بستی کیسے فاحِشہ بَن گئی! کسی زمانہ میں وہ عدل سے معموُر تھی؛ اَور راستبازوں کا مَسکن لیکن اَب وہاں قاتل بستے ہیں!

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کِتابِ مُقادّس

21 وفادار بستی کَیسی بدکار ہو گئی! وہ تو اِنصاف سے معمُور تھی اور راست بازی اُس میں بستی تھی لیکن اب خُونی رہتے ہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

21 یہ کیسے ہو گیا ہے کہ جو شہر پہلے اِتنا وفادار تھا وہ اب کسبی بن گیا ہے؟ پہلے یروشلم انصاف سے معمور تھا، اور راستی اُس میں سکونت کرتی تھی۔ لیکن اب ہر طرف قاتل ہی قاتل ہیں!

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یسعیاہ 1:21
31 حوالہ جات  

उनकी लाशें उस बड़े शहर की सड़क पर पड़ी रहेंगी जिसका अलामती नाम सदूम और मिसर है। वहाँ उनका आक़ा भी मसलूब हुआ था।


लेकिन बैरूनी सहन को छोड़ दे। उसे मत नाप, क्योंकि उसे ग़ैरईमानदारों को दिया गया है जो मुक़द्दस शहर को 42 महीनों तक कुचलते रहेंगे।


नहीं, आप सिय्यून पहाड़ के पास आ गए हैं, यानी ज़िंदा ख़ुदा के शहर आसमानी यरूशलम के पास। आप बेशुमार फ़रिश्तों और जशन मनानेवाली जमात के पास आ गए हैं,


क्या कभी कोई नबी था जिसे आपके बापदादा ने न सताया? उन्होंने उन्हें भी क़त्ल किया जिन्होंने रास्तबाज़ मसीह की पेशगोई की, उस शख़्स की जिसे आपने दुश्मनों के हवाले करके मार डाला।


हाय यरूशलम, यरूशलम! तू जो नबियों को क़त्ल करती और अपने पास भेजे हुए पैग़ंबरों को संगसार करती है। मैंने कितनी ही बार तेरी औलाद को जमा करना चाहा, बिलकुल उसी तरह जिस तरह मुरग़ी अपने बच्चों को अपने परों तले जमा करके महफ़ूज़ कर लेती है। लेकिन तूने न चाहा।


रब फ़रमाता है कि मैं सिय्यून के पास वापस आऊँगा, दुबारा यरूशलम के बीच में सुकूनत करूँगा। तब यरूशलम ‘वफ़ादारी का शहर’ और रब्बुल-अफ़वाज का पहाड़ ‘कोहे-मुक़द्दस’ कहलाएगा।


इसराईल ने मुझे झूट से घेर लिया, फ़रेब से मेरा मुहासरा कर लिया है। लेकिन यहूदाह भी मज़बूती से अल्लाह के साथ नहीं है बल्कि आवारा फिरता है, हालाँकि क़ुद्दूस ख़ुदा वफ़ादार है।”


रब फ़रमाता है, “अगर कोई अपनी बीवी को तलाक़ दे और अलग होने के बाद बीवी की किसी और से शादी हो जाए तो क्या पहले शौहर को उससे दुबारा शादी करने की इजाज़त है? हरगिज़ नहीं, बल्कि ऐसी हरकत से पूरे मुल्क की बेहुरमती हो जाती है। देख, यही तेरी हालत है। तूने मुतअद्दिद आशिक़ों से ज़िना किया है, और अब तू मेरे पास वापस आना चाहती है। यह कैसी बात है?


