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پیدایش 6:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 वह पछताया कि मैंने इनसान को बनाकर दुनिया में रख दिया है, और उसे सख़्त दुख हुआ।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 یَاہوِہ کو افسوس ہُوا کہ اُنہُوں نے زمین پر اِنسان کو پیدا کیا اَور اُن کا دِل غم سے بھر گیا۔

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کِتابِ مُقادّس

6 تب خُداوند زمِین پر اِنسان کو پَیدا کرنے سے ملُول ہُؤا اور دِل میں غم کِیا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 وہ پچھتایا کہ مَیں نے انسان کو بنا کر دنیا میں رکھ دیا ہے، اور اُسے سخت دُکھ ہوا۔

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پیدایش 6:6
34 حوالہ جات  

लेकिन वह सरकश हुए, उन्होंने उसके क़ुद्दूस रूह को दुख पहुँचाया। तब वह मुड़कर उनका दुश्मन बन गया। ख़ुद वह उनसे लड़ने लगा।


“मुझे दुख है कि मैंने साऊल को बादशाह बना लिया है, क्योंकि उसने मुझसे दूर होकर मेरा हुक्म नहीं माना।” समुएल को इतना ग़ुस्सा आया कि वह पूरी रात बुलंद आवाज़ से रब से फ़रियाद करता रहा।


अल्लाह के मुक़द्दस रूह को दुख न पहुँचाना, क्योंकि उसी से अल्लाह ने आप पर मुहर लगाकर यह ज़मानत दे दी है कि आप उसी के हैं और नजात के दिन बच जाएंगे।


इसलिए मुझे उस नसल पर ग़ुस्सा आया और मैं बोला, ‘उनके दिल हमेशा सहीह राह से हट जाते हैं और वह मेरी राहें नहीं जानते।’


जो इसराईल की शानो-शौकत है वह न झूट बोलता, न कभी अपनी सोच को बदलता है, क्योंकि वह इनसान नहीं कि एक बात कहकर बाद में उसे बदले।”


लेकिन जब वबा का फ़रिश्ता चलते चलते यरूशलम तक पहुँच गया और उस पर हाथ उठाने लगा तो रब ने लोगों की मुसीबत को देखकर तरस खाया और तबाह करनेवाले फ़रिश्ते को हुक्म दिया, “बस कर! अब बाज़ आ।” उस वक़्त रब का फ़रिश्ता वहाँ खड़ा था जहाँ अरौनाह यबूसी अपना अनाज गाहता था।


अल्लाह आदमी नहीं जो झूट बोलता है। वह इनसान नहीं जो कोई फ़ैसला करके बाद में पछताए। क्या वह कभी अपनी बात पर अमल नहीं करता? क्या वह कभी अपनी बात पूरी नहीं करता?


जब अल्लाह ने उनका यह रवैया देखा, कि वह वाक़ई अपनी बुरी राहों से बाज़ आए तो वह पछताया और उन पर वह आफ़त न लाया जिसका एलान उसने किया था।


रंजिश का इज़हार करने के लिए अपने कपड़ों को मत फाड़ो बल्कि अपने दिल को।” रब अपने ख़ुदा के पास वापस आओ, क्योंकि वह मेहरबान और रहीम है। वह तहम्मुल और शफ़क़त से भरपूर है और जल्द ही सज़ा देने से पछताता है।


मूसा के कहने पर रब ने वह नहीं किया जिसका एलान उसने कर दिया था बल्कि वह अपनी क़ौम से बुरा सुलूक करने से बाज़ रहा।


लेकिन रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है, ‘मेरी हयात की क़सम, मैं बेदीन की मौत से ख़ुश नहीं होता बल्कि मैं चाहता हूँ कि वह अपनी ग़लत राह से हटकर ज़िंदा रहे। चुनाँचे तौबा करो! अपनी ग़लत राहों को तर्क करके वापस आओ! ऐ इसराईली क़ौम, क्या ज़रूरत है कि तू मर जाए?’


