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پیدایش 5:5 - किताबे-मुक़द्दस

5 वह 930 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

5 آدمؔ پُورے نَو سَو تیس بَرس تک زندہ رہے اَور پھر اُن کی وفات ہوئی۔

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کِتابِ مُقادّس

5 اور آدمؔ کی کُل عُمر نو سَو تِیس برس کی ہُوئی۔ تب وہ مَرا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

5 وہ 930 سال کی عمر میں فوت ہوا۔

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پیدایش 5:5
21 حوالہ جات  

वह 905 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।


वह 912 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।


बेशक हम सबको किसी वक़्त मरना है। हम सब ज़मीन पर उंडेले गए पानी की मानिंद हैं जिसे ज़मीन जज़ब कर लेती है और जो दुबारा जमा नहीं किया जा सकता। लेकिन अल्लाह हमारी ज़िंदगी को बिलावजह मिटा नहीं देता बल्कि ऐसे मनसूबे तैयार रखता है जिनके ज़रीए मरदूद शख़्स भी उसके पास वापस आ सके और उससे दूर न रहे।


पसीना बहा बहाकर तुझे रोटी कमाने के लिए भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। और यह सिलसिला मौत तक जारी रहेगा। तू मेहनत करते करते दुबारा ज़मीन में लौट जाएगा, क्योंकि तू उसी से लिया गया है। तू ख़ाक है और दुबारा ख़ाक में मिल जाएगा।”


एक बार मरना और अल्लाह की अदालत में हाज़िर होना हर इनसान के लिए मुक़र्रर है।


हर इनसान की जान मेरी ही है, ख़ाह बाप की हो या बेटे की। जिसने गुनाह किया है सिर्फ़ उसी को सज़ाए-मौत मिलेगी।


तब तेरी ख़ाक दुबारा उस ख़ाक में मिल जाएगी जिससे निकल आई और तेरी रूह उस ख़ुदा के पास लौट जाएगी जिसने उसे बख़्शा था।


उसे याद रख, इससे पहले कि तू ऊँची जगहों और गलियों के ख़तरों से डरने लगे। गो बादाम का फूल खिल जाए, टिड्डी बोझ तले दब जाए और करीर का फूल फूट निकले, लेकिन तू कूच करके अपने अबदी घर में चला जाएगा, और मातम करनेवाले गलियों में घूमते फिरेंगे।


कम अज़ कम जो ज़िंदा हैं वह जानते हैं कि हम मरेंगे। लेकिन मुरदे कुछ नहीं जानते, उन्हें मज़ीद कोई अज्र नहीं मिलना है। उनकी यादें भी मिट जाती हैं।


हमारी उम्र 70 साल या अगर ज़्यादा ताक़त हो तो 80 साल तक पहुँचती है, और जो दिन फ़ख़र का बाइस थे वह भी तकलीफ़देह और बेकार हैं। जल्द ही वह गुज़र जाते हैं, और हम परिंदों की तरह उड़कर चले जाते हैं।


कौन है जिसका मौत से वास्ता न पड़े, कौन है जो हमेशा ज़िंदा रहे? कौन अपनी जान को मौत के क़ब्ज़े से बचाए रख सकता है? (सिलाह)


हाँ, अब मैं जानता हूँ कि तू मुझे मौत के हवाले करेगा, उस घर में पहुँचाएगा जहाँ एक दिन तमाम जानदार जमा हो जाते हैं।


तेरे कपड़े हर वक़्त सफ़ेद हों, तेरा सर तेल से महरूम न रहे।


रब अपने ख़ुदा को प्यार कर, उस की सुन और उससे लिपटा रह। क्योंकि वही तेरी ज़िंदगी है और वही करेगा कि तू देर तक उस मुल्क में जीता रहेगा जिसका वादा उसने क़सम खाकर तेरे बापदादा इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब से किया था।”


सेत की पैदाइश के बाद आदम मज़ीद 800 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।


सेत 105 साल का था जब उसका बेटा अनूस पैदा हुआ।


नूह तक आदम की औलाद सेत, अनूस,


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