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پیدایش 23:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 उस ज़माने में हबरून का नाम क़िरियत-अरबा था, और वह मुल्के-कनान में था। इब्राहीम ने उसके पास आकर मातम किया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 اَبراہامؔ نے مُلکِ کنعانؔ کے قِریت اربعؔ (یعنی حِبرونؔ میں) وفات پائی، اَور اَبراہامؔ سارہؔ کے لیٔے ماتم اَور نوحہ کرنے کے لیٔے وہاں گئے۔

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کِتابِ مُقادّس

2 اور سارہؔ نے قریت اربعؔ میں وفات پائی۔ یہ کنعانؔ میں ہے اور حبرُونؔ بھی کہلاتا ہے اور ابرہامؔ سارہؔ کے لِئے ماتم اور نَوحہ کرنے کو وہاں گیا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

2 اُس زمانے میں حبرون کا نام قِریَت اربع تھا، اور وہ ملکِ کنعان میں تھا۔ ابراہیم نے اُس کے پاس آ کر ماتم کیا۔

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پیدایش 23:2
36 حوالہ جات  

फिर इब्राहीम ने अपनी बीवी सारा को मुल्के-कनान के उस ग़ार में दफ़न किया जो ममरे यानी हबरून के मशरिक़ में वाक़े मकफ़ीला के खेत में था।


अब्राम रवाना हुआ। चलते चलते उसने अपने डेरे हबरून के क़रीब ममरे के दरख़्तों के पास लगाए। वहाँ उसने रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई।


हबरून उन शहरों में शामिल था जिनमें हर वह पनाह ले सकता था जिसके हाथों ग़ैरइरादी तौर पर कोई हलाक हुआ हो। हबरून के अलावा हारून की औलाद को ज़ैल के मक़ाम उनकी चरागाहों समेत दिए गए : लिबना, यत्तीर, इस्तिमुअ,


उन्होंने हबरून शहर पर हमला किया जो पहले क़िरियत-अरबा कहलाता था। वहाँ उन्होंने सीसी, अख़ीमान और तलमी की फ़ौजों को शिकस्त दी।


कुछ ख़ुदातरस आदमियों ने स्तिफ़नुस को दफ़न करके रो रोकर उसका मातम किया।


ईसा रो पड़ा।


जो यहूदी घर में मरियम के साथ बैठे उसे तसल्ली दे रहे थे, जब उन्होंने देखा कि वह जल्दी से उठकर निकल गई है तो वह उसके पीछे हो लिए। क्योंकि वह समझ रहे थे कि वह मातम करने के लिए अपने भाई की क़ब्र पर जा रही है।


चुनाँचे रब यहूदाह के बादशाह यहूयक़ीम बिन यूसियाह के बारे में फ़रमाता है, “लोग उस पर मातम नहीं करेंगे कि ‘हाय मेरे भाई, हाय मेरी बहन,’ न वह रोकर कहेंगे, ‘हाय, मेरे आक़ा! हाय, उस की शान जाती रही है।’


इसलिए गिर्याओ-ज़ारी न करो कि यूसियाह बादशाह कूच कर गया है बल्कि उस पर मातम करो जिसे जिलावतन किया गया है, क्योंकि वह कभी वापस नहीं आएगा, कभी अपना वतन दुबारा नहीं देखेगा।


यरमियाह ने यूसियाह की याद में मातमी गीत लिखे, और आज तक गीत गानेवाले मर्दो-ख़वातीन यूसियाह की याद में मातमी गीत गाते हैं, यह पक्का दस्तूर बन गया है। यह गीत ‘नोहा की किताब’ में दर्ज हैं।


पहले साढ़े सात साल वह सिर्फ़ यहूदाह का बादशाह था और उसका दारुल-हुकूमत हबरून रहा। बाक़ी 33 साल वह यरूशलम में रहकर यहूदाह और इसराईल दोनों पर हुकूमत करता रहा।


जब इसराईल के तमाम बुज़ुर्ग हबरून पहुँचे तो दाऊद बादशाह ने रब के हुज़ूर उनके साथ अहद बाँधा, और उन्होंने उसे मसह करके इसराईल का बादशाह बना दिया।


दाऊद हबरून में यहूदाह पर साढ़े सात साल हुकूमत करता रहा।


फिर दाऊद ने साऊल और यूनतन पर मातम का गीत गाया।


शाम तक उन्होंने रो रोकर और रोज़ा रखकर साऊल, उसके बेटे यूनतन और रब के उन बाक़ी लोगों का मातम किया जो मारे गए थे।


