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عبرانیوں 2:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 इसलिए लाज़िम था कि वह हर लिहाज़ से अपने भाइयों की मानिंद बन जाए। सिर्फ़ इससे उसका यह मक़सद पूरा हो सका कि वह अल्लाह के हुज़ूर एक रहीम और वफ़ादार इमामे-आज़म बनकर लोगों के गुनाहों का कफ़्फ़ारा दे सके।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 پس یِسوعؔ کو ہر لِحاظ سے اَپنے بھائیوں کی مانند بننا لازمی تھا تاکہ وہ تمام اُمّت کے گُناہوں کا کفّارہ اَدا کرے اَور خُدا کی خدمت کے لِحاظ سے ایک رحم دِل اَور وفادار اعلیٰ کاہِن بنے۔

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کِتابِ مُقادّس

17 پس اُس کو سب باتوں میں اپنے بھائِیوں کی مانِند بننا لازِم ہُؤا تاکہ اُمّت کے گُناہوں کا کفّارہ دینے کے واسطے اُن باتوں میں جو خُدا سے عِلاقہ رکھتی ہیں ایک رحم دِل اور دِیانت دار سردار کاہِن بنے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 اِس لئے لازم تھا کہ وہ ہر لحاظ سے اپنے بھائیوں کی مانند بن جائے۔ صرف اِس سے اُس کا یہ مقصد پورا ہو سکا کہ وہ اللہ کے حضور ایک رحیم اور وفادار امامِ اعظم بن کر لوگوں کے گناہوں کا کفارہ دے سکے۔

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عبرانیوں 2:17
37 حوالہ جات  

ग़रज़ आएँ, हम उस ईमान से लिपटे रहें जिसका इक़रार हम करते हैं। क्योंकि हमारा ऐसा अज़ीम इमामे-आज़म है जो आसमानों में से गुज़र गया यानी ईसा अल्लाह का फ़रज़ंद।


अब चूँकि यह बच्चे गोश्त-पोस्त और ख़ून के इनसान हैं इसलिए ईसा ख़ुद उनकी मानिंद बन गया और उनकी इनसानी फ़ितरत में शरीक हुआ। क्योंकि इस तरह ही वह अपनी मौत से मौत के मालिक इबलीस को तबाह कर सका,


हमें ऐसे ही इमामे-आज़म की ज़रूरत थी। हाँ, ऐसा इमाम जो मुक़द्दस, बेक़ुसूर, बेदाग़, गुनाहगारों से अलग और आसमानों से बुलंद हुआ है।


हम अभी अल्लाह के दुश्मन ही थे जब उसके फ़रज़ंद की मौत के वसीले से हमारी उसके साथ सुलह हो गई। तो फिर यह बात कितनी यक़ीनी है कि हम उस की ज़िंदगी के वसीले से नजात भी पाएँगे।


ईसा और वह जिन्हें वह मख़सूसो-मुक़द्दस कर देता है दोनों का एक ही बाप है। यही वजह है कि ईसा यह कहने से नहीं शर्माता कि मुक़द्दसीन मेरे भाई हैं।


तेरी क़ौम और तेरे मुक़द्दस शहर के लिए 70 हफ़ते मुक़र्रर किए गए हैं ताकि उतने में जरायम और गुनाहों का सिलसिला ख़त्म किया जाए, क़ुसूर का कफ़्फ़ारा दिया जाए, अबदी रास्ती क़ायम की जाए, रोया और पेशगोई की तसदीक़ की जाए और मुक़द्दसतरीन जगह को मसह करके मख़सूसो-मुक़द्दस किया जाए।


मूसा तो अल्लाह के पूरे घर में ख़िदमत करते वक़्त वफ़ादार रहा, लेकिन मुलाज़िम की हैसियत से ताकि कलामे-मुक़द्दस की आनेवाली बातों की गवाही देता रहे।


आप भी पहले अल्लाह के सामने अजनबी थे और दुश्मन की-सी सोच रखकर बुरे काम करते थे।


मूसवी शरीअत ऐसे लोगों को इमामे-आज़म मुक़र्रर करती है जो कमज़ोर हैं। लेकिन शरीअत के बाद अल्लाह की क़सम फ़रज़ंद को इमामे-आज़म मुक़र्रर करती है, और यह फ़रज़ंद अबद तक कामिल है।


अपनी सलीबी मौत से उसने दोनों गुरोहों को एक बदन में मिलाकर उनकी अल्लाह के साथ सुलह कराई। हाँ, उसने अपने आपमें यह दुश्मनी ख़त्म कर दी।


चुनाँचे मैं मसीह ईसा में अल्लाह के सामने अपनी ख़िदमत पर फ़ख़र कर सकता हूँ।


मूसा ने उसे ज़बह करके उसके ख़ून में से कुछ लेकर अपनी उँगली से क़ुरबानगाह के सींगों पर लगा दिया ताकि वह गुनाहों से पाक हो जाए। बाक़ी ख़ून उसने क़ुरबानगाह के पाए पर उंडेल दिया। यों उसने उसे मख़सूसो-मुक़द्दस करके उसका कफ़्फ़ारा दिया।


ईसा अल्लाह का वफ़ादार रहा जब उसने उसे यह काम करने के लिए मुक़र्रर किया, बिलकुल उसी तरह जिस तरह मूसा भी वफ़ादार रहा जब अल्लाह का पूरा घर उसके सुपुर्द किया गया।


यही अमल पहले महीने के सातवें दिन भी कर ताकि उन सबका कफ़्फ़ारा दिया जाए जिन्होंने ग़ैरइरादी तौर पर या बेख़बरी से गुनाह किया हो। यों तुम रब के घर का कफ़्फ़ारा दोगे।


हुक्मरान का फ़र्ज़ होगा कि वह नए चाँद की ईदों, सबत के दिनों और दीगर ईदों पर तमाम इसराईली क़ौम के लिए क़ुरबानियाँ मुहैया करे। इनमें भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ, गुनाह और सलामती की क़ुरबानियाँ और ग़ल्ला और मै की नज़रें शामिल होंगी। यों वह इसराईल का कफ़्फ़ारा देगा।


200 भेड़-बकरियों में से एक। यह चीज़ें ग़ल्ला की नज़रों के लिए, भस्म होनेवाली क़ुरबानियों और सलामती की क़ुरबानियों के लिए मुक़र्रर हैं। उनसे क़ौम का कफ़्फ़ारा दिया जाएगा। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।


वह रास्तबाज़ी के पटके और वफ़ादारी के ज़ेरजामे से मुलब्बस रहेगा।


फिर इमामों ने उन्हें ज़बह करके उनका ख़ून गुनाह की क़ुरबानी के तौर पर क़ुरबानगाह पर छिड़का ताकि इसराईल का कफ़्फ़ारा दिया जाए। क्योंकि बादशाह ने हुक्म दिया था कि भस्म होनेवाली और गुनाह की क़ुरबानी तमाम इसराईल के लिए पेश की जाए।


लेकिन गुनाह की हर वह क़ुरबानी खाई न जाए जिसका ख़ून मुलाक़ात के ख़ैमे में इसलिए लाया गया है कि मक़दिस में किसी का कफ़्फ़ारा दिया जाए। उसे जलाना है।


इमाम अपनी हथेली पर का बाक़ी तेल पाक होनेवाले के सर पर डालकर रब के सामने उसका कफ़्फ़ारा दे।


यों वह मुक़द्दसतरीन कमरे का कफ़्फ़ारा देगा जो इसराईलियों की नापाकियों और तमाम गुनाहों से मुतअस्सिर होता रहता है। इससे वह मुलाक़ात के पूरे ख़ैमे का भी कफ़्फ़ारा देगा जो ख़ैमागाह के दरमियान होने के बाइस इसराईलियों की नापाकियों से मुतअस्सिर होता रहता है।


इमाम इसराईल की पूरी जमात का कफ़्फ़ारा दे तो उन्हें मुआफ़ी मिलेगी, क्योंकि उनका गुनाह ग़ैरइरादी था और उन्होंने रब को भस्म होनेवाली क़ुरबानी और गुनाह की क़ुरबानी पेश की है।


ज़ाहिर है कि जिनकी मदद वह करता है वह फ़रिश्ते नहीं हैं बल्कि इब्राहीम की औलाद।


मुक़द्दस भाइयो, जो मेरे साथ अल्लाह के बुलाए हुए हैं! ईसा पर ग़ौरो-ख़ौज़ करते रहें जो अल्लाह का पैग़ंबर और इमामे-आज़म है और जिसका हम इक़रार करते हैं।


और वह ऐसा इमामे-आज़म नहीं है जो हमारी कमज़ोरियों को देखकर हमदर्दी न दिखाए बल्कि अगरचे वह बेगुनाह रहा तो भी हमारी तरह उसे हर क़िस्म की आज़माइश का सामना करना पड़ा।


अब इनसानों में से चुने गए इमामे-आज़म को इसलिए मुक़र्रर किया जाता है कि वह उनकी ख़ातिर अल्लाह की ख़िदमत करे, ताकि वह गुनाहों के लिए नज़राने और क़ुरबानियाँ पेश करे।


वह जाहिल और आवारा लोगों के साथ नरम सुलूक रख सकता है, क्योंकि वह ख़ुद कई तरह की कमज़ोरियों की गिरिफ़्त में होता है।


इसी तरह मसीह ने भी अपनी मरज़ी से इमामे-आज़म का पुरवक़ार ओहदा नहीं अपनाया। इसके बजाए अल्लाह ने उससे कहा, “तू मेरा फ़रज़ंद है, आज मैं तेरा बाप बन गया हूँ।”


उस वक़्त अल्लाह ने उसे इमामे-आज़म भी मुतैयिन किया, ऐसा इमाम जैसा मलिके-सिद्क़ था।


वहीं ईसा हमारे आगे आगे जाकर हमारी ख़ातिर दाख़िल हुआ है। यों वह मलिके-सिद्क़ की मानिंद हमेशा के लिए इमामे-आज़म बन गया है।


जो कुछ हम कह रहे हैं उस की मरकज़ी बात यह है, हमारा एक ऐसा इमामे-आज़म है जो आसमान पर जलाली ख़ुदा के तख़्त के दहने हाथ बैठा है।


हर इमामे-आज़म को नज़राने और क़ुरबानियाँ पेश करने के लिए मुक़र्रर किया जाता है। इसलिए लाज़िम है कि हमारे इमामे-आज़म के पास भी कुछ हो जो वह पेश कर सके।


लेकिन अब मसीह आ चुका है, उन अच्छी चीज़ों का इमामे-आज़म जो अब हासिल हुई हैं। जिस ख़ैमे में वह ख़िदमत करता है वह कहीं ज़्यादा अज़ीम और कामिल है। यह ख़ैमा इनसानी हाथों से नहीं बनाया गया यानी यह इस कायनात का हिस्सा नहीं है।


हमारा एक अज़ीम इमामे-आज़म है जो अल्लाह के घर पर मुक़र्रर है।


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