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حبقوق 2:13 - किताबे-मुक़द्दस

13 रब्बुल-अफ़वाज ने मुक़र्रर किया है कि जो कुछ क़ौमों ने बड़ी मेहनत-मशक़्क़त से हासिल किया उसे नज़रे-आतिश होना है, जो कुछ पाने के लिए उम्मतें थक जाती हैं वह बेकार ही है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

13 کیا قادرمُطلق یَاہوِہ کا منصُوبہ یہ نہیں کہ اِنسان کی محنت آگ کا ایندھن بنے، اَور قوموں کا اَپنے آپ کو تھکانا عبث ٹھہرے؟

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کِتابِ مُقادّس

13 کیا یہ ربُّ الافواج کی طرف سے نہیں کہ لوگوں کی مِحنت آگ کے لِئے ہو اور قَوموں کی مشقّت بطالت کے لِئے؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

13 رب الافواج نے مقرر کیا ہے کہ جو کچھ قوموں نے بڑی محنت مشقت سے حاصل کیا اُسے نذرِ آتش ہونا ہے، جو کچھ پانے کے لئے اُمّتیں تھک جاتی ہیں وہ بےکار ہی ہے۔

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حبقوق 2:13
12 حوالہ جات  

रब फ़रमाता है, “बाबल की मोटी मोटी फ़सील को ख़ाक में मिलाया जाएगा, और उसके ऊँचे ऊँचे दरवाज़े राख हो जाएंगे। तब यह कहावत बाबल पर सादिक़ आएगी, ‘अक़वाम की मेहनत-मशक़्क़त बेफ़ायदा रही, जो कुछ उन्होंने बड़ी मुश्किल से बनाया वह नज़रे-आतिश हो गया है’।”


लेकिन तुम बाक़ी लोग जो आग लगाकर अपने आपको जलते हुए तीरों से लैस करते हो, अपनी ही आग के शोलों में चले जाओ! ख़ुद उन तीरों की ज़द में आओ जो तुमने दूसरों के लिए जलाए हैं! मेरे हाथ से तुम्हें यही अज्र मिलेगा, तुम सख़्त अज़ियत का शिकार होकर ज़मीन पर तड़पते रहोगे।


अदोमी कहते हैं, “गो हम चकनाचूर हो गए हैं तो भी खंडरात की जगह नए घर बना लेंगे।” लेकिन रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “बेशक तामीर का काम करते जाओ, लेकिन मैं सब कुछ दुबारा ढा दूँगा। उनका मुल्क ‘बेदीनी का मुल्क’ और उनकी क़ौम ‘वह क़ौम जिस पर रब की अबदी लानत है’ कहलाएगी।


उस पर पैसे क्यों ख़र्च करते हो जो रोटी नहीं है? जो सेर नहीं करता उसके लिए मेहनत-मशक़्क़त क्यों करते हो? सुनो, सुनो मेरी बात! फिर तुम अच्छी ख़ुराक खाओगे, बेहतरीन खाने से लुत्फ़अंदोज़ होगे।


किसी की भी हिकमत, समझ या मनसूबा रब का सामना नहीं कर सकता।


जब वह इधर-उधर घूमे फिरे तो साया ही है। उसका शोर-शराबा बातिल है, और गो वह दौलत जमा करने में मसरूफ़ रहे तो भी उसे मालूम नहीं कि बाद में किसके क़ब्ज़े में आएगी।”


बोलें, ‘जो आफ़त मैं उस पर नाज़िल करूँगा उसकी वजह से बाबल का बेड़ा इस पत्थर की तरह ग़रक़ हो जाएगा। वह दुबारा कभी नहीं उभर आएगा चाहे वह कितनी मेहनत-मशक़्क़त क्यों न करें’।” यरमियाह के पैग़ामात यहाँ इख़्तिताम पर पहुँच गए हैं।


रास्ते में दाऊद को इत्तला दी गई, “अख़ीतुफ़ल भी अबीसलूम के साथ मिल गया है।” यह सुनकर दाऊद ने दुआ की, “ऐ रब, बख़्श दे कि अख़ीतुफ़ल के मशवरे नाकाम हो जाएँ।”


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