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پیدایش 19:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 लेकिन लूत ने उन्हें बहुत मजबूर किया, और आख़िरकार वह उसके साथ उसके घर आए। उसने उनके लिए खाना पकाया और बेख़मीरी रोटी बनाई। फिर उन्होंने खाना खाया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 جَب اُس نے بہت ہی اِصرار کیا تو وہ اُس کے ساتھ گیٔے اَور اُس کے گھر میں داخل ہو گئے۔ اُس نے بے خمیری روٹی پکا کر اُن کے لیٔے کھانا تیّار کیا اَور اُنہُوں نے کھایا۔

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کِتابِ مُقادّس

3 لیکن جب وہ بُہت بجِد ہُؤا تو وہ اُس کے ساتھ چل کر اُس کے گھر میں آئے اور اُس نے اُن کے لِئے ضِیافت تیّار کی اور بے خمیِری روٹی پکائی اور اُنہوں نے کھایا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 لیکن لوط نے اُنہیں بہت مجبور کیا، اور آخرکار وہ اُس کے ساتھ اُس کے گھر آئے۔ اُس نے اُن کے لئے کھانا پکایا اور بےخمیری روٹی بنائی۔ پھر اُنہوں نے کھانا کھایا۔

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پیدایش 19:3
18 حوالہ جات  

जादूगरनी के पास मोटा-ताज़ा बछड़ा था। उसे उसने जल्दी से ज़बह करवाकर तैयार किया। उसने कुछ आटा भी लेकर गूँधा और उससे बेख़मीरी रोटी बनाई।


जिदौन चला गया। उसने बकरी का बच्चा ज़बह करके तैयार किया और पूरे 16 किलोग्राम मैदे से बेख़मीरी रोटी बनाई। फिर गोश्त को टोकरी में रखकर और उसका शोरबा अलग बरतन में डालकर वह सब कुछ रब के फ़रिश्ते के पास लाया और उसे बलूत के साये में पेश किया।


मेहमान-नवाज़ी मत भूलना, क्योंकि ऐसा करने से बाज़ ने नादानिस्ता तौर पर फ़रिश्तों की मेहमान-नवाज़ी की है।


इसलिए आइए हम पुराने ख़मीरी आटे यानी बुराई और बदी को दूर करके ताज़ा गुंधे हुए आटे यानी ख़ुलूस और सच्चाई की रोटियाँ बनाकर फ़सह की ईद मनाएँ।


रास्ते में उन्होंने उस बेख़मीरी आटे से रोटियाँ बनाईं जो वह साथ लेकर निकले थे। आटे में इसलिए ख़मीर नहीं था कि उन्हें इतनी जल्दी से मिसर से निकाल दिया गया था कि खाना तैयार करने का वक़्त ही न मिला था।


बात यह है कि मसीह की मुहब्बत हमें मजबूर कर देती है, क्योंकि हम इस नतीजे पर पहुँच गए हैं कि एक सबके लिए मुआ। इसका मतलब है कि सब ही मर गए हैं।


वहाँ उसके लिए एक ख़ास खाना बनाया गया। मर्था खानेवालों की ख़िदमत कर रही थी जबकि लाज़र ईसा और बाक़ी मेहमानों के साथ खाने में शरीक था।


मालिक ने उससे कहा, फिर शहर से निकलकर देहात की सड़कों पर और बाड़ों के पास जा। जो भी मिल जाए उसे हमारी ख़ुशी में शरीक होने पर मजबूर कर ताकि मेरा घर भर जाए।


लेकिन मैं तुमको यह बताता हूँ कि अगर वह दोस्ती की ख़ातिर न भी उठे, तो भी वह अपने दोस्त के बेजा इसरार की वजह से उस की तमाम ज़रूरत पूरी करेगा।


बाद में उसने अपने घर में ईसा की बड़ी ज़ियाफ़त की। बहुत-से टैक्स लेनेवाले और दीगर मेहमान इसमें शरीक हुए।


एक दिन इलीशा शूनीम गया। वहाँ एक अमीर औरत रहती थी जिसने ज़बरदस्ती उसे अपने घर बिठाकर खाना खिलाया। बाद में जब कभी इलीशा वहाँ से गुज़रता तो वह खाने के लिए उस औरत के घर ठहर जाता।


सात दिन तक बेख़मीरी रोटी खाना है। पहले दिन अपने घरों से तमाम ख़मीर निकाल देना। अगर कोई इन सात दिनों के दौरान ख़मीर खाए तो उसे क़ौम में से मिटाया जाए।


इसहाक़ बड़ा होता गया। जब उसका दूध छुड़ाया गया तो इब्राहीम ने उसके लिए बड़ी ज़ियाफ़त की।


उसने कहा, “साहबो, अपने बंदे के घर तशरीफ़ लाएँ ताकि अपने पाँव धोकर रात को ठहरें और फिर कल सुबह-सवेरे उठकर अपना सफ़र जारी रखें।” उन्होंने कहा, “कोई बात नहीं, हम चौक में रात गुज़ारेंगे।”


लाबन ने कहा, “रब के मुबारक बंदे, मेरे साथ आएँ। आप यहाँ शहर के बाहर क्यों खड़े हैं? मैंने अपने घर में आपके लिए सब कुछ तैयार किया है। आपके ऊँटों के लिए भी काफ़ी जगह है।”


इसहाक़ ने उनकी ज़ियाफ़त की, और उन्होंने खाया और पिया।


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