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ہوسیع 6:4 - किताबे-मुक़द्दस

4 “ऐ इसराईल, मैं तेरे साथ क्या करूँ? ऐ यहूदाह, मैं तेरे साथ क्या करूँ? तुम्हारी मुहब्बत सुबह की धुंध जैसी आरिज़ी है। धूप में ओस की तरह वह जल्द ही काफ़ूर हो जाती है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

4 اَے اِفرائیمؔ، مَیں تیرے ساتھ کیا کروں؟ اَے بنی یہُوداہؔ، مَیں تیرے ساتھ کیا کروں؟ کیونکہ تمہاری مَحَبّت صُبح کے کُہر، اَور علی الصبح کی اوس کی مانند ہے جو غائب ہو جاتی ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

4 اَے اِفرائِیم مَیں تُجھ سے کیا کرُوں؟ اَے یہُوداؔہ مَیں تُجھ سے کیا کرُوں؟ کیونکہ تُمہاری نیکی صُبح کے بادل اور شبنم کی مانِند جلد جاتی رہتی ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

4 ”اے اسرائیل، مَیں تیرے ساتھ کیا کروں؟ اے یہوداہ، مَیں تیرے ساتھ کیا کروں؟ تمہاری محبت صبح کی دُھند جیسی عارضی ہے۔ دھوپ میں اوس کی طرح وہ جلد ہی کافور ہو جاتی ہے۔

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ہوسیع 6:4
19 حوالہ جات  

इसलिए वह सुबह-सवेरे की धुंध जैसे आरिज़ी और धूप में जल्द ही ख़त्म होनेवाली ओस की मानिंद होंगे। वह गाहते वक़्त गंदुम से अलग होनेवाले भूसे की मानिंद हवा में उड़ जाएंगे, घर में से निकलनेवाले धुएँ की तरह ज़ाया हो जाएंगे।


ऐ इसराईल, मैं तुझे किस तरह छोड़ सकता हूँ? मैं तुझे किस तरह दुश्मन के हवाले कर सकता, किस तरह अदमा की तरह दूसरों के क़ब्ज़े में छोड़ सकता, किस तरह ज़बोईम की तरह तबाह कर सकता हूँ? मेरा इरादा सरासर बदल गया है, मैं तुझ पर शफ़क़त करने के लिए बेचैन हूँ।


लेकिन वह जड़ नहीं पकड़ते और इसलिए ज़्यादा देर तक क़ायम नहीं रहते। ज्योंही वह कलाम पर ईमान लाने के बाइस किसी मुसीबत या ईज़ारसानी से दोचार हो जाएँ तो वह बरगश्ता हो जाते हैं।


अब तुमने पछताकर वह कुछ किया जो मुझे पसंद था। हर एक ने एलान किया कि हम अपने हमवतन ग़ुलामों को आज़ाद कर देंगे। तुम उस घर में आए जिस पर मेरे नाम का ठप्पा लगा है और अहद बाँधकर मेरे हुज़ूर उस वादे की तसदीक़ की।


इसलिए रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “देखो, मैं उन्हें ख़ाम चाँदी की तरह पिघलाकर आज़माऊँगा, क्योंकि मैं अपनी क़ौम, अपनी बेटी के साथ और क्या कर सकता हूँ?


लेकिन अफ़सोस, इस क़ौम का दिल ज़िद्दी और सरकश है। यह लोग सहीह राह से हटकर अपनी ही राहों पर चल पड़े हैं।


रब फ़रमाता है, “क्या मैं जवाब में उन्हें सज़ा न दूँ? क्या मैं ऐसी क़ौम से इंतक़ाम न लूँ?


“मैं तुझे कैसे मुआफ़ करूँ? तेरी औलाद ने मुझे तर्क करके उनकी क़सम खाई है जो ख़ुदा नहीं हैं। गो मैंने उनकी हर ज़रूरत पूरी की तो भी उन्होंने ज़िना किया, चकले के सामने उनकी लंबी क़तारें लगी रहीं।


मैंने सोचा, काश मैं तेरे साथ बेटों का-सा सुलूक करके तुझे एक ख़ुशगवार मुल्क दे सकूँ, एक ऐसी मीरास जो दीगर अक़वाम की निसबत कहीं शानदार हो। मैं समझा कि तुम मुझे अपना बाप ठहराकर अपना मुँह मुझसे नहीं फेरोगे।


इसके बावुजूद उस की बेवफ़ा बहन यहूदाह पूरे दिल से नहीं बल्कि सिर्फ़ ज़ाहिरी तौर पर मेरे पास वापस आई।” यह रब का फ़रमान है।


इसराईल को शफ़ा देना चाहता हूँ तो इसराईल का क़ुसूर और सामरिया की बुराई साफ़ ज़ाहिर हो जाती है। क्योंकि फ़रेब देना उनका पेशा ही बन गया है। चोर घरों में नक़ब लगाते जबकि बाहर गली में डाकुओं के जत्थे लोगों को लूट लेते हैं।


तो इसराईली दुबारा वह कुछ करने लगे जो रब की नज़र में बुरा था। इसलिए उसने मोआब के बादशाह इजलून को इसराईल पर ग़ालिब आने दिया।


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