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عبرانیوں 3:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 मसीह फ़रक़ है। उसे फ़रज़ंद की हैसियत से अल्लाह के घर पर इख़्तियार है और इसी में वह वफ़ादार है। हम उसका घर हैं बशर्तेकि हम अपनी दिलेरी और वह उम्मीद क़ायम रखें जिस पर हम फ़ख़र करते हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 مگر المسیح بیٹا ہونے کی حیثیت سے خُدا کے گھر کا مُختار ہیں اَور خُدا کا گھر ہم لوگ ہیں؛ بشرطیکہ ہم اَپنی دِلیری اَور اُس اُمّید کو مضبُوطی سے قائِم رکھیں جِس پر ہم فخر کرتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

6 لیکن مسِیح بیٹے کی طرح اُس کے گھر کا مُختار ہے اور اُس کا گھر ہم ہیں بشرطیکہ اپنی دِلیری اور اُمّید کا فخر آخِر تک مضبُوطی سے قائِم رکھّیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 مسیح فرق ہے۔ اُسے فرزند کی حیثیت سے اللہ کے گھر پر اختیار ہے اور اِسی میں وہ وفادار ہے۔ ہم اُس کا گھر ہیں بشرطیکہ ہم اپنی دلیری اور وہ اُمید قائم رکھیں جس پر ہم فخر کرتے ہیں۔

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عبرانیوں 3:6
46 حوالہ جات  

अल्लाह के मक़दिस और बुतों में क्या इत्तफ़ाक़ हो सकता है? हम तो ज़िंदा ख़ुदा का घर हैं। अल्लाह ने यों फ़रमाया है, “मैं उनके दरमियान सुकूनत करूँगा और उनमें फिरूँगा। मैं उनका ख़ुदा हूँगा, और वह मेरी क़ौम होंगे।”


क्या आपको मालूम नहीं कि आप अल्लाह का घर हैं, और आपमें अल्लाह का रूह सुकूनत करता है?


और आप भी ज़िंदा पत्थर हैं जिनको अल्लाह अपने रूहानी मक़दिस को तामीर करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। न सिर्फ़ यह बल्कि आप उसके मख़सूसो-मुक़द्दस इमाम हैं। ईसा मसीह के वसीले से आप ऐसी रूहानी क़ुरबानियाँ पेश कर रहे हैं जो अल्लाह को पसंद हैं।


चुनाँचे अपने इस एतमाद को हाथ से जाने न दें क्योंकि इसका बड़ा अज्र मिलेगा।


लेकिन हमारी बड़ी ख़ाहिश यह है कि आपमें से हर एक इसी सरगरमी का इज़हार आख़िर तक करता रहे ताकि जिन बातों की उम्मीद आप रखते हैं वह वाक़ई पूरी हो जाएँ।


क्या आप नहीं जानते कि आपका बदन रूहुल-क़ुद्स का घर है जो आपके अंदर सुकूनत करता है और जो आपको अल्लाह की तरफ़ से मिला है? आप अपने मालिक नहीं हैं


आएँ, हम मज़बूती से उस उम्मीद को थामे रखें जिसका इक़रार हम करते हैं। हम डाँवाँडोल न हो जाएँ, क्योंकि जिसने इस उम्मीद का वादा किया है वह वफ़ादार है।


इसलिए आएँ, हम इस सुकून में दाख़िल होने की पूरी कोशिश करें ताकि हममें से कोई भी बापदादा के नाफ़रमान नमूने पर चलकर गुनाह में न गिर जाए।


बात यह है कि हम मसीह के शरीके-कार बन गए हैं। लेकिन इस शर्त पर कि हम आख़िर तक वह एतमाद मज़बूती से क़ायम रखें जो हम आग़ाज़ में रखते थे।


मैं जल्द आ रहा हूँ। जो कुछ तेरे पास है उसे मज़बूती से थामे रखना ताकि कोई तुझसे तेरा ताज छीन न ले।


ग़रज़ आएँ, हम उस ईमान से लिपटे रहें जिसका इक़रार हम करते हैं। क्योंकि हमारा ऐसा अज़ीम इमामे-आज़म है जो आसमानों में से गुज़र गया यानी ईसा अल्लाह का फ़रज़ंद।


लेकिन इन आख़िरी दिनों में वह अपने फ़रज़ंद के वसीले से हमसे हमकलाम हुआ, उसी के वसीले से जिसे उसने सब चीज़ों का वारिस बना दिया और जिसके वसीले से उसने कायनात को भी ख़लक़ किया।


लेकिन अगर देर भी लगे तो यह पढ़कर आपको मालूम होगा कि अल्लाह के घराने में हमारा बरताव कैसा होना चाहिए। अल्लाह का घराना क्या है? ज़िंदा ख़ुदा की जमात, जो सच्चाई का सतून और बुनियाद है।


बेशक अब ज़रूरी है कि आप ईमान में क़ायम रहें, कि आप ठोस बुनियाद पर मज़बूती से खड़े रहें और उस ख़ुशख़बरी की उम्मीद से हट न जाएँ जो आपने सुन ली है। यह वही पैग़ाम है जिसकी मुनादी दुनिया में हर मख़लूक़ के सामने कर दी गई है और जिसका ख़ादिम मैं पौलुस बन गया हूँ।


सब तुमसे नफ़रत करेंगे, इसलिए कि तुम मेरे पैरोकार हो। लेकिन जो आख़िर तक क़ायम रहेगा उसे नजात मिलेगी।


