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یسعیاہ 1:11 - किताबे-मुक़द्दस

11 रब फ़रमाता है, “अगर तुम बेशुमार क़ुरबानियाँ पेश करो तो मुझे क्या? मैं तो भस्म होनेवाले मेंढों और मोटे-ताज़े बछड़ों की चरबी से उकता गया हूँ। बैलों, लेलों और बकरों का जो ख़ून मुझे पेश किया जाता है वह मुझे पसंद नहीं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

11 ”تمہاری کثیرُالتعداد قُربانیاں میرے کس کام کی ہیں؟“ یَاہوِہ فرماتے ہیں: مینڈھوں کی سوختنی نذروں سے، اَور فربہ جانوروں کی چربی سے میرا جی بھر چُکاہے؛ بَیلوں، برّوں اَور بکروں کا خُون میری خُوشی کا باعث نہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

11 خُداوند فرماتا ہے تُمہارے ذبِیحوں کی کثرت سے مُجھے کیا کام؟ مَیں مینڈھوں کی سوختنی قُربانِیوں سے اور فربَہ بچھڑوں کی چربی سے بیزار ہُوں اور بَیلوں اور بھیڑوں اور بکروں کے خُون میں میری خُوشنُودی نہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

11 رب فرماتا ہے، ”اگر تم بےشمار قربانیاں پیش کرو تو مجھے کیا؟ مَیں تو بھسم ہونے والے مینڈھوں اور موٹے تازے بچھڑوں کی چربی سے اُکتا گیا ہوں۔ بَیلوں، لیلوں اور بکروں کا جو خون مجھے پیش کیا جاتا ہے وہ مجھے پسند نہیں۔

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یسعیاہ 1:11
23 حوالہ جات  

रब फ़रमाता है, “मुझे तुम्हारे मज़हबी तहवारों से नफ़रत है, मैं उन्हें हक़ीर जानता हूँ। तुम्हारे इजतिमाओं से मुझे घिन आती है।


लेकिन समुएल ने जवाब दिया, “रब को क्या बात ज़्यादा पसंद है, आपकी भस्म होनेवाली और ज़बह की क़ुरबानियाँ या यह कि आप उस की सुनते हैं? सुनना क़ुरबानी से कहीं बेहतर और ध्यान देना मेंढे की चरबी से कहीं उम्दा है।


मुझे सबा के बख़ूर या दूर-दराज़ ममालिक के क़ीमती मसालों की क्या परवा! तुम्हारी भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ मुझे पसंद नहीं, तुम्हारी ज़बह की क़ुरबानियों से मैं लुत्फ़अंदोज़ नहीं होता।”


लेकिन बैल को ज़बह करनेवाला क़ातिल के बराबर और लेले को क़ुरबान करनेवाला कुत्ते की गरदन तोड़नेवाले के बराबर है। ग़ल्ला की नज़र पेश करनेवाला सुअर का ख़ून चढ़ानेवाले से बेहतर नहीं, और बख़ूर जलानेवाला बुतपरस्त की मानिंद है। इन लोगों ने अपनी ग़लत राहों को इख़्तियार किया है, और इनकी जान अपनी घिनौनी चीज़ों से लुत्फ़अंदोज़ होती है।


क्या रब हज़ारों मेंढों या तेल की बेशुमार नदियों से ख़ुश हो जाएगा? क्या मुझे अपने पहलौठे को अपने जरायम के एवज़ चढ़ाना चाहिए, अपने जिस्म के फल को अपने गुनाहों को मिटाने के लिए पेश करना चाहिए? हरगिज़ नहीं!


