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پیدایش 5:29 - किताबे-मुक़द्दस

29 उसने उसका नाम नूह यानी तसल्ली रखा, क्योंकि उसने उसके बारे में कहा, “हमारा खेतीबाड़ी का काम निहायत तकलीफ़देह है, इसलिए कि अल्लाह ने ज़मीन पर लानत भेजी है। लेकिन अब हम बेटे की मारिफ़त तसल्ली पाएँगे।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

29 اُس نے اُس کا نام نوحؔا رکھا اَور کہا، ”یہ ہمیں اَپنے ہاتھوں کی محنت اَور مشقّت سے جو ہم اِس زمین پر کرتے ہیں، جسے یَاہوِہ نے ملعُون قرار دیا، آرام دے گا۔“

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کِتابِ مُقادّس

29 اور اُس نے اُس کا نام نُوحؔ رکھّا اور کہا کہ یہ ہمارے ہاتھوں کی مِحنت اور مشقّت سے جو زمِین کے سبب سے ہے جِس پر خُدا نے لَعنت کی ہے ہمیں آرام دے گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

29 اُس نے اُس کا نام نوح یعنی تسلی رکھا، کیونکہ اُس نے اُس کے بارے میں کہا، ”ہمارا کھیتی باڑی کا کام نہایت تکلیف دہ ہے، اِس لئے کہ اللہ نے زمین پر لعنت بھیجی ہے۔ لیکن اب ہم بیٹے کی معرفت تسلی پائیں گے۔“

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پیدایش 5:29
17 حوالہ جات  

इसी तरह उसने क़दीम दुनिया को बचने न दिया बल्कि उसके बेदीन बाशिंदों पर सैलाब को आने दिया। उसने सिर्फ़ रास्तबाज़ी के पैग़ंबर नूह को सात और जानों समेत बचाया।


यह ईमान का काम था कि नूह ने अल्लाह की सुनी जब उसने उसे आनेवाली बातों के बारे में आगाह किया, ऐसी बातों के बारे में जो अभी देखने में नहीं आई थीं। नूह ने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानकर एक कश्ती बनाई ताकि उसका ख़ानदान बच जाए। यों उसने अपने ईमान के ज़रीए दुनिया को मुजरिम क़रार दिया और उस रास्तबाज़ी का वारिस बन गया जो ईमान से हासिल होती है।


जब इब्ने-आदम आएगा तो हालात नूह के दिनों जैसे होंगे।


मेरी हयात की क़सम, ख़ाह नूह, दानियाल और अय्यूब मुल्क में क्यों न बसते तो भी वह अपने बेटे-बेटियों को बचा न सकते। वह अपनी रास्तबाज़ी से सिर्फ़ अपनी ही जानों को बचाते। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।


ख़ाह मुल्क में नूह, दानियाल और अय्यूब क्यों न बसते तो भी मुल्क न बचता। यह आदमी अपनी रास्तबाज़ी से सिर्फ़ अपनी ही जानों को बचा सकते। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।


“बड़े सैलाब के बाद मैंने नूह से क़सम खाई थी कि आइंदा सैलाब कभी पूरी ज़मीन पर नहीं आएगा। इसी तरह अब मैं क़सम खाकर वादा करता हूँ कि आइंदा न मैं कभी तुझसे नाराज़ हूँगा, न तुझे मलामत करूँगा।


जब नूह होश में आया तो उसको पता चला कि सबसे छोटे बेटे ने क्या किया है।


यह उनकी रूहें थीं जो उन दिनों में नाफ़रमान थे जब नूह अपनी कश्ती बना रहा था। उस वक़्त अल्लाह सब्र से इंतज़ार करता रहा, लेकिन आख़िरकार सिर्फ़ चंद एक लोग यानी आठ अफ़राद पानी में से गुज़रकर बच निकले।


बिन क़ीनान बिन अरफ़क्सद बिन सिम बिन नूह बिन लमक


यों हर मख़लूक़ को रूए-ज़मीन पर से मिटा दिया गया। इनसान, ज़मीन पर फिरने और रेंगनेवाले जानवर और परिंदे, सब कुछ ख़त्म कर दिया गया। सिर्फ़ नूह और कश्ती में सवार उसके साथी बच गए।


क्योंकि कायनात अल्लाह की लानत के तहत आकर फ़ानी हो गई है। यह उस की अपनी नहीं बल्कि अल्लाह की मरज़ी थी जिसने उस पर यह लानत भेजी। तो भी यह उम्मीद दिलाई गई


लमक 182 साल का था जब उसका बेटा पैदा हुआ।


इसके बाद वह मज़ीद 595 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।


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