साऊल ने कहा, “ठीक है, चलें।” वह शहर की तरफ़ चल पड़े ताकि मर्दे-ख़ुदा से बात करें। जब पहाड़ी ढलान पर शहर की तरफ़ चढ़ रहे थे तो कुछ लड़कियाँ पानी भरने के लिए निकलीं। आदमियों ने उनसे पूछा, “क्या ग़ैबबीन शहर में है?” (पुराने ज़माने में नबी ग़ैबबीन कहलाता था। अगर कोई अल्लाह से कुछ मालूम करना चाहता तो कहता, “आओ, हम ग़ैबबीन के पास चलें।”)
क्योंकि अपने नज़राने पेश करने और अपने बच्चों को क़ुरबान करने से तुम अपने आपको अपने बुतों से आलूदा करते हो। ऐ इसराईली क़ौम, आज तक यही तुम्हारा रवैया है! तो फिर मैं क्या करूँ? क्या मुझे तुम्हें जवाब देना चाहिए जब तुम मुझसे कुछ दरियाफ़्त करने के लिए आते हो? हरगिज़ नहीं! मेरी हयात की क़सम, मैं तुम्हें जवाब में कुछ नहीं बताऊँगा। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।
तो दाऊद ने रब से दरियाफ़्त किया, “क्या मैं लुटेरों का ताक़्क़ुब करूँ? क्या मैं उनको जा लूँगा?” रब ने जवाब दिया, “उनका ताक़्क़ुब कर! तू न सिर्फ़ उन्हें जा लेगा बल्कि अपने लोगों को बचा भी लेगा।”
और यह पहली बार नहीं था कि मैंने उसके लिए अल्लाह से हिदायत माँगी। इस मामले में बादशाह मुझ और मेरे ख़ानदान पर इलज़ाम न लगाए। मैंने तो किसी साज़िश का ज़िक्र तक नहीं सुना।”