उस वक़्त समुएल इंतक़ाल कर चुका था, और पूरे इसराईल ने उसका मातम करके उसे उसके आबाई शहर रामा में दफ़नाया था। उन दिनों में इसराईल में मुरदों से राबिता करनेवाले और ग़ैबदान नहीं थे, क्योंकि साऊल ने उन्हें पूरे मुल्क से निकाल दिया था।


जब तक यस्सी का बेटा ज़िंदा है तब तक न तू और न तेरी बादशाहत क़ायम रहेगी। अब जा, उसे ले आ, क्योंकि उसे मरना ही है।”


इसराईलियों ने पनाह के यह शहर चुन लिए : नफ़ताली के पहाड़ी इलाक़े में गलील का क़ादिस, इफ़राईम के पहाड़ी इलाक़े में सिकम और यहूदाह के पहाड़ी इलाक़े में क़िरियत-अरबा यानी हबरून।


उसने शहर, उसके बादशाह और इर्दगिर्द की आबादियों पर क़ब्ज़ा कर लिया। सबको नेस्त कर दिया गया, एक भी न बचा। यों दबीर के साथ वह कुछ हुआ जो पहले हबरून और लिबना उसके बादशाह समेत हुआ था।


इसराईलियों ने मोआब के मैदानी इलाक़े में 30 दिन तक उसका मातम किया।


जब पूरी जमात को मालूम हुआ कि हारून इंतक़ाल कर गया है तो सबने 30 दिन तक उसके लिए मातम किया।


वह दश्ते-नजब से गुज़रकर हबरून पहुँचे जहाँ अनाक़ के बेटे अख़ीमान, सीसी और तलमी रहते थे। (हबरून को मिसर के शहर ज़ुअन से सात साल पहले तामीर किया गया था)।


जब वह यरदन के क़रीब अतद के खलियान पर पहुँचे तो उन्होंने निहायत दिलसोज़ नोहा किया। वहाँ यूसुफ़ ने सात दिन तक अपने बाप का मातम किया।


बाप की बरकत के सबब से एसौ याक़ूब का दुश्मन बन गया। उसने दिल में कहा, “वह दिन क़रीब आ गए हैं कि अब्बू इंतक़ाल कर जाएंगे और हम उनका मातम करेंगे। फिर मैं अपने भाई को मार डालूँगा।”


सारा 127 साल की उम्र में हबरून में इंतक़ाल कर गई।


फिर इसहाक़ रिबक़ा को अपनी माँ सारा के डेरे में ले गया। उसने उससे शादी की, और वह उस की बीवी बन गई। इसहाक़ के दिल में उसके लिए बहुत मुहब्बत पैदा हुई। यों उसे अपनी माँ की मौत के बाद सुकून मिला।


फिर याक़ूब अपने बाप इसहाक़ के पास पहुँच गया जो हबरून के क़रीब ममरे में अजनबी की हैसियत से रहता था (उस वक़्त हबरून का नाम क़िरियत-अरबा था)। वहाँ इसहाक़ और उससे पहले इब्राहीम रहा करते थे।


याक़ूब ने कहा, “जाकर मालूम कर कि तेरे भाई और उनके साथ के रेवड़ ख़ैरियत से हैं कि नहीं। फिर वापस आकर मुझे बता देना।” चुनाँचे उसके बाप ने उसे वादीए-हबरून से भेज दिया, और यूसुफ़ सिकम पहुँच गया।


रब के हुक्म के मुताबिक़ यशुअ ने कालिब बिन यफ़ुन्ना को उसका हिस्सा यहूदाह में दे दिया। वहाँ उसे हबरून शहर मिल गया। उस वक़्त उसका नाम क़िरियत-अरबा था (अरबा अनाक़ का बाप था)।


हुमता, क़िरियत-अरबा यानी हबरून और सीऊर। इन शहरों की तादाद 9 थी। हर शहर के गिर्दो-नवाह की आबादियाँ उसमें गिनी जाती थीं।


पहला शहर अनाक़ियों के बाप का शहर क़िरियत-अरबा था जो यहूदाह के पहाड़ी इलाक़े में है और जिसका मौजूदा नाम हबरून है। उस की चरागाहें भी दी गईं,


यहूदाह के क़बीले के अफ़राद ज़ैल के शहरों में आबाद थे। क़िरियत-अरबा, दीबोन और क़बज़ियेल गिर्दो-नवाह की आबादियों समेत,


यूसुफ़ अपने बाप के चेहरे से लिपट गया। उसने रोते हुए उसे बोसा दिया।


उन दिनों में समुएल फ़ौत हुआ। तमाम इसराईल रामा में जनाज़े के लिए जमा हुआ। उसका मातम करते हुए उन्होंने उसे उस की ख़ानदानी क़ब्र में दफ़न किया। उन दिनों में दाऊद दश्ते-फ़ारान में चला गया।


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