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پیدایش 35:7 - किताबे-मुक़द्दस

7 याक़ूब ने वहाँ क़ुरबानगाह बनाकर मक़ाम का नाम बैतेल यानी ‘अल्लाह का घर’ रखा। क्योंकि वहाँ अल्लाह ने अपने आपको उस पर ज़ाहिर किया था जब वह अपने भाई से फ़रार हो रहा था।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

7 یعقوب نے وہاں ایک مذبح بنایا اَور اُس مقام کا نام ایل بیت ایل رکھا، کیونکہ جَب وہ اَپنے بھایٔی کے پاس سے دُور بھاگ رہے تھے، تَب خُدا نے اَپنے آپ کو وہاں پر ظاہر کیا۔

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کِتابِ مُقادّس

7 اور اُس نے وہاں مذبح بنایا اور اُس مقام کا نام ایل بَیت ایلؔ رکھّا کیونکہ جب وہ اپنے بھائی کے پاس سے بھاگا جا رہا تھا تو خُدا وہِیں اُس پر ظاہِر ہُؤا تھا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

7 یعقوب نے وہاں قربان گاہ بنا کر مقام کا نام بیت ایل یعنی ’اللہ کا گھر‘ رکھا۔ کیونکہ وہاں اللہ نے اپنے آپ کو اُس پر ظاہر کیا تھا جب وہ اپنے بھائی سے فرار ہو رہا تھا۔

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پیدایش 35:7
16 حوالہ جات  

क्योंकि हमें यह जगह छोड़कर बैतेल जाना है। वहाँ मैं उस ख़ुदा के लिए क़ुरबानगाह बनाऊँगा जिसने मुसीबत के वक़्त मेरी दुआ सुनी। जहाँ भी मैं गया वहाँ वह मेरे साथ रहा है।”


अल्लाह ने याक़ूब से कहा, “उठ, बैतेल जाकर वहाँ आबाद हो। वहीं अल्लाह के लिए जो तुझ पर ज़ाहिर हुआ जब तू अपने भाई एसौ से भाग रहा था क़ुरबानगाह बना।”


रब उसके ऊपर खड़ा था। उसने कहा, “मैं रब इब्राहीम और इसहाक़ का ख़ुदा हूँ। मैं तुझे और तेरी औलाद को यह ज़मीन दूँगा जिस पर तू लेटा है।


फ़सील की पूरी लंबाई 9 किलोमीटर है। तब शहर ‘यहाँ रब है’ कहलाएगा।!”


वहीं जिदौन ने रब के लिए क़ुरबानगाह बनाई और उसका नाम ‘रब सलामत है’ रखा। यह आज तक अबियज़र के ख़ानदान के शहर उफ़रा में मौजूद है।


उस वक़्त मूसा ने क़ुरबानगाह बनाकर उसका नाम ‘रब मेरा झंडा है’ रखा।


जहाँ यह पत्थर सतून के तौर पर खड़ा है वहाँ अल्लाह का घर होगा, और जो भी तू मुझे देगा उसका दसवाँ हिस्सा तुझे दिया करूँगा।”


उसने मक़ाम का नाम बैतेल यानी ‘अल्लाह का घर’ रखा (पहले साथवाले शहर का नाम लूज़ था)।


वहाँ रब अब्राम पर ज़ाहिर हुआ और उससे कहा, “मैं तेरी औलाद को यह मुल्क दूँगा।” इसलिए उसने वहाँ रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई जहाँ वह उस पर ज़ाहिर हुआ था।


वहाँ से वह उस पहाड़ी इलाक़े की तरफ़ गया जो बैतेल के मशरिक़ में है। वहाँ उसने अपना ख़ैमा लगाया। मग़रिब में बैतेल था और मशरिक़ में अई। इस जगह पर भी उसने रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई और रब का नाम लेकर इबादत की।


याक़ूब बैर-सबा से हारान की तरफ़ रवाना हुआ।


वह डर गया और कहा, “यह कितना ख़ौफ़नाक मक़ाम है। यह तो अल्लाह ही का घर और आसमान का दरवाज़ा है।”


याक़ूब ने अपना सफ़र जारी रखा और चलते चलते मशरिक़ी क़ौमों के मुल्क में पहुँच गया।


मैं वह ख़ुदा हूँ जो बैतेल में तुझ पर ज़ाहिर हुआ था, उस जगह जहाँ तूने सतून पर तेल उंडेलकर उसे मेरे लिए मख़सूस किया और मेरे हुज़ूर क़सम खाई थी। अब उठ और रवाना होकर अपने वतन वापस चला जा’।”


उसने जगह का नाम बैतेल रखा।


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