हाँ तवज्जुह दो, तुम जो मुक़द्दस शहर के लोग कहलाते और इसराईल के ख़ुदा पर एतमाद करते हो, सुनो कि अल्लाह जिसका नाम रब्बुल-अफ़वाज है क्या फ़रमाता है।


सुनो, इसराईली क़ौम अंगूर का बाग़ है जिसका मालिक रब्बुल-अफ़वाज है। यहूदाह के लोग उसके लगाए हुए पौदे हैं जिनसे वह लुत्फ़अंदोज़ होना चाहता है। वह उम्मीद रखता था कि इनसाफ़ की फ़सल पैदा होगी, लेकिन अफ़सोस! उन्होंने ग़ैरक़ानूनी हरकतें कीं। रास्ती की तवक़्क़ो थी, लेकिन मज़लूमों की चीख़ें ही सुनाई दीं।


जो कुछ हमने सुना है वह हमारे देखते देखते रब्बुल-अफ़वाज हमारे ख़ुदा के शहर पर सादिक़ आया है, अल्लाह उसे अबद तक क़ायम रखेगा। (सिलाह)


गीत। क़ोरह की औलाद का ज़बूर। रब अज़ीम और बड़ी तारीफ़ के लायक़ है। उसका मुक़द्दस पहाड़ हमारे ख़ुदा के शहर में है।


दरिया की शाख़ें अल्लाह के शहर को ख़ुश करती हैं, उस शहर को जो अल्लाह तआला की मुक़द्दस सुकूनतगाह है।


क़ौम के बुज़ुर्ग यरूशलम में आबाद हुए थे। फ़ैसला किया गया कि बाक़ी लोगों के हर दसवें ख़ानदान को मुक़द्दस शहर यरूशलम में बसना है। यह ख़ानदान क़ुरा डालकर मुक़र्रर किए गए। बाक़ी ख़ानदानों को उनकी मक़ामी जगहों में रहने की इजाज़त थी।


यहूसफ़त ने उन्हें समझाते हुए कहा, “रब का ख़ौफ़ मानकर अपनी ख़िदमत को वफ़ादारी और पूरे दिल से सरंजाम दें।


जितनी देर दाऊद पूरे इसराईल पर हुकूमत करता रहा उतनी देर तक उसने ध्यान दिया कि क़ौम के हर एक शख़्स को इनसाफ़ मिल जाए।


फिर सात प्याले अपने पास रखनेवाले इन सात फ़रिश्तों में से एक मेरे पास आया। उसने कहा, “आ, मैं तुझे उस बड़ी कसबी की सज़ा दिखा दूँ जो गहरे पानी के पास बैठी है।


ऐ यरूशलम, तेरी ख़ालिस चाँदी ख़ाम चाँदी में बदल गई है, तेरी बेहतरीन मै में पानी मिलाया गया है।


क्योंकि तुम्हारे हाथ ख़ूनआलूदा, तुम्हारी उँगलियाँ गुनाह से नापाक हैं। तुम्हारे होंट झूट बोलते और तुम्हारी ज़बान शरीर बातें फुसफुसाती है।


नतीजे में इनसाफ़ पीछे हट गया, और रास्ती दूर खड़ी रहती है। सच्चाई चौक में ठोकर खाकर गिर गई है, और दियानतदारी दाख़िल ही नहीं हो सकती।


चुनाँचे सच्चाई कहीं भी पाई नहीं जाती, और ग़लत काम से गुरेज़ करनेवाले को लूटा जाता है। यह सब कुछ रब को नज़र आया, और वह नाख़ुश था कि इनसाफ़ नहीं है।


उनकी माँ ने ज़िना किया, उन्हें जन्म देनेवाली ने शर्मनाक हरकतें की हैं। वह बोली, ‘मैं अपने आशिक़ों के पीछे भाग जाऊँगी। आख़िर मेरी रोटी, पानी, ऊन, कतान, तेल और पीने की चीज़ें वही मुहैया करते हैं।’


नतीजे में शरीअत बेअसर हो गई है, और बा-इनसाफ़ फ़ैसले कभी जारी नहीं होते। बेदीनों ने रास्तबाज़ों को घेर लिया है, इसलिए अदालत में बेहूदा फ़ैसले किए जाते हैं।


अफ़सोस, जब बेदीन पर रहम किया जाता है तो वह इनसाफ़ का मतलब नहीं सीखता बल्कि इनसाफ़ के मुल्क में भी ग़लत काम करने से बाज़ नहीं रहता, वहाँ भी रब की अज़मत का लिहाज़ नहीं करता।


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