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ہوسیع 12:8 - किताबे-मुक़द्दस

8 वह कहता है, “मैं अमीर हो गया हूँ, मैंने कसरत की दौलत पाई है। कोई साबित नहीं कर सकेगा कि मुझसे यह तमाम मिलकियत हासिल करने में कोई क़ुसूर या गुनाह सरज़द हुआ है।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

8 اِفرائیمؔ شیخی مارتا ہے کہ، مَیں بہت بڑا رئیس ہُوں مَیں دولتمند بَن گیا ہُوں۔ میری اِس قدر دولت کے باعث وہ مُجھ میں کویٔی بُرائی یا گُناہ نہ پائیں گے۔

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کِتابِ مُقادّس

8 اِفرائِیم تو کہتا ہے مَیں دَولت مند ہُوں اور مَیں نے بُہت سا مال حاصِل کِیا ہے میری ساری کمائی میں بدکرداری کا گُناہ نہ پائیں گے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

8 وہ کہتا ہے، ”مَیں امیر ہو گیا ہوں، مَیں نے کثرت کی دولت پائی ہے۔ کوئی ثابت نہیں کر سکے گا کہ مجھ سے یہ تمام ملکیت حاصل کرنے میں کوئی قصور یا گناہ سرزد ہوا ہے۔“

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ہوسیع 12:8
29 حوالہ جات  

तू कहता है, ‘मैं अमीर हूँ, मैंने बहुत दौलत हासिल कर ली है और मुझे किसी भी चीज़ की ज़रूरत नहीं।’ और तू नहीं जानता कि तू असल में बदबख़्त, क़ाबिले-रहम, ग़रीब, अंधा और नंगा है।


ज़ुल्म पर एतमाद न करो, चोरी करने पर फ़ज़ूल उम्मीद न रखो। और अगर दौलत बढ़ जाए तो तुम्हारा दिल उससे लिपट न जाए।


यह लोग आपस में झगड़ने की वजह से हमेशा कुढ़ते रहते हैं। उनके ज़हन बिगड़ गए हैं और सच्चाई उनसे छीन ली गई है। हाँ, यह समझते हैं कि ख़ुदातरस ज़िंदगी गुज़ारने से माली नफ़ा हासिल किया जा सकता है।


जो उन्हें ख़रीद लेते वह उन्हें ज़बह करते हैं और क़ुसूरवार नहीं ठहरते। और जो उन्हें बेचते वह कहते हैं, ‘अल्लाह की हम्द हो, मैं अमीर हो गया हूँ!’ उनके अपने चरवाहे उन पर तरस नहीं खाते।


ज़िनाकार औरत की यह राह है, वह खा लेती और फिर अपना मुँह पोंछकर कहती है, “मुझसे कोई ग़लती नहीं हुई।”


ऐसी नसल भी है जो अपनी नज़र में पाक-साफ़ है, गो उस की ग़िलाज़त दूर नहीं हुई।


“लो, यह वह आदमी है जिसने अल्लाह में पनाह न ली बल्कि अपनी बड़ी दौलत पर एतमाद किया, जो अपने तबाहकुन मनसूबों से ताक़तवर हो गया था।”


ऐसे लोग अपनी मिलकियत पर एतमाद और अपनी बड़ी दौलत पर फ़ख़र करते हैं।


जब तुझे कामयाबी हासिल होगी तो यह न कहना कि मैंने अपनी ही क़ुव्वत और ताक़त से यह सब कुछ हासिल किया है।


जो मौजूदा दुनिया में अमीर हैं उन्हें समझाएँ कि वह मग़रूर न हों, न दौलत जैसी ग़ैरयक़ीनी चीज़ पर उम्मीद रखें। इसकी बजाए वह अल्लाह पर उम्मीद रखें जो हमें फ़ैयाज़ी से सब कुछ मुहैया करता है ताकि हम उससे लुत्फ़अंदोज़ हो जाएँ।


उसने उनसे कहा, “तुम ही वह हो जो अपने आपको लोगों के सामने रास्तबाज़ क़रार देते हो, लेकिन अल्लाह तुम्हारे दिलों से वाक़िफ़ है। क्योंकि लोग जिस चीज़ की बहुत क़दर करते हैं वह अल्लाह के नज़दीक मकरूह है।


