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پیدایش 35:27 - किताबे-मुक़द्दस

27 फिर याक़ूब अपने बाप इसहाक़ के पास पहुँच गया जो हबरून के क़रीब ममरे में अजनबी की हैसियत से रहता था (उस वक़्त हबरून का नाम क़िरियत-अरबा था)। वहाँ इसहाक़ और उससे पहले इब्राहीम रहा करते थे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

27 یعقوب ممرےؔ میں جو قِریت اربعؔ یعنی حِبرونؔ کے نزدیک ہے اَور جہاں اَبراہامؔ اَور اِصحاقؔ بسے تھے اَپنے باپ اِصحاقؔ کے پاس آئے۔

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کِتابِ مُقادّس

27 اور یعقُوبؔ مَمرے میں جو قریت اربع یعنی حبرُونؔ ہے جہاں ابرہامؔ اور اِضحاقؔ نے ڈیرا کِیا تھا اپنے باپ اِضحاقؔ کے پاس آیا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

27 پھر یعقوب اپنے باپ اسحاق کے پاس پہنچ گیا جو حبرون کے قریب ممرے میں اجنبی کی حیثیت سے رہتا تھا (اُس وقت حبرون کا نام قِریَت اربع تھا)۔ وہاں اسحاق اور اُس سے پہلے ابراہیم رہا کرتے تھے۔

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پیدایش 35:27
20 حوالہ جات  

अब्राम रवाना हुआ। चलते चलते उसने अपने डेरे हबरून के क़रीब ममरे के दरख़्तों के पास लगाए। वहाँ उसने रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई।


फिर इब्राहीम ने अपनी बीवी सारा को मुल्के-कनान के उस ग़ार में दफ़न किया जो ममरे यानी हबरून के मशरिक़ में वाक़े मकफ़ीला के खेत में था।


एक दिन रब ममरे के दरख़्तों के पास इब्राहीम पर ज़ाहिर हुआ। इब्राहीम अपने ख़ैमे के दरवाज़े पर बैठा था। दिन की गरमी उरूज पर थी।


रब के हुक्म के मुताबिक़ यशुअ ने कालिब बिन यफ़ुन्ना को उसका हिस्सा यहूदाह में दे दिया। वहाँ उसे हबरून शहर मिल गया। उस वक़्त उसका नाम क़िरियत-अरबा था (अरबा अनाक़ का बाप था)।


उस ज़माने में हबरून का नाम क़िरियत-अरबा था, और वह मुल्के-कनान में था। इब्राहीम ने उसके पास आकर मातम किया।


पहले साढ़े सात साल वह सिर्फ़ यहूदाह का बादशाह था और उसका दारुल-हुकूमत हबरून रहा। बाक़ी 33 साल वह यरूशलम में रहकर यहूदाह और इसराईल दोनों पर हुकूमत करता रहा।


जब इसराईल के तमाम बुज़ुर्ग हबरून पहुँचे तो दाऊद बादशाह ने रब के हुज़ूर उनके साथ अहद बाँधा, और उन्होंने उसे मसह करके इसराईल का बादशाह बना दिया।


उस वक़्त इसराईल के तमाम क़बीले हबरून में दाऊद के पास आए और कहा, “हम आप ही की क़ौम और आप ही के रिश्तेदार हैं।


दाऊद हबरून में यहूदाह पर साढ़े सात साल हुकूमत करता रहा।


दाऊद ने अपने आदमियों को भी उनके ख़ानदानों समेत हबरून और गिर्दो-नवाह की आबादियों में मुंतक़िल कर दिया।


इसके बाद दाऊद ने रब से दरियाफ़्त किया, “क्या मैं यहूदाह के किसी शहर में वापस चला जाऊँ?” रब ने जवाब दिया, “हाँ, वापस जा।” दाऊद ने सवाल किया, “मैं किस शहर में जाऊँ?” रब ने जवाब दिया, “हबरून में।”


पहला शहर अनाक़ियों के बाप का शहर क़िरियत-अरबा था जो यहूदाह के पहाड़ी इलाक़े में है और जिसका मौजूदा नाम हबरून है। उस की चरागाहें भी दी गईं,


यों इसहाक़ ने याक़ूब को मसोपुतामिया में लाबन के घर भेजा। लाबन अरामी मर्द बतुएल का बेटा और रिबक़ा का भाई था।


लेकिन एक आदमी ने जो बच निकला था इबरानी मर्द अब्राम के पास आकर उसे सब कुछ बता दिया। उस वक़्त वह ममरे के दरख़्तों के पास आबाद था। ममरे अमोरी था। वह और उसके भाई इसकाल और आनेर अब्राम के इत्तहादी थे।


और अपने तमाम मवेशी और मसोपुतामिया से हासिल किया हुआ तमाम सामान लेकर मुल्के-कनान में अपने बाप के हाँ जाने के लिए रवाना हुआ।


याक़ूब ने कहा, “जाकर मालूम कर कि तेरे भाई और उनके साथ के रेवड़ ख़ैरियत से हैं कि नहीं। फिर वापस आकर मुझे बता देना।” चुनाँचे उसके बाप ने उसे वादीए-हबरून से भेज दिया, और यूसुफ़ सिकम पहुँच गया।


तू इस वक़्त मुल्के-कनान में परदेसी है, लेकिन मैं इस पूरे मुल्क को तुझे और तेरी औलाद को देता हूँ। यह हमेशा तक उनका ही रहेगा, और मैं उनका ख़ुदा हूँगा।”


फिर याक़ूब ने अपने बेटों को हुक्म दिया, “अब मैं कूच करके अपने बापदादा से जा मिलूँगा। मुझे मेरे बापदादा के साथ उस ग़ार में दफ़नाना जो हित्ती आदमी इफ़रोन के खेत में है।


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