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پیدایش 48:10 - किताबे-मुक़द्दस

10 बूढ़ा होने के सबब से याक़ूब की आँखें कमज़ोर थीं। वह अच्छी तरह देख नहीं सकता था। यूसुफ़ अपने बेटों को याक़ूब के पास ले आया तो उसने उन्हें बोसा देकर गले लगाया

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

10 اِسرائیل کی آنکھیں بُڑھاپے کی وجہ سے دھُندلا گئی تھیں اَور وہ بمشکل دیکھ پاتے تھے۔ چنانچہ یُوسیفؔ اَپنے بیٹوں کو اُن کے قریب لائے اَور اُن کے باپ نے اُنہیں چُوما اَور گلے لگایا۔

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کِتابِ مُقادّس

10 لیکن اِسرائیل کی آنکھیں بُڑھاپے کے سبب سے دُھندلا گئی تِھیں اور اُسے دِکھائی نہیں دیتا تھا۔ سو یُوسفؔ اُن کو اُس کے نزدِیک لے آیا۔ تب اُس نے اُن کو چُوم کر گلے لگا لِیا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

10 بوڑھا ہونے کے سبب سے یعقوب کی آنکھیں کمزور تھیں۔ وہ اچھی طرح دیکھ نہیں سکتا تھا۔ یوسف اپنے بیٹوں کو یعقوب کے پاس لے آیا تو اُس نے اُنہیں بوسہ دے کر گلے لگایا

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پیدایش 48:10
13 حوالہ جات  

याक़ूब ने पास आकर उसे बोसा दिया। इसहाक़ ने उसके लिबास को सूँघकर उसे बरकत दी। उसने कहा, “मेरे बेटे की ख़ुशबू उस खुले मैदान की ख़ुशबू की मानिंद है जिसे रब ने बरकत दी है।


इसहाक़ बूढ़ा हो गया तो उस की नज़र धुँधला गई। उसने अपने बड़े बेटे को बुलाकर कहा, “बेटा।” एसौ ने जवाब दिया, “जी, मैं हाज़िर हूँ।”


यक़ीनन रब का बाज़ू छोटा नहीं कि वह बचा न सके, उसका कान बहरा नहीं कि सुन न सके।


इस क़ौम के दिल को बेहिस कर दे, उनके कानों और आँखों को बंद कर। ऐसा न हो कि वह अपनी आँखों से देखें, अपने कानों से सुनें, मेरी तरफ़ रुजू करें और शफ़ा पाएँ।”


इलीशा फ़ौरन अपने बैलों को छोड़कर इलियास के पीछे भागा। उसने कहा, “पहले मुझे अपने माँ-बाप को बोसा देकर ख़ैरबाद कहने दीजिए। फिर मैं आपके पीछे हो लूँगा।” इलियास ने जवाब दिया, “चलें, वापस जाएँ। लेकिन वह कुछ याद रहे जो मैंने आपके साथ किया है।”


एक रात एली जिसकी आँखें इतनी कमज़ोर हो गई थीं कि देखना तक़रीबन नामुमकिन था मामूल के मुताबिक़ सो गया था।


फिर यूसुफ़ ने रोते हुए अपने हर एक भाई को बोसा दिया। इसके बाद उसके भाई उसके साथ बातें करने लगे।


अगले दिन सुबह-सवेरे लाबन ने अपने नवासे-नवासियों और बेटियों को बोसा देकर उन्हें बरकत दी। फिर वह अपने घर वापस चला गया।


फिर याक़ूब ने यूसुफ़ के बेटों पर नज़र डालकर पूछा, “यह कौन हैं?”


और यूसुफ़ से कहा, “मुझे तवक़्क़ो ही नहीं थी कि मैं कभी तेरा चेहरा देखूँगा, और अब अल्लाह ने मुझे तेरे बेटों को देखने का मौक़ा भी दिया है।”


अपनी वफ़ात के वक़्त मूसा 120 साल का था। आख़िर तक न उस की आँखें धुँधलाईं, न उस की ताक़त कम हुई।


उसे याद रख, इससे पहले कि घर के पहरेदार थरथराने लगें, ताक़तवर आदमी कुबड़े हो जाएँ, गंदुम पीसनेवाली नौकरानियाँ कम होने के बाइस काम करना छोड़ दें और खिड़कियों में से देखनेवाली ख़वातीन धुँधला जाएँ।


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