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حجّی 2:12 - किताबे-मुक़द्दस

12 अगर कोई शख़्स मख़सूसो-मुक़द्दस गोश्त अपनी झोली में डालकर कहीं ले जाए और रास्ते में झोली मै, ज़ैतून के तेल, रोटी या मज़ीद किसी खानेवाली चीज़ से लग जाए तो क्या खानेवाली यह चीज़ गोश्त से मख़सूसो-मुक़द्दस हो जाती है’?” हज्जी ने इमामों को यह सवाल पेश किया तो उन्होंने जवाब दिया, “नहीं।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

12 اگر کویٔی شخص پاک گوشت کو اَپنے لباس کے دامن میں لے جا رہا ہو اَور اُس کا دامن روٹی، دال یا مَے یا تیل یا کسی طرح کی کھانے کی چیز سے چھُو جائے، تو کیا وہ پاک ہو جائے گا؟“ کاہِنوں نے جَواب دیا، ”نہیں۔“

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کِتابِ مُقادّس

12 کہ اگر کوئی پاک گوشت کو اپنے لِباس کے دامن میں لِئے جاتا ہو اور اُس کا دامن روٹی یا دال یا مَے یا تیل یا کِسی طرح کے کھانے کی چِیز کو چُھو جائے تو کیا وہ چِیز پاک ہو جائیں گی؟ کاہِنوں نے جواب دِیا ہرگِز نہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

12 اگر کوئی شخص مخصوص و مُقدّس گوشت اپنی جھولی میں ڈال کر کہیں لے جائے اور راستے میں جھولی مَے، زیتون کے تیل، روٹی یا مزید کسی کھانے والی چیز سے لگ جائے تو کیا کھانے والی یہ چیز گوشت سے مخصوص و مُقدّس ہو جاتی ہے‘؟“ حجی نے اماموں کو یہ سوال پیش کیا تو اُنہوں نے جواب دیا، ”نہیں۔“

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حجّی 2:12
8 حوالہ جات  

अंधो! ज़्यादा अहम किया है, हदिया या क़ुरबानगाह जो हदिये को मख़सूसो-मुक़द्दस बनाती है?


जो भी इस क़ुरबानी के गोश्त को छू लेता है वह मख़सूसो-मुक़द्दस हो जाता है। अगर क़ुरबानी के ख़ून के छींटे किसी लिबास पर पड़ जाएँ तो उसे मुक़द्दस जगह पर धोना है।


जब भी इमाम अंदरूनी सहन से दुबारा बैरूनी सहन में जाना चाहें तो लाज़िम है कि वह ख़िदमत के लिए मुस्तामल कपड़ों को उतारें। वह इन कपड़ों को मुक़द्दस कमरों में छोड़ आएँ और आम कपड़े पहन लें, ऐसा न हो कि मुक़द्दस कपड़े छूने से आम लोगों की जान ख़तरे में पड़ जाए।


इमामों के ख़ानदानों में से तमाम मर्द उसे खा सकते हैं। लेकिन उसे मुक़द्दस जगह पर खाया जाए। यह निहायत मुक़द्दस है।


इमामों के ख़ानदानों में से तमाम मर्द उसे खा सकते हैं। यह खाना निहायत मुक़द्दस है।


सात दिन तक क़ुरबानगाह का कफ़्फ़ारा देकर उसे पाक-साफ़ करना और उसे तेल से मख़सूसो-मुक़द्दस करना। फिर क़ुरबानगाह निहायत मुक़द्दस होगी। जो भी उसे छुएगा वह भी मख़सूसो-मुक़द्दस हो जाएगा।


वह याक़ूब को तेरी हिदायात और इसराईल को तेरी शरीअत सिखाकर तेरे सामने बख़ूर और तेरी क़ुरबानगाह पर भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ चढ़ाता है।


मरी हुई मक्खियाँ ख़ुशबूदार तेल ख़राब करती हैं, और हिकमत और इज़्ज़त की निसबत थोड़ी-सी हमाक़त का ज़्यादा असर होता है।


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