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پیدایش 18:27 - किताबे-मुक़द्दस

27 इब्राहीम ने कहा, “मैं मुआफ़ी चाहता हूँ कि मैंने रब से बात करने की जुर्रत की है अगरचे मैं ख़ाक और राख ही हूँ।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

27 تَب اَبراہامؔ نے پھر کہا: ”حالانکہ مَیں خاک اَور راکھ کے سِوا کچھ بھی نہیں ہُوں تو