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یسعیاہ 1:13 - किताबे-मुक़द्दस

13 रुक जाओ! अपनी बेमानी क़ुरबानियाँ मत पेश करो! तुम्हारे बख़ूर से मुझे घिन आती है। नए चाँद की ईद और सबत का दिन मत मनाओ, लोगों को इबादत के लिए जमा न करो! मैं तुम्हारे बेदीन इजतिमा बरदाश्त ही नहीं कर सकता।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

13 باطِل قُربانیاں لانے سے باز آؤ! تمہارے بخُور سے مُجھے سخت نفرت ہے۔ نئے چاند، سَبت اَور عید کے اِجتماع اَور تمہاری ناشائستہ محفلیں مَیں برداشت نہیں کر سَکتا۔

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کِتابِ مُقادّس

13 آیندہ کو باطِل ہدئے نہ لانا۔ بخُور سے مُجھے نفرت ہے۔ نئے چاند اور سبت اور عِیدی جماعت سے بھی کیونکہ مُجھ میں بدکرداری کے ساتھ عِید کی برداشت نہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

13 رُک جاؤ! اپنی بےمعنی قربانیاں مت پیش کرو! تمہارے بخور سے مجھے گھن آتی ہے۔ نئے چاند کی عید اور سبت کا دن مت مناؤ، لوگوں کو عبادت کے لئے جمع نہ کرو! مَیں تمہارے بےدین اجتماع برداشت ہی نہیں کر سکتا۔

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یسعیاہ 1:13
25 حوالہ جات  

लेकिन बैल को ज़बह करनेवाला क़ातिल के बराबर और लेले को क़ुरबान करनेवाला कुत्ते की गरदन तोड़नेवाले के बराबर है। ग़ल्ला की नज़र पेश करनेवाला सुअर का ख़ून चढ़ानेवाले से बेहतर नहीं, और बख़ूर जलानेवाला बुतपरस्त की मानिंद है। इन लोगों ने अपनी ग़लत राहों को इख़्तियार किया है, और इनकी जान अपनी घिनौनी चीज़ों से लुत्फ़अंदोज़ होती है।


काश तुममें से कोई मेरे घर के दरवाज़ों को बंद करे ताकि मेरी क़ुरबानगाह पर बेफ़ायदा आग न लगा सको! मैं तुमसे ख़ुश नहीं, और तुम्हारे हाथों से क़ुरबानियाँ मुझे बिलकुल पसंद नहीं।” यह रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।


वह मेरी परस्तिश करते तो हैं, लेकिन बेफ़ायदा। क्योंकि वह सिर्फ़ इनसान ही के अहकाम सिखाते हैं’।”


जहाँ तेरा ताल्लुक़ है, ऐ इसराईली क़ौम, रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि जाओ, हर एक अपने बुतों की इबादत करता जाए अगर तुम मेरी नहीं सुनने के। लेकिन तुम अपनी क़ुरबानियों और बुतों की पूजा से मेरे मुक़द्दस नाम की बेहुरमती नहीं करोगे।


फ़रीसियो, तुम पर अफ़सोस! क्योंकि एक तरफ़ तुम पौदीना, सदाब और बाग़ की हर क़िस्म की तरकारी का दसवाँ हिस्सा अल्लाह के लिए मख़सूस करते हो, लेकिन दूसरी तरफ़ तुम इनसाफ़ और अल्लाह की मुहब्बत को नज़रंदाज़ करते हो। लाज़िम है कि तुम यह काम भी करो और पहला भी न छोड़ो।


कोहे-सिय्यून पर नरसिंगा फूँको, मुक़द्दस रोज़े का एलान करो, लोगों को ख़ास इजतिमा के लिए बुलाओ!


उसने अपनी सुकूनतगाह को बाग़ की झोंपड़ी की तरह गिरा दिया, उसी मक़ाम को बरबाद कर दिया जहाँ क़ौम उससे मिलने के लिए जमा होती थी। रब के हाथों यों हुआ कि अब सिय्यून की ईदों और सबतों की याद ही नहीं रही। उसके शदीद क़हर ने बादशाह और इमाम दोनों को रद्द कर दिया है।


अल्लाह के मुक़द्दस रूह को दुख न पहुँचाना, क्योंकि उसी से अल्लाह ने आप पर मुहर लगाकर यह ज़मानत दे दी है कि आप उसी के हैं और नजात के दिन बच जाएंगे।


मैं आपको एक और हिदायत देता हूँ। लेकिन इस सिलसिले में मेरे पास आपके लिए तारीफ़ी अलफ़ाज़ नहीं, क्योंकि आपका जमा होना आपकी बेहतरी का बाइस नहीं होता बल्कि नुक़सान का बाइस।


मुक़द्दस रोज़े का एलान करो। लोगों को ख़ास इजतिमा के लिए बुलाओ। बुज़ुर्गों और मुल्क के तमाम बाशिंदों को रब अपने ख़ुदा के घर में जमा करके बुलंद आवाज़ से रब से इल्तिजा करो।


बेदीनों की क़ुरबानी क़ाबिले-घिन है, ख़ासकर जब उसे बुरे मक़सद से पेश किया जाए।


रेगिस्तान में वह कितनी दफ़ा उससे सरकश हुए, कितनी मरतबा उसे दुख पहुँचाया।


जब भी रब को भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश की जाएँ तो लावी मदद करें, ख़ाह सबत को, ख़ाह नए चाँद की ईद या किसी और ईद के मौक़े पर हो। लाज़िम है कि वह रोज़ाना मुक़र्ररा तादाद के मुताबिक़ ख़िदमत के लिए हाज़िर हो जाएँ।”


इस ईद के पहले और आख़िरी दिन मुक़द्दस इजतिमा मुनअक़िद करना। इन तमाम दिनों के दौरान काम न करना। सिर्फ़ एक काम की इजाज़त है और वह है अपना खाना तैयार करना।


बेशक बाज़ तो हसद और मुख़ालफ़त के बाइस मसीह की मुनादी कर रहे हैं, लेकिन बाक़ियों की नीयत अच्छी है,


“चाँदी के दो बिगुल घड़कर बनवा ले। उन्हें जमात को जमा करने और क़बीलों को रवाना करने के लिए इस्तेमाल कर।


उस वक़्त तमाम इनसान मेरे पास आकर मुझे सिजदा करेंगे। हर नए चाँद और हर सबत को वह बाक़ायदगी से आते रहेंगे।” यह रब का फ़रमान है।


मैं उस की तमाम ख़ुशियाँ बंद कर दूँगा। न कोई ईद, न नए चाँद का तहवार, न सबत का दिन या बाक़ी कोई मुक़र्ररा जशन मनाया जाएगा।


मैं तुम्हारे शहरों को खंडरात में बदलकर तुम्हारे मंदिरों को बरबाद करूँगा। तुम्हारी क़ुरबानियों की ख़ुशबू मुझे पसंद नहीं आएगी।


शौहर ने हैरान होकर पूछा, “आज उसके पास क्यों जाना है? न तो नए चाँद की ईद है, न सबत का दिन।” बीवी ने कहा, “सब ख़ैरियत है।”


“मुझे सलामती की क़ुरबानियाँ पेश करनी थीं, और आज ही मैंने अपनी मन्नतें पूरी कीं।


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