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حجّی 2:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 रब फ़रमाता है, “तेरी मेहनत-मशक़्क़त ज़ाया हुई, क्योंकि मैंने पतरोग, फफूँदी और ओलों से तुम्हारी पैदावार को नुक़सान पहुँचाया। तो भी तुमने तौबा करके मेरी तरफ़ रुजू न किया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 مَیں نے تمہارے کھیتی کے سَب کاموں میں اَمراض، پھپھُوندی، اولے سے مارا پھر بھی تُم میری طرف رُجُوع نہ ہُوئے۔ یَاہوِہ کا یہی اعلان ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

17 اور مَیں نے تُم کو تُمہارے سب کاموں میں بادِ سمُوم اور گیروئی اور اَولوں سے مارا پر تُم میری طرف رجُوع نہ لائے خُداوند فرماتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 رب فرماتا ہے، ”تیری محنت مشقت ضائع ہوئی، کیونکہ مَیں نے پَت روگ، پھپھوندی اور اولوں سے تمہاری پیداوار کو نقصان پہنچایا۔ توبھی تم نے توبہ کر کے میری طرف رجوع نہ کیا۔

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حجّی 2:17
32 حوالہ جات  

रब तुझे मोहलक बीमारियों, बुख़ार और सूजन से मारेगा। झुलसानेवाली गरमी, काल, पतरोग और फफूँदी तेरी फ़सलें ख़त्म करेगी। ऐसी मुसीबतों के बाइस तू तबाह हो जाएगा।


इसी लिए मैंने हुक्म दिया कि खेतों में और पहाड़ों पर काल पड़े, कि मुल्क का अनाज, अंगूर, ज़ैतून बल्कि ज़मीन की हर पैदावार उस की लपेट में आ जाए। इनसानो-हैवान उस की ज़द में आ गए हैं, और तुम्हारी मेहनत-मशक़्क़त ज़ाया हो रही है।”


“देखो, तुमने बहुत बरकत पाने की तवक़्क़ो की, लेकिन क्या हुआ? कम ही हासिल हुआ। और जो कुछ तुम अपने घर वापस लाए उसे मैंने हवा में उड़ा दिया। क्यों? मैं, रब्बुल-अफ़वाज तुम्हें इसकी असल वजह बताता हूँ। मेरा घर अब तक मलबे का ढेर है जबकि तुममें से हर एक अपना अपना घर मज़बूत करने के लिए भाग-दौड़ कर रहा है।


हो सकता है इसराईल में काल पड़ जाए, अनाज की फ़सल किसी बीमारी, फफूँदी, टिड्डियों या कीड़ों से मुतअस्सिर हो जाए, या दुश्मन किसी शहर का मुहासरा करे। जो भी मुसीबत या बीमारी हो,


ऐ रब, तेरी आँखें दियानतदारी देखना चाहती हैं। तूने उन्हें मारा, लेकिन उन्हें दुख न हुआ। तूने उन्हें कुचल डाला, लेकिन वह तरबियत पाने के लिए तैयार नहीं। उन्होंने अपने चेहरे को पत्थर से कहीं ज़्यादा सख़्त बनाकर तौबा करने से इनकार किया है।


मैंने उसे काफ़ी देर से तौबा करने का मौक़ा दिया है, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं है।


रब फ़रमाता है, “मैंने काल पड़ने दिया। हर शहर और आबादी में रोटी ख़त्म हुई। तो भी तुम मेरे पास वापस नहीं आए!


हमारी जवानी से लेकर आज तक शर्मनाक देवता हमारे बापदादा की मेहनत का फल खाते आए हैं, ख़ाह उनकी भेड़-बकरियाँ और गाय-बैल थे, ख़ाह उनके बेटे-बेटियाँ।


रब ने अपने दाएँ हाथ और ज़ोरावर बाज़ू की क़सम खाकर वादा किया है, “आइंदा न मैं तेरा ग़ल्ला तेरे दुश्मनों को खिलाऊँगा, न बड़ी मेहनत से बनाई गई तेरी मै को अजनबियों को पिलाऊँगा।


इसी वजह से उसने उन पर अपना सख़्त ग़ज़ब नाज़िल किया, उन्हें शदीद जंग की ज़द में आने दिया। लेकिन अफ़सोस, गो आग ने क़ौम को घेरकर झुलसा दिया ताहम उसे समझ नहीं आई, गो वह भस्म हुई तो भी उसने दिल से सबक़ नहीं सीखा।


इसी लिए उनके बाशिंदों की ताक़त जाती रही, वह घबराए और शरमिंदा हुए। वह घास की तरह कमज़ोर थे, छत पर उगनेवाली उस हरियाली की मानिंद जो थोड़ी देर के लिए फलती-फूलती तो है, लेकिन लू चलते वक़्त एकदम मुरझा जाती है।


क्योंकि इसके बावुजूद भी लोग सज़ा देनेवाले के पास वापस नहीं आएँगे और रब्बुल-अफ़वाज के तालिब नहीं होंगे।


उनकी पैदावार उसने जवान टिड्डियों के हवाले की, उनकी मेहनत का फल बालिग़ टिड्डियों के सुपुर्द किया।


बेदीन अपनी हरकतों से अपने आप पर इलाही ग़ज़ब लाते हैं। अल्लाह उन्हें बाँध भी ले, लेकिन वह मदद के लिए नहीं पुकारते।


गो वह उस वक़्त बड़ी मुसीबत में था तो भी रब से और दूर हो गया।


हो सकता है इसराईल में काल पड़ जाए, अनाज की फ़सल किसी बीमारी, फफूँदी, टिड्डियों या कीड़ों से मुतअस्सिर हो जाए, या दुश्मन किसी शहर का मुहासरा करे। जो भी मुसीबत या बीमारी हो,


जब वह रात के लिए किसी जगह पर ठहरे तो एक भाई ने अपने गधे के लिए चारा निकालने की ग़रज़ से अपनी बोरी खोली तो देखा कि बोरी के मुँह में उसके पैसे पड़े हैं।


उन्हें मालूम नहीं था कि यूसुफ़ हमारी बातें समझ सकता है, क्योंकि वह मुतरजिम की मारिफ़त उनसे बात करता था।


यूसुफ़ मिसर के हाकिम की हैसियत से लोगों को अनाज बेचता था, इसलिए उसके भाई आकर उसके सामने मुँह के बल झुक गए।


देखो, रब एक ज़बरदस्त सूरमा भेजेगा जो ओलों के तूफ़ान, तबाहकुन आँधी और सैलाब पैदा करनेवाली मूसलाधार बारिश की तरह सामरिया पर टूट पड़ेगा और ज़ोर से उसे ज़मीन पर पटख़ देगा।


यक़ीनन तू अपनी मेहनत का फल खाएगा। मुबारक हो, क्योंकि तू कामयाब होगा।


तुमने बहुत बीज बोया लेकिन कम फ़सल काटी है। तुम खाना तो खाते हो लेकिन भूके रहते हो, पानी तो पीते हो लेकिन प्यासे रहते हो, कपड़े तो पहनते हो लेकिन सर्दी लगती है। और जब कोई पैसे कमाकर उन्हें अपने बटवे में डालता है तो उसमें सूराख़ हैं।”


जहाँ तुम फ़सल की 20 बोरियों की उम्मीद रखते थे वहाँ सिर्फ़ 10 हासिल हुईं। जहाँ तुम अंगूरों को कुचलकर रस के 100 लिटर की तवक़्क़ो रखते थे वहाँ सिर्फ़ 40 लिटर निकले।”


रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “मैं कीड़ों को तुम्हारी फ़सलों से दूर रखूँगा ताकि तुम्हारे खेतों की पैदावार और तुम्हारे अंगूर ख़राब न हो जाएँ बल्कि पक जाएँ।


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