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پیدایش 33:18 - किताबे-मुक़द्दस

18 फिर याक़ूब चलते चलते सलामती से सिकम शहर पहुँचा। यों उसका मसोपुतामिया से मुल्के-कनान तक का सफ़र इख़्तिताम तक पहुँच गया। उसने अपने ख़ैमे शहर के सामने लगाए।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

18 فدّان ارام سے آنے کے بعد یعقوب صحیح سلامت مُلکِ کنعانؔ میں شِکیمؔ کے شہر تک پہُنچے اَور شہر کے نزدیک ہی خیمہ زن ہو گئے۔

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کِتابِ مُقادّس

18 اور یعقُوبؔ جب فدّانؔ ارامؔ سے چلا تو مُلکِ کنعاؔن کے ایک شہر سِکمؔ کے نزدِیک صحیح و سلامت پُہنچا اور اُس شہر کے سامنے اپنے ڈیرے لگائے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

18 پھر یعقوب چلتے چلتے سلامتی سے سِکم شہر پہنچا۔ یوں اُس کا مسوپتامیہ سے ملکِ کنعان تک کا سفر اختتام تک پہنچ گیا۔ اُس نے اپنے خیمے شہر کے سامنے لگائے۔

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پیدایش 33:18
16 حوالہ جات  

उन्हें सिकम में लाकर उस क़ब्र में दफ़नाया गया जो इब्राहीम ने हमोर की औलाद से पैसे देकर ख़रीदी थी।


एक दिन यरुब्बाल यानी जिदौन का बेटा अबीमलिक अपने मामुओं और माँ के बाक़ी रिश्तेदारों से मिलने के लिए सिकम गया। उसने उनसे कहा,


फिर यशुअ ने इसराईल के तमाम क़बीलों को सिकम शहर में जमा किया। उसने इसराईल के बुज़ुर्गों, सरदारों, क़ाज़ियों और निगहबानों को बुलाया, और वह मिलकर अल्लाह के हुज़ूर हाज़िर हुए।


चलते चलते वह एक शहर के पास पहुँच गया जिसका नाम सूख़ार था। यह उस ज़मीन के क़रीब था जो याक़ूब ने अपने बेटे यूसुफ़ को दी थी।


इसहाक़ 40 साल का था जब उस की रिबक़ा से शादी हुई। रिबक़ा लाबन की बहन और अरामी मर्द बतुएल की बेटी थी (बतुएल मसोपुतामिया का था)।


उस वक़्त यहया भी शालेम के क़रीब वाक़े मक़ाम ऐनोन में बपतिस्मा दे रहा था, क्योंकि वहाँ पानी बहुत था। उस जगह पर लोग बपतिस्मा लेने के लिए आते रहे।


इन बेटों की माँ लियाह थी, और वह मसोपुतामिया में पैदा हुए। इनके अलावा दीना उस की बेटी थी। कुल 33 मर्द लियाह की औलाद थे।


अल्लाह याक़ूब पर एक दफ़ा और ज़ाहिर हुआ और उसे बरकत दी। यह मसोपुतामिया से वापस आने पर दूसरी बार हुआ।


अब सीधे मसोपुतामिया में अपने नाना बतुएल के घर जा और वहाँ अपने मामूँ लाबन की लड़कियों में से किसी एक से शादी कर।


अब्राम उस मुल्क में से गुज़रकर सिकम के मक़ाम पर ठहर गया जहाँ मोरिह के बलूत का दरख़्त था। उस ज़माने में मुल्क में कनानी क़ौमें आबाद थीं।


तो याक़ूब ने यूसुफ़ से कहा, “तेरे भाई सिकम में रेवड़ों को चरा रहे हैं। आ, मैं तुझे उनके पास भेज देता हूँ।” यूसुफ़ ने जवाब दिया, “ठीक है।”


मैं यह तेरी माँ राख़िल के सबब से कर रहा हूँ जो मसोपुतामिया से वापसी के वक़्त कनान में इफ़राता के क़रीब मर गई। मैंने उसे वहीं रास्ते में दफ़न किया” (आज इफ़राता को बैत-लहम कहा जाता है)।


अल्लाह ने अपने मक़दिस में फ़रमाया है, “मैं फ़तह मनाते हुए सिकम को तक़सीम करूँगा और वादीए-सुक्कात को नापकर बाँट दूँगा।


तो 80 आदमी वहाँ पहुँचे जो सिकम, सैला और सामरिया से आकर रब के तबाहशुदा घर में उस की परस्तिश करने जा रहे थे। उनके पास ग़ल्ला और बख़ूर की क़ुरबानियाँ थीं, और उन्होंने ग़म के मारे अपनी दाढ़ियाँ मुँडवाकर अपने कपड़े फाड़ लिए और अपनी जिल्द को ज़ख़मी कर दिया था।


जब लाबन उसके पास पहुँचा तो याक़ूब ने जिलियाद के पहाड़ी इलाक़े में अपने ख़ैमे लगाए हुए थे। लाबन ने भी अपने रिश्तेदारों के साथ वहीं अपने ख़ैमे लगाए।


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