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عبرانیوں 9:25 - किताबे-मुक़द्दस

25 दुनिया का इमामे-आज़म तो सालाना किसी और (यानी जानवर) का ख़ून लेकर मुक़द्दसतरीन कमरे में दाख़िल होता है। लेकिन मसीह इसलिए आसमान में दाख़िल न हुआ कि वह अपने आपको बार बार क़ुरबानी के तौर पर पेश करे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

25 یہُودیوں کا اعلیٰ کاہِن تو پاک ترین مقام میں سال میں ایک بار خُود اَپنا نہیں یعنی جانوروں کا خُون لے کر داخل ہوتا تھا لیکن المسیح اَپنے آپ کو بار بار قُربان کرنے کے لیٔے داخل نہیں ہویٔے۔

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کِتابِ مُقادّس

25 یہ نہیں کہ وہ اپنے آپ کو بار بار قُربان کرے جِس طرح سردار کاہِن پاک مکان میں ہر سال دُوسرے کا خُون لے کر جاتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

25 دنیا کا امامِ اعظم تو سالانہ کسی اَور (یعنی جانور) کا خون لے کر مُقدّس ترین کمرے میں داخل ہوتا ہے۔ لیکن مسیح اِس لئے آسمان میں داخل نہ ہوا کہ وہ اپنے آپ کو بار بار قربانی کے طور پر پیش کرے۔

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عبرانیوں 9:25
9 حوالہ جات  

जब मसीह एक बार सदा के लिए ख़ैमे के मुक़द्दसतरीन कमरे में दाख़िल हुआ तो उसने क़ुरबानियाँ पेश करने के लिए बकरों और बछड़ों का ख़ून इस्तेमाल न किया। इसके बजाए उसने अपना ही ख़ून पेश किया और यों हमारे लिए अबदी नजात हासिल की।


लेकिन सिर्फ़ इमामे-आज़म ही दूसरे कमरे में दाख़िल होता है, और वह भी साल में सिर्फ़ एक दफ़ा। जब भी वह जाता है वह अपने साथ ख़ून लेकर जाता है जिसे वह अपने और क़ौम के लिए पेश करता है ताकि वह गुनाह मिट जाएँ जो लोगों ने ग़ैरइरादी तौर पर किए होते हैं।


अगर इन चीज़ों का यह असर था तो फिर मसीह के ख़ून का क्या ज़बरदस्त असर होगा! अज़ली रूह के ज़रीए उसने अपने आपको बेदाग़ क़ुरबानी के तौर पर पेश किया। यों उसका ख़ून हमारे ज़मीर को मौत तक पहुँचानेवाले कामों से पाक-साफ़ करता है ताकि हम ज़िंदा ख़ुदा की ख़िदमत कर सकें।


चुनाँचे भाइयो, अब हम ईसा के ख़ून के वसीले से पूरे एतमाद के साथ मुक़द्दसतरीन कमरे में दाख़िल हो सकते हैं।


अगर ऐसा होता तो उसे दुनिया की तख़लीक़ से लेकर आज तक बहुत दफ़ा दुख सहना पड़ता। लेकिन ऐसा नहीं है बल्कि अब वह ज़मानों के इख़्तिताम पर एक ही बार सदा के लिए ज़ाहिर हुआ ताकि अपने आपको क़ुरबान करने से गुनाह को दूर करे।


और उस की मरज़ी पूरी हो जाने से हमें ईसा मसीह के बदन के वसीले से मख़सूसो-मुक़द्दस किया गया है। क्योंकि उसे एक ही बार सदा के लिए हमारे लिए क़ुरबान किया गया।


हारून साल में एक दफ़ा उसका कफ़्फ़ारा देकर उसे पाक करे। इसके लिए वह कफ़्फ़ारे के दिन उस क़ुरबानी का कुछ ख़ून सींगों पर लगाए। यह उसूल भी अबद तक क़ायम रहे। यह क़ुरबानगाह रब के लिए निहायत मुक़द्दस है।”


एक ख़ैमा जिसके पहले कमरे में शमादान, मेज़ और उस पर पड़ी मख़सूस की गई रोटियाँ थीं। उसका नाम “मुक़द्दस कमरा” था।


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