क्या यहूदाह के बादशाह हिज़क़ियाह या यहूदाह के किसी और शख़्स ने मीकाह को सज़ाए-मौत दी? हरगिज़ नहीं, बल्कि हिज़क़ियाह ने रब का ख़ौफ़ मानकर उसका ग़ुस्सा ठंडा करने की कोशिश की। नतीजे में रब ने पछताकर वह सज़ा उन पर नाज़िल न की जिसका एलान वह कर चुका था। सुनें, अगर हम यरमियाह को सज़ाए-मौत दें तो अपने आप पर सख़्त सज़ा लाएँगे।”


अल्लाह ने अपने फ़रिश्ते को यरूशलम को तबाह करने के लिए भी भेजा। लेकिन फ़रिश्ता अभी इसके लिए तैयार हो रहा था कि रब ने लोगों की मुसीबत को देखकर तरस खाया और तबाह करनेवाले फ़रिश्ते को हुक्म दिया, “बस कर! अब बाज़ आ।” उस वक़्त रब का फ़रिश्ता वहाँ खड़ा था जहाँ उरनान यानी अरौनाह यबूसी अपना अनाज गाहता था।


काश तू मेरे अहकाम पर ध्यान देता! तब तेरी सलामती बहते दरिया जैसी और तेरी रास्तबाज़ी समुंदर की मौजों जैसी होती।


उसने उनके साथ अपना अहद याद किया, और वह अपनी बड़ी शफ़क़त के बाइस पछताया।


इसके बाद समुएल जीते-जी साऊल से कभी न मिला, क्योंकि वह साऊल का मातम करता रहा। लेकिन रब को दुख था कि मैंने साऊल को इसराईल पर क्यों मुक़र्रर किया।


यक़ीनन रब अपनी क़ौम का इनसाफ़ करेगा। वह अपने ख़ादिमों पर तरस खाएगा जब देखेगा कि उनकी ताक़त जाती रही है और कोई नहीं बचा।


काश वह दानिशमंद होकर यह बात समझें! काश वह जान लें कि उनका क्या अंजाम है।


काश उनकी सोच हमेशा ऐसी ही हो! काश वह हमेशा इसी तरह मेरा ख़ौफ़ मानें और मेरे अहकाम पर अमल करें! अगर वह ऐसा करेंगे तो वह और उनकी औलाद हमेशा कामयाब रहेंगे।


हर अच्छी नेमत और हर अच्छा तोह्फ़ा आसमान से नाज़िल होता है, नूरों के बाप से, जिसमें न कभी तबदीली आती है, न बदलते हुए सायों की-सी हालत पाई जाती है।


और यह कौन थे जिनसे अल्लाह चालीस साल के दौरान नाराज़ रहा? यह वही थे जिन्होंने गुनाह किया और जो रेगिस्तान में मरकर वहीं पड़े रहे।


मैं, रब तबदील नहीं होता, लेकिन तुम अब तक याक़ूब की औलाद रहे हो।


ऐ इसराईल, मैं तुझे किस तरह छोड़ सकता हूँ? मैं तुझे किस तरह दुश्मन के हवाले कर सकता, किस तरह अदमा की तरह दूसरों के क़ब्ज़े में छोड़ सकता, किस तरह ज़बोईम की तरह तबाह कर सकता हूँ? मेरा इरादा सरासर बदल गया है, मैं तुझ पर शफ़क़त करने के लिए बेचैन हूँ।


बेवफ़ाओं को देखकर मुझे घिन आती है, क्योंकि वह तेरे कलाम के मुताबिक़ ज़िंदगी नहीं गुज़ारते।


रब ने क़सम खाई है और इससे पछताएगा नहीं, “तू अबद तक इमाम है, ऐसा इमाम जैसा मलिके-सिद्क़ था।”


चालीस साल मैं उस नसल से घिन खाता रहा। मैं बोला, ‘उनके दिल हमेशा सहीह राह से हट जाते हैं, और वह मेरी राहें नहीं जानते।’


काश मेरी क़ौम सुने, इसराईल मेरी राहों पर चले!


रेगिस्तान में वह कितनी दफ़ा उससे सरकश हुए, कितनी मरतबा उसे दुख पहुँचाया।


क्योंकि जब भी अल्लाह किसी को अपनी नेमतों से नवाज़कर बुलाता है तो उस की यह नेमतें और बुलावे कभी नहीं मिटने की।


उसने कहा, “गो मैं ही ने इनसान को ख़लक़ किया मैं उसे रूए-ज़मीन पर से मिटा डालूँगा। मैं न सिर्फ़ लोगों को बल्कि ज़मीन पर चलने-फिरने और रेंगनेवाले जानवरों और हवा के परिंदों को भी हलाक कर दूँगा, क्योंकि मैं पछताता हूँ कि मैंने उनको बनाया।”


“कभी मैं एलान करता हूँ कि किसी क़ौम या सलतनत को जड़ से उखाड़ दूँगा, उसे गिराकर तबाह कर दूँगा।


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