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پیدایش 50:25 - किताबे-मुक़द्दस

25 फिर यूसुफ़ ने इसराईलियों को क़सम दिलाकर कहा, “अल्लाह यक़ीनन तुम्हारी देख-भाल करके वहाँ ले जाएगा। उस वक़्त मेरी हड्डियों को भी उठाकर साथ ले जाना।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

25 اَور یُوسیفؔ نے بنی اِسرائیل سے قَسم لے کر کہا، ”خُدا یقیناً تمہاری مدد کے لئے آئیں گے اَور تَب تُم ضروُر ہی میری ہڈّیوں کو یہاں سے لے جانا۔“

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کِتابِ مُقادّس

25 اور یُوسفؔ نے بنی اِسرائیل سے قَسم لے کر کہا خُدا یقیناً تُم کو یاد کرے گا۔ سو تُم ضرُور ہی میری ہڈَّیوں کو یہاں سے لے جانا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

25 پھر یوسف نے اسرائیلیوں کو قَسم دلا کر کہا، ”اللہ یقیناً تمہاری دیکھ بھال کر کے وہاں لے جائے گا۔ اُس وقت میری ہڈیوں کو بھی اُٹھا کر ساتھ لے جانا۔“

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پیدایش 50:25
10 حوالہ جات  

मिसर को छोड़ते वक़्त इसराईली यूसुफ़ की हड्डियाँ अपने साथ लाए थे। अब उन्होंने उन्हें सिकम शहर की उस ज़मीन में दफ़न कर दिया जो याक़ूब ने सिकम के बाप हमोर की औलाद से चाँदी के सौ सिक्कों के बदले ख़रीद ली थी। यह ज़मीन यूसुफ़ की औलाद की विरासत में आ गई थी।


मूसा यूसुफ़ का ताबूत भी अपने साथ ले गया, क्योंकि यूसुफ़ ने इसराईलियों को क़सम दिलाकर कहा था, “अल्लाह यक़ीनन तुम्हारी देख-भाल करके वहाँ ले जाएगा। उस वक़्त मेरी हड्डियों को भी उठाकर साथ ले जाना।”


यह ईमान का काम था कि यूसुफ़ ने मरते वक़्त यह पेशगोई की कि इसराईली मिसर से निकलेंगे बल्कि यह भी कहा कि निकलते वक़्त मेरी हड्डियाँ भी अपने साथ ले जाओ।


उन्हें सिकम में लाकर उस क़ब्र में दफ़नाया गया जो इब्राहीम ने हमोर की औलाद से पैसे देकर ख़रीदी थी।


कि मेरे बाप ने मुझे क़सम दिलाकर कहा था, ‘मैं मरनेवाला हूँ। मुझे उस क़ब्र में दफ़न करना जो मैंने मुल्के-कनान में अपने लिए बनवाई।’ अब मुझे इजाज़त दें कि मैं वहाँ जाऊँ और अपने बाप को दफ़न करके वापस आऊँ।”


अब मैं उन्हें मिसरियों के क़ाबू से बचाने के लिए उतर आया हूँ। मैं उन्हें मिसर से निकालकर एक अच्छे वसी मुल्क में ले जाऊँगा, एक ऐसे मुल्क में जहाँ दूध और शहद की कसरत है, गो इस वक़्त कनानी, हित्ती, अमोरी, फ़रिज़्ज़ी, हिव्वी और यबूसी उसमें रहते हैं।


इसलिए मैंने फ़ैसला किया है कि तुम्हें मिसर की मुसीबत से निकालकर कनानियों, हित्तियों, अमोरियों, फ़रिज़्ज़ियों, हिव्वियों और यबूसियों के मुल्क में ले जाऊँ, ऐसे मुल्क में जहाँ दूध और शहद की कसरत है।’


इसलिए अल्लाह उन्हें दूसरे रास्ते से लेकर गया, और वह रेगिस्तान के रास्ते से बहरे-क़ुलज़ुम की तरफ़ बढ़े। मिसर से निकलते वक़्त मर्द मुसल्लह थे।


एक दिन नओमी को मुल्के-मोआब में ख़बर मिली कि रब अपनी क़ौम पर रहम करके उसे दुबारा अच्छी फ़सलें दे रहा है। तब वह अपने वतन यहूदाह के लिए रवाना हुई। उरफ़ा और रूत भी साथ चलीं। जब वह उस रास्ते पर आ गईं जो यहूदाह तक पहुँचाता है


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