हर वक़्त ख़ुश रहें,


उम्मीद का ख़ुदा आपको ईमान रखने के बाइस हर ख़ुशी और सलामती से मामूर करे ताकि रूहुल-क़ुद्स की क़ुदरत से आपकी उम्मीद बढ़कर दिल से छलक जाए।


लेकिन जो आख़िर तक क़ायम रहेगा उसे नजात मिलेगी।


लेकिन इतना ज़रूर करो कि जो कुछ तुम्हारे पास है उसे मेरे आने तक मज़बूती से थामे रखना।


थुआतीरा में मौजूद जमात के फ़रिश्ते को यह लिख देना : यह अल्लाह के फ़रज़ंद का फ़रमान है जिसकी आँखें आग के शोलों और पाँव दमकते पीतल की मानिंद हैं।


हमारा ख़ुदावंद ईसा मसीह ख़ुद और ख़ुदा हमारा बाप जिसने हमसे मुहब्बत रखी और अपने फ़ज़ल से हमें अबदी तसल्ली और ठोस उम्मीद बख़्शी


हमारे ईमान लाने पर उसने हमें फ़ज़ल के उस मक़ाम तक पहुँचाया जहाँ हम आज क़ायम हैं। और यों हम इस उम्मीद पर फ़ख़र करते हैं कि हम अल्लाह के जलाल में शरीक होंगे।


बेटे को बोसा दो, ऐसा न हो कि वह ग़ुस्से हो जाए और तुम रास्ते में ही हलाक हो जाओ। क्योंकि वह एकदम तैश में आ जाता है। मुबारक हैं वह सब जो उसमें पनाह लेते हैं।


उसी को आप प्यार करते हैं अगरचे आपने उसे देखा नहीं, और उसी पर आप ईमान रखते हैं गो वह आपको इस वक़्त नज़र नहीं आता। हाँ, आप दिल में नाक़ाबिले-बयान और जलाली ख़ुशी मनाएँगे,


चुनाँचे हम नेक काम करने में बेदिल न हो जाएँ, क्योंकि हम मुक़र्ररा वक़्त पर ज़रूर फ़सल की कटाई करेंगे। शर्त सिर्फ़ यह है कि हम हथियार न डालें।


यहाँ हमें अल्लाह की मेहरबानी और सख़्ती नज़र आती है—जो गिर गए हैं उनके सिलसिले में उस की सख़्ती, लेकिन आपके सिलसिले में उस की मेहरबानी। और यह मेहरबानी रहेगी जब तक आप उस की मेहरबानी से लिपटे रहेंगे। वरना आपको भी दरख़्त से काट डाला जाएगा।


मैं तुझे यह भी बताता हूँ कि तू पतरस यानी पत्थर है, और इसी पत्थर पर मैं अपनी जमात को तामीर करूँगा, ऐसी जमात जिस पर पाताल के दरवाज़े भी ग़ालिब नहीं आएँगे।


उम्मीद में ख़ुश, मुसीबत में साबितक़दम और दुआ में लगे रहें।


इसलिए आएँ, जितना वक़्त रह गया है सबके साथ नेकी करें, ख़ासकर उनके साथ जो ईमान में हमारे भाई और बहनें हैं।


उसमें और उस पर ईमान रखकर हम पूरी आज़ादी और एतमाद के साथ अल्लाह के हुज़ूर आ सकते हैं।


अब आएँ, हम पूरे एतमाद के साथ अल्लाह के तख़्त के सामने हाज़िर हो जाएँ जहाँ फ़ज़ल पाया जाता है। क्योंकि वहीं हम वह रहम और फ़ज़ल पाएँगे जो ज़रूरत के वक़्त हमारी मदद कर सकता है।


ग़रज़, यह दो बातें क़ायम रही हैं, अल्लाह का वादा और उस की क़सम। वह इन्हें न तो बदल सकता न इनके बारे में झूट बोल सकता है। यों हम जिन्होंने उसके पास पनाह ली है बड़ी तसल्ली पाकर उस उम्मीद को मज़बूती से थामे रख सकते हैं जो हमें पेश की गई है।


(मूसा की शरीअत तो किसी चीज़ को कामिल नहीं बना सकती थी) और अब एक बेहतर उम्मीद मुहैया की गई है जिससे हम अल्लाह के क़रीब आ जाते हैं।


चुनाँचे भाइयो, अब हम ईसा के ख़ून के वसीले से पूरे एतमाद के साथ मुक़द्दसतरीन कमरे में दाख़िल हो सकते हैं।


हमारा एक अज़ीम इमामे-आज़म है जो अल्लाह के घर पर मुक़र्रर है।


ईमान क्या है? यह कि हम उसमें क़ायम रहें जिस पर हम उम्मीद रखते हैं और कि हम उसका यक़ीन रखें जो हम नहीं देख सकते।


क्योंकि अब वक़्त आ गया है कि अल्लाह की अदालत शुरू हो जाए, और पहले उसके घरवालों की अदालत की जाएगी। अगर ऐसा है तो फिर इसका अंजाम उनके लिए क्या होगा जो अल्लाह की ख़ुशख़बरी के ताबे नहीं हैं?


जो ग़ालिब आएगा और आख़िर तक मेरे कामों पर क़ायम रहेगा उसे मैं क़ौमों पर इख़्तियार दूँगा।


हुक्मरान उस वक़्त सहन में दाख़िल हो जब बाक़ी इसराईली दाख़िल हो रहे हों, और वह उस वक़्त रवाना हो जब बाक़ी इसराईली रवाना हो जाएँ।


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