काश तुममें से कोई मेरे घर के दरवाज़ों को बंद करे ताकि मेरी क़ुरबानगाह पर बेफ़ायदा आग न लगा सको! मैं तुमसे ख़ुश नहीं, और तुम्हारे हाथों से क़ुरबानियाँ मुझे बिलकुल पसंद नहीं।” यह रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।


रब बेदीनों की क़ुरबानी से घिन खाता, लेकिन सीधी राह पर चलनेवालों की दुआ से ख़ुश होता है।


मैं तुझे तेरी ज़बह की क़ुरबानियों के बाइस मलामत नहीं कर रहा। तेरी भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ तो मुसलसल मेरे सामने हैं।


बेदीनों की क़ुरबानी क़ाबिले-घिन है, ख़ासकर जब उसे बुरे मक़सद से पेश किया जाए।


पहले जाओ और कलामे-मुक़द्दस की इस बात का मतलब जान लो कि ‘मैं क़ुरबानी नहीं बल्कि रहम पसंद करता हूँ।’ क्योंकि मैं रास्तबाज़ों को नहीं बल्कि गुनाहगारों को बुलाने आया हूँ।”


क्योंकि तू ज़बह की क़ुरबानी नहीं चाहता, वरना मैं वह पेश करता। भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ तुझे पसंद नहीं।


रब्बुल-अफ़वाज जो इसराईल का ख़ुदा है फ़रमाता है, “भस्म होनेवाली क़ुरबानियों को मुझे पेश न करो, बल्कि उनका गोश्त दीगर क़ुरबानियों समेत ख़ुद खा लो।


फिर उसने मज़ीद कुछ नौकरों को भेजकर कहा, ‘मेहमानों को बताना कि मैंने अपना खाना तैयार कर रखा है। बैलों और मोटे-ताज़े बछड़ों को ज़बह किया गया है,


तू क़ुरबानियाँ और नज़रें नहीं चाहता था, लेकिन तूने मेरे कानों को खोल दिया। तूने भस्म होनेवाली क़ुरबानियों और गुनाह की क़ुरबानियों का तक़ाज़ा न किया।


रास्तबाज़ी और इनसाफ़ करना रब को ज़बह की क़ुरबानियों से कहीं ज़्यादा पसंद है।


रोज़ बरोज़ वह मेरी मरज़ी दरियाफ़्त करते हैं। हाँ, वह मेरी राहों को जानने के शौक़ीन हैं, उस क़ौम की मानिंद जिसने अपने ख़ुदा के अहकाम को तर्क नहीं किया बल्कि रास्तबाज़ है। चुनाँचे वह मुझसे मुंसिफ़ाना फ़ैसले माँगकर ज़ाहिरन अल्लाह की क़ुरबत से लुत्फ़अंदोज़ होते हैं।


क्योंकि मैं क़ुरबानी नहीं बल्कि रहम पसंद करता हूँ, भस्म होनेवाली क़ुरबानियों की निसबत मुझे यह पसंद है कि तुम अल्लाह को जान लो।


जो भस्म होनेवाली और ग़ल्ला की क़ुरबानियाँ तुम मुझे पेश करते हो उन्हें मैं पसंद नहीं करता, जो मोटे-ताज़े बैल तुम मुझे सलामती की क़ुरबानी के तौर पर चढ़ाते हो उन पर मैं नज़र भी नहीं डालना चाहता।


फिर हज्जी ने कहा, “रब फ़रमाता है कि मेरी नज़र में इस क़ौम का यही हाल है। जो कुछ भी यह करते और क़ुरबान करते हैं वह नापाक है।


“मुल्क के तमाम बाशिंदों और इमामों से कह, ‘बेशक तुम 70 साल से पाँचवें और सातवें महीने में रोज़ा रखकर मातम करते आए हो। लेकिन क्या तुमने यह दस्तूर वाक़ई मेरी ख़ातिर अदा किया? हरगिज़ नहीं!


गो वह मुझे क़ुरबानियाँ पेश करके उनका गोश्त खाते हैं, लेकिन मैं, रब इनसे ख़ुश नहीं होता बल्कि उनके गुनाहों को याद करके उन्हें सज़ा दूँगा। तब उन्हें दुबारा मिसर जाना पड़ेगा।


ख़मीरी रोटी जलाकर अपनी शुक्रगुज़ारी का इज़हार करो, बुलंद आवाज़ से उन क़ुरबानियों का एलान करो जो तुम अपनी ख़ुशी से अदा कर रहे हो। क्योंकि ऐसी हरकतें तुम इसराईलियों को बहुत पसंद हैं।” यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।


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