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عبرانیوں 11:9 - किताबे-मुक़द्दस

9 ईमान के ज़रीए वह वादा किए हुए मुल्क में अजनबी की हैसियत से रहने लगा। वह ख़ैमों में रहता था और इसी तरह इसहाक़ और याक़ूब भी जो उसके साथ उसी वादे के वारिस थे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

9 ایمان ہی کے سبب سے وہ وعدہ کیٔے ہویٔے اُس مُلک میں ایک اجنبی کی مانند رہنے لگے؛ حضرت اَبراہامؔ خیموں میں رہتے تھے اَور اِسی طرح حضرت اِصحاقؔ اَور یعقوب نے بھی زندگی گُزاری، جو حضرت اَبراہامؔ کے ساتھ اُسی وعدہ کے وارِث تھے۔

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کِتابِ مُقادّس

9 اِیمان ہی سے اُس نے مُلکِ مَوعُود میں اِس طرح مُسافِرانہ طَور پر بُود و باش کی کہ گویا غَیر مُلک ہے اور اِضحاقؔ اور یعقُوبؔ سمیت جو اُس کے ساتھ اُسی وعدہ کے وارِث تھے خَیموں میں سکُونت کی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

9 ایمان کے ذریعے وہ وعدہ کئے ہوئے ملک میں اجنبی کی حیثیت سے رہنے لگا۔ وہ خیموں میں رہتا تھا اور اِسی طرح اسحاق اور یعقوب بھی جو اُس کے ساتھ اُسی وعدے کے وارث تھے۔

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عبرانیوں 11:9
22 حوالہ جات  

वहाँ से वह उस पहाड़ी इलाक़े की तरफ़ गया जो बैतेल के मशरिक़ में है। वहाँ उसने अपना ख़ैमा लगाया। मग़रिब में बैतेल था और मशरिक़ में अई। इस जगह पर भी उसने रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई और रब का नाम लेकर इबादत की।


अब्राम रवाना हुआ। चलते चलते उसने अपने डेरे हबरून के क़रीब ममरे के दरख़्तों के पास लगाए। वहाँ उसने रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई।


अल्लाह ने भी क़सम खाकर अपने वादे की तसदीक़ की। क्योंकि वह अपने वादे के वारिसों पर साफ़ ज़ाहिर करना चाहता था कि उसका इरादा कभी नहीं बदलेगा।


उन्होंने पूछा, “तेरी बीवी सारा कहाँ है?” उसने जवाब दिया, “ख़ैमे में।”


वहाँ से जगह बजगह चलते हुए वह आख़िरकार बैतेल से होकर उस मक़ाम तक पहुँच गया जहाँ उसने शुरू में अपना डेरा लगाया था और जो बैतेल और अई के दरमियान था।


फिर याक़ूब अपने बाप इसहाक़ के पास पहुँच गया जो हबरून के क़रीब ममरे में अजनबी की हैसियत से रहता था (उस वक़्त हबरून का नाम क़िरियत-अरबा था)। वहाँ इसहाक़ और उससे पहले इब्राहीम रहा करते थे।


वह तुझे और तेरी औलाद को इब्राहीम की बरकत दे जिसे उसने यह मुल्क दिया जिसमें तू मेहमान के तौर पर रहता है। यह मुल्क तुम्हारे क़ब्ज़े में आए।”


लड़के जवान हुए। एसौ माहिर शिकारी बन गया और खुले मैदान में ख़ुश रहता था। उसके मुक़ाबले में याक़ूब शायस्ता था और डेरे में रहना पसंद करता था।


“मैं आपके दरमियान परदेसी और ग़ैरशहरी की हैसियत से रहता हूँ। मुझे क़ब्र के लिए ज़मीन बेचें ताकि अपनी बीवी को अपने घर से ले जाकर दफ़न कर सकूँ।”


इब्राहीम ख़ैमे की तरफ़ दौड़कर सारा के पास आया और कहा, “जल्दी करो! 16 किलोग्राम बेहतरीन मैदा ले और उसे गूँधकर रोटियाँ बना।”


तू इस वक़्त मुल्के-कनान में परदेसी है, लेकिन मैं इस पूरे मुल्क को तुझे और तेरी औलाद को देता हूँ। यह हमेशा तक उनका ही रहेगा, और मैं उनका ख़ुदा हूँगा।”


वह इस वजह से चला गया कि दोनों भाइयों के पास इतने रेवड़ थे कि चराने की जगह कम पड़ गई।


याक़ूब ने जवाब दिया, “मैं 130 साल से इस दुनिया का मेहमान हूँ। मेरी ज़िंदगी मुख़तसर और तकलीफ़देह थी, और मेरे बापदादा मुझसे ज़्यादा उम्ररसीदा हुए थे जब वह इस दुनिया के मेहमान थे।”


उस वक़्त वह तादाद में कम और थोड़े ही थे बल्कि मुल्क में अजनबी ही थे।


उसने हमें यह हिदायत भी दी, ‘न मकान तामीर करना, न बीज बोना और न अंगूर का बाग़ लगाना। यह चीज़ें कभी भी तुम्हारी मिलकियत में शामिल न हों, क्योंकि लाज़िम है कि तुम हमेशा ख़ैमों में ज़िंदगी गुज़ारो। फिर तुम लंबे अरसे तक उस मुल्क में रहोगे जिसमें तुम मेहमान हो।’


इब्राहीम बहुत अरसे तक फ़िलिस्तियों के मुल्क में आबाद रहा, लेकिन अजनबी की हैसियत से।


जब लाबन उसके पास पहुँचा तो याक़ूब ने जिलियाद के पहाड़ी इलाक़े में अपने ख़ैमे लगाए हुए थे। लाबन ने भी अपने रिश्तेदारों के साथ वहीं अपने ख़ैमे लगाए।


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