कोई भी ग़ुलाम दो मालिकों की ख़िदमत नहीं कर सकता। या तो वह एक से नफ़रत करके दूसरे से मुहब्बत रखेगा, या एक से लिपटकर दूसरे को हक़ीर जानेगा। तुम एक ही वक़्त में अल्लाह और दौलत की ख़िदमत नहीं कर सकते।”


फिर मैं अपने आपसे कहूँगा कि लो, इन अच्छी चीज़ों से तेरी ज़रूरियात बहुत सालों तक पूरी होती रहेंगी। अब आराम कर। खा, पी और ख़ुशी मना।’


लेकिन आलिम ने अपने आपको दुरुस्त साबित करने की ग़रज़ से पूछा, “तो मेरा पड़ोसी कौन है?”


रब फ़रमाता है, “तुम मेरे बारे में कुफ़र बकते हो। तुम कहते हो, ‘हम क्योंकर कुफ़र बकते हैं?’


तब वह अपने जाल के सामने बख़ूर जलाकर उसे जानवर क़ुरबान करता है। क्योंकि उसी के वसीले से वह ऐशो-इशरत की ज़िंदगी गुज़ार सकता है।


“तू किस तरह यह कहने की जुर्रत कर सकती है कि मैंने अपने आपको आलूदा नहीं किया, मैं बाल देवताओं के पीछे नहीं गई। वादी में अपनी हरकतों पर तो ग़ौर कर! जान ले कि तुझसे क्या कुछ सरज़द हुआ है। तू बेमक़सद इधर-उधर भागनेवाली ऊँटनी है।


तू बज़िद है कि मैं बेक़ुसूर हूँ, अल्लाह का मुझ पर ग़ुस्सा ठंडा हो गया है। लेकिन मैं तेरी अदालत करूँगा, इसलिए कि तू कहती है, ‘मुझसे गुनाह सरज़द नहीं हुआ।’


तुम्हारी बातों को सुन सुनकर रब थक गया है। तुम पूछते हो, “हमने उसे किस तरह थका दिया है?” इसमें कि तुम दावा करते हो, “बदी करनेवाला रब की नज़र में ठीक है, वह ऐसे लोगों को पसंद करता है।” तुम यह भी कहते हो, “अल्लाह कहाँ है? वह इनसाफ़ क्यों नहीं करता?”


बड़ी दानिशमंदी से तूने तिजारत के ज़रीए अपनी दौलत बढ़ाई। लेकिन जितनी तेरी दौलत बढ़ती गई उतना ही तेरा ग़ुरूर भी बढ़ता गया।


मेरी क़ौम के गुनाह उनकी ख़ुराक हैं, और वह इस लालच में रहते हैं कि लोगों का क़ुसूर मज़ीद बढ़ जाए।


वहाँ उन्हें अच्छी ख़ुराक मिली। लेकिन जब वह जी भरकर खा सके और सेर हुए तो मग़रूर होकर मुझे भूल गए।


ऐ इसराईल, तौबा करके रब अपने ख़ुदा के पास वापस आ! क्योंकि तेरा क़ुसूर तेरे ज़वाल का सबब बन गया है।


रब ग़लत तराज़ू से घिन खाता है, वह सहीह तराज़ू ही से ख़ुश होता है।


और जिस तरह शिकारी अपने पिंजरे को चिड़ियों से भर देता है उसी तरह इन शरीर लोगों के घर फ़रेब से भरे रहते हैं। अपनी चालों से वह अमीर, ताक़तवर


तुम कहते हो, “नए चाँद की ईद कब गुज़र जाएगी, सबत का दिन कब ख़त्म है ताकि हम अनाज के गोदाम खोलकर ग़ल्ला बेच सकें? तब हम पैमाइश के बरतन छोटे और तराज़ू के बाट हलके बनाएँगे, साथ साथ सौदे का भाव बढ़ाएँगे। हम फ़रोख़्त करते वक़्त अनाज के साथ उसका भूसा भी मिलाएँगे।” अपने नाजायज़ तरीक़ों से तुम थोड़े पैसों में बल्कि एक जोड़ी जूतों के एवज़ ग़रीबों को ख़रीदते हो।


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