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پیدایش 42:24 - किताबे-मुक़द्दस

24 यह बातें सुनकर वह उन्हें छोड़कर रोने लगा। फिर वह सँभलकर वापस आया। उसने शमौन को चुनकर उसे उनके सामने ही बाँध लिया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

24 تَب یُوسیفؔ اُن کے پاس سے ہٹ گئے اَور الگ جا کر رونے لگے؛ لیکن پھر واپس آئے اَور اُن سے باتیں کرنے لگے۔ یُوسیفؔ نے اُن میں سے شمعُونؔ کو لے کر اُسے اُن کی آنکھوں کے سامنے بندھوایا۔

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کِتابِ مُقادّس

24 تب وہ اُن کے پاس سے ہٹ گیا اور رویا اور پِھر اُن کے پاس آ کر اُن سے باتیں کِیں اور اُن میں سے شمعُوؔن کو لے کر اُن کی آنکھوں کے سامنے اُسے بندھوا دِیا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

24 یہ باتیں سن کر وہ اُنہیں چھوڑ کر رونے لگا۔ پھر وہ سنبھل کر واپس آیا۔ اُس نے شمعون کو چن کر اُسے اُن کے سامنے ہی باندھ لیا۔

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پیدایش 42:24
15 حوالہ جات  

यूसुफ़ अपने भाई को देखकर इतना मुतअस्सिर हुआ कि वह रोने को था, इसलिए वह जल्दी से वहाँ से निकलकर अपने सोने के कमरे में गया और रो पड़ा।


और वह ऐसा इमामे-आज़म नहीं है जो हमारी कमज़ोरियों को देखकर हमदर्दी न दिखाए बल्कि अगरचे वह बेगुनाह रहा तो भी हमारी तरह उसे हर क़िस्म की आज़माइश का सामना करना पड़ा।


अगर एक अज़ु दुख में हो तो उसके साथ दीगर तमाम आज़ा भी दुख महसूस करते हैं। अगर एक अज़ु सरफ़राज़ हो जाए तो उसके साथ बाक़ी तमाम आज़ा भी मसरूर होते हैं।


ख़ुशी मनानेवालों के साथ ख़ुशी मनाएँ और रोनेवालों के साथ रोएँ।


जब वह यरूशलम के क़रीब पहुँचा तो शहर को देखकर रो पड़ा


वह उनकी तमाम मुसीबत में शरीक हुआ, और उसके हुज़ूर के फ़रिश्ते ने उन्हें छुटकारा दिया। वह उन्हें प्यार करता, उन पर तरस खाता था, इसलिए उसने एवज़ाना देकर उन्हें छुड़ाया। हाँ, क़दीम ज़माने से आज तक वह उन्हें उठाए फिरता रहा।


मुलाज़िम ने कहा, “फ़िकर न करें। मत डरें। आपके और आपके बाप के ख़ुदा ने आपके लिए आपकी बोरियों में यह ख़ज़ाना रखा होगा। बहरहाल मुझे आपके पैसे मिल गए हैं।” मुलाज़िम शमौन को उनके पास बाहर ले आया।


अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ करे कि यह आदमी तुम पर रहम करके बिनयमीन और तुम्हारे दूसरे भाई को वापस भेजे। जहाँ तक मेरा ताल्लुक़ है, अगर मुझे अपने बच्चों से महरूम होना है तो ऐसा ही हो।”


तीन दिन के बाद जब ख़तने के सबब से लोगों की हालत बुरी थी तो दीना के दो भाई शमौन और लावी अपनी तलवारें लेकर शहर में दाख़िल हुए। किसी को शक तक नहीं था कि क्या कुछ होगा। अंदर जाकर उन्होंने बच्चों से लेकर बूढ़ों तक तमाम मर्दों को क़त्ल कर दिया


उन्हें मालूम नहीं था कि यूसुफ़ हमारी बातें समझ सकता है, क्योंकि वह मुतरजिम की मारिफ़त उनसे बात करता था।


यह सुनकर यूसुफ़ अपने आप पर क़ाबू न रख सका। उसने ऊँची आवाज़ से हुक्म दिया कि तमाम मुलाज़िम कमरे से निकल जाएँ। कोई और शख़्स कमरे में नहीं था जब यूसुफ़ ने अपने भाइयों को बताया कि वह कौन है।


वह इतने ज़ोर से रो पड़ा कि मिसरियों ने उस की आवाज़ सुनी और फ़िरौन के घराने को पता चल गया।


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