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عبرانیوں 5:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 अब इनसानों में से चुने गए इमामे-आज़म को इसलिए मुक़र्रर किया जाता है कि वह उनकी ख़ातिर अल्लाह की ख़िदमत करे, ताकि वह गुनाहों के लिए नज़राने और क़ुरबानियाँ पेश करे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 ہر اعلیٰ کاہِن آدمیوں میں سے آدمیوں کے لیٔے مُنتخب کیا جاتا ہے تاکہ وہ خُدا سے تعلّق رکھنے والی باتوں میں لوگوں کی نُمائندگی کرے یعنی نذریں اَور گُناہوں کی قُربانیاں پیش کرے۔

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کِتابِ مُقادّس

1 کیونکہ ہر سردار کاہِن آدمِیوں میں سے مُنتخب ہو کر آدمِیوں ہی کے لِئے اُن باتوں کے واسطے مُقرّر کِیا جاتا ہے جو خُدا سے عِلاقہ رکھتی ہیں تاکہ نذریں اور گُناہوں کی قُربانِیاں گُذرانے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 اب انسانوں میں سے چنے گئے امامِ اعظم کو اِس لئے مقرر کیا جاتا ہے کہ وہ اُن کی خاطر اللہ کی خدمت کرے، تاکہ وہ گناہوں کے لئے نذرانے اور قربانیاں پیش کرے۔

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عبرانیوں 5:1
17 حوالہ جات  

हर इमामे-आज़म को नज़राने और क़ुरबानियाँ पेश करने के लिए मुक़र्रर किया जाता है। इसलिए लाज़िम है कि हमारे इमामे-आज़म के पास भी कुछ हो जो वह पेश कर सके।


हर इमाम रोज़ बरोज़ मक़दिस में खड़ा अपनी ख़िदमत के फ़रायज़ अदा करता है। रोज़ाना और बार बार वह वही क़ुरबानियाँ पेश करता रहता है जो कभी भी गुनाहों को दूर नहीं कर सकतीं।


यह ईमान का काम था कि हाबील ने अल्लाह को एक ऐसी क़ुरबानी पेश की जो क़ाबील की क़ुरबानी से बेहतर थी। इस ईमान की बिना पर अल्लाह ने उसे रास्तबाज़ ठहराकर उस की अच्छी गवाही दी, जब उसने उस की क़ुरबानियों को क़बूल किया। और ईमान के ज़रीए वह अब तक बोलता रहता है हालाँकि वह मुरदा है।


यह मजाज़न मौजूदा ज़माने की तरफ़ इशारा है। इसका मतलब यह है कि जो नज़राने और क़ुरबानियाँ पेश की जा रही हैं वह परस्तार के ज़मीर को पाक-साफ़ करके कामिल नहीं बना सकतीं।


उसे दूसरे इमामों की तरह इसकी ज़रूरत नहीं कि हर रोज़ क़ुरबानियाँ पेश करे, पहले अपने लिए फिर क़ौम के लिए। बल्कि उसने अपने आपको पेश करके अपनी इस क़ुरबानी से उनके गुनाहों को एक बार सदा के लिए मिटा दिया।


इसलिए लाज़िम था कि वह हर लिहाज़ से अपने भाइयों की मानिंद बन जाए। सिर्फ़ इससे उसका यह मक़सद पूरा हो सका कि वह अल्लाह के हुज़ूर एक रहीम और वफ़ादार इमामे-आज़म बनकर लोगों के गुनाहों का कफ़्फ़ारा दे सके।


फिर उसने हारून से कहा, “क़ुरबानगाह के पास जाकर गुनाह की क़ुरबानी और भस्म होनेवाली क़ुरबानी चढ़ाकर अपना और अपनी क़ौम का कफ़्फ़ारा देना। रब के हुक्म के मुताबिक़ क़ौम के लिए भी क़ुरबानी पेश करना ताकि उसका कफ़्फ़ारा दिया जाए।”


“हारून और उसके बेटों को मेरे हुज़ूर ले आना। नीज़ इमामों के लिबास, मसह का तेल, गुनाह की क़ुरबानी के लिए जवान बैल, दो मेंढे और बेख़मीरी रोटियों की टोकरी ले आना।


चुनाँचे मैं मसीह ईसा में अल्लाह के सामने अपनी ख़िदमत पर फ़ख़र कर सकता हूँ।


क्योंकि मैंने इस पर ख़ास ज़ोर दिया कि वही कुछ आपके सुपुर्द करूँ जो मुझे भी मिला है। यह कि मसीह ने पाक नविश्तों के मुताबिक़ हमारे गुनाहों की ख़ातिर अपनी जान दी,


अगर यह दुनिया में होता तो इमामे-आज़म न होता, क्योंकि यहाँ इमाम तो हैं जो शरीअत के मतलूबा नज़राने पेश करते हैं।


लेकिन मसीह ने गुनाहों को दूर करने के लिए एक ही क़ुरबानी पेश की, एक ऐसी क़ुरबानी जिसका असर सदा के लिए रहेगा। फिर वह अल्लाह के दहने हाथ बैठ गया।


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