माज़ी में दूसरे तुझसे दहशत खाते थे, लेकिन इस बात ने और तेरे ग़ुरूर ने तुझे फ़रेब दिया है। बेशक तू चट्टानों की दराड़ों में बसेरा करता है, और पहाड़ी बुलंदियाँ तेरे क़ब्ज़े में हैं। लेकिन ख़ाह तू अपना घोंसला उक़ाब की-सी ऊँची जगहों पर क्यों न बनाए तो भी मैं तुझे वहाँ से उतारकर ख़ाक में मिला दूँगा।” यह रब का फ़रमान है।
