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پیدایش 28:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 अब सीधे मसोपुतामिया में अपने नाना बतुएल के घर जा और वहाँ अपने मामूँ लाबन की लड़कियों में से किसी एक से शादी कर।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 فوراً فدّان ارام کو اَپنے نانا بیتُھوایلؔ کے گھر چلے جاؤ اَور وہاں اَپنے ماموں لابنؔ کی بیٹیوں میں سے کسی سے شادی کر لو۔

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کِتابِ مُقادّس

2 تُو اُٹھ کر فدّانؔ ارامؔ کو اپنے نانا بیتوایلؔ کے گھر جا اور وہاں سے اپنے ماموں لابنؔ کی بیٹِیوں میں سے ایک کو بیاہ لا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

2 اب سیدھے مسوپتامیہ میں اپنے نانا بتوایل کے گھر جا اور وہاں اپنے ماموں لابن کی لڑکیوں میں سے کسی ایک سے شادی کر۔

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پیدایش 28:2
16 حوالہ جات  

इसहाक़ 40 साल का था जब उस की रिबक़ा से शादी हुई। रिबक़ा लाबन की बहन और अरामी मर्द बतुएल की बेटी थी (बतुएल मसोपुतामिया का था)।


याक़ूब को भागकर मुल्के-अराम में पनाह लेनी पड़ी। वहाँ वह बीवी मिलने के लिए मुलाज़िम बन गया, औरत के बाइस उसने भेड़-बकरियों की गल्लाबानी की।


इन बेटों की माँ लियाह थी, और वह मसोपुतामिया में पैदा हुए। इनके अलावा दीना उस की बेटी थी। कुल 33 मर्द लियाह की औलाद थे।


अल्लाह याक़ूब पर एक दफ़ा और ज़ाहिर हुआ और उसे बरकत दी। यह मसोपुतामिया से वापस आने पर दूसरी बार हुआ।


मैं उस तमाम मेहरबानी और वफ़ादारी के लायक़ नहीं जो तूने अपने ख़ादिम को दिखाई है। जब मैंने लाबन के पास जाते वक़्त दरियाए-यरदन को पार किया तो मेरे पास सिर्फ़ यह लाठी थी, और अब मेरे पास यह दो गुरोह हैं।


यों इसहाक़ ने याक़ूब को मसोपुतामिया में लाबन के घर भेजा। लाबन अरामी मर्द बतुएल का बेटा और रिबक़ा का भाई था।


लाबन और बतुएल ने जवाब दिया, “यह बात रब की तरफ़ से है, इसलिए हम किसी तरह भी इनकार नहीं कर सकते।


जब रिबक़ा के भाई लाबन ने नथ और बहन की कलाइयों में कंगनों को देखा और वह सब कुछ सुना जो इब्राहीम के नौकर ने रिबक़ा को बताया था तो वह फ़ौरन कुएँ की तरफ़ दौड़ा। इब्राहीम का नौकर अब तक ऊँटों समेत वहाँ खड़ा था।


फिर वह अपने आक़ा के दस ऊँटों पर क़ीमती तोह्फ़े लादकर मसोपुतामिया की तरफ़ रवाना हुआ। चलते चलते वह नहूर के शहर पहुँच गया।


और अपने तमाम मवेशी और मसोपुतामिया से हासिल किया हुआ तमाम सामान लेकर मुल्के-कनान में अपने बाप के हाँ जाने के लिए रवाना हुआ।


याक़ूब ने अपना सफ़र जारी रखा और चलते चलते मशरिक़ी क़ौमों के मुल्क में पहुँच गया।


फिर याक़ूब चलते चलते सलामती से सिकम शहर पहुँचा। यों उसका मसोपुतामिया से मुल्के-कनान तक का सफ़र इख़्तिताम तक पहुँच गया। उसने अपने ख़ैमे शहर के सामने लगाए।


बल्कि मेरे वतन में मेरे रिश्तेदारों के पास जाओगे और उन्हीं में से मेरे बेटे के लिए बीवी लाओगे।”


लेकिन बाद में रब नबी की मारिफ़त इसराईल को मिसर से निकाल लाया और नबी के ज़रीए उस की गल्लाबानी की।


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