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پیدایش 28:19 - किताबे-मुक़द्दस

19 उसने मक़ाम का नाम बैतेल यानी ‘अल्लाह का घर’ रखा (पहले साथवाले शहर का नाम लूज़ था)।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

19 اَور یعقوب نے اُس مقام کا نام بیت ایل رکھا حالانکہ پہلے اُس شہر کا نام لُوزؔ تھا۔

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کِتابِ مُقادّس

19 اور اُس جگہ کا نام بَیت ایلؔ رکھّا لیکن پہلے اُس بستی کا نام لُوزؔ تھا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

19 اُس نے مقام کا نام بیت ایل یعنی ’اللہ کا گھر‘ رکھا (پہلے ساتھ والے شہر کا نام لُوز تھا)۔

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پیدایش 28:19
21 حوالہ جات  

उसने यूसुफ़ से कहा, “जब मैं कनानी शहर लूज़ में था तो अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ मुझ पर ज़ाहिर हुआ। उसने मुझे बरकत देकर


अल्लाह ने याक़ूब से कहा, “उठ, बैतेल जाकर वहाँ आबाद हो। वहीं अल्लाह के लिए जो तुझ पर ज़ाहिर हुआ जब तू अपने भाई एसौ से भाग रहा था क़ुरबानगाह बना।”


ऐ इसराईल, तू इसमतफ़रोश है, लेकिन यहूदाह ख़बरदार रहे कि वह इस जुर्म में मुलव्वस न हो जाए। इसराईल के शहरों जिलजाल और बैत-आवन की क़ुरबानगाहों के पास मत जाना। ऐसी जगहों पर रब का नाम लेकर उस की हयात की क़सम खाना मना है।


एक बुत उसने जुनूबी शहर बैतेल में खड़ा किया और दूसरा शिमाली शहर दान में।


वहाँ से वह उस पहाड़ी इलाक़े की तरफ़ गया जो बैतेल के मशरिक़ में है। वहाँ उसने अपना ख़ैमा लगाया। मग़रिब में बैतेल था और मशरिक़ में अई। इस जगह पर भी उसने रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई और रब का नाम लेकर इबादत की।


जब सूरज ग़ुरूब हुआ तो वह रात गुज़ारने के लिए रुक गया और वहाँ के पत्थरों में से एक को लेकर उसे अपने सिरहाने रखा और सो गया।


मैं वह ख़ुदा हूँ जो बैतेल में तुझ पर ज़ाहिर हुआ था, उस जगह जहाँ तूने सतून पर तेल उंडेलकर उसे मेरे लिए मख़सूस किया और मेरे हुज़ूर क़सम खाई थी। अब उठ और रवाना होकर अपने वतन वापस चला जा’।”


चलते चलते याक़ूब अपने लोगों समेत लूज़ पहुँच गया जो मुल्के-कनान में था। आज लूज़ का नाम बैतेल है।


जहाँ अल्लाह याक़ूब से हमकलाम हुआ था वहाँ उसने पत्थर का सतून खड़ा किया और उस पर मै और तेल उंडेलकर उसे मख़सूस किया।


उसने जगह का नाम बैतेल रखा।


जो शहर के मग़रिब में अई और बैतेल के दरमियान घात लगाए बैठे थे वह तक़रीबन 5,000 मर्द थे।


वह लूज़ यानी बैतेल की तरफ़ बढ़कर शहर के जुनूब में पहाड़ी ढलान पर चलती चलती आगे निकल गई। वहाँ से वह अतारात-अद्दार और उस पहाड़ी तक पहुँची जो नशेबी बैत-हौरून के जुनूब में है।


हर साल वह बैतेल, जिलजाल और मिसफ़ाह का दौरा करता, क्योंकि इन तीन जगहों पर वह इसराईलियों के लिए कचहरी लगाया करता था।


आप आगे जाकर तबूर के बलूत के दरख़्त के पास पहुँचेंगे। वहाँ तीन आदमी आपसे मिलेंगे जो अल्लाह की इबादत करने के लिए बैतेल जा रहे होंगे। एक के पास तीन छोटी बकरियाँ, दूसरे के पास तीन रोटियाँ और तीसरे के पास मै की मशक होगी।


याक़ूब ने वहाँ क़ुरबानगाह बनाकर मक़ाम का नाम बैतेल यानी ‘अल्लाह का घर’ रखा। क्योंकि वहाँ अल्लाह ने अपने आपको उस पर ज़ाहिर किया था जब वह अपने भाई से फ़रार हो रहा था।


लूज़ यानी बैतेल से आगे निकलकर वह अरकियों के इलाक़े में अतारात पहुँची।


फिर इसराईल का पूरा लशकर बैतेल चला गया। वहाँ वह शाम तक रब के हुज़ूर रोते और रोज़ा रखते रहे। उन्होंने रब को भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ और सलामती की क़ुरबानियाँ पेश करके


रास्ते में इलियास इलीशा से कहने लगा, “यहीं ठहर जाएँ, क्योंकि रब ने मुझे बैतेल भेजा है।” लेकिन इलीशा ने इनकार किया, “रब और आपकी हयात की क़सम, मैं आपको नहीं छोड़ूँगा।” चुनाँचे दोनों चलते चलते बैतेल पहुँच गए।


अबियाह ने यरुबियाम का ताक़्क़ुब करते करते उससे तीन शहर गिर्दो-नवाह की आबादियों समेत छीन लिए, बैतेल, यसाना और इफ़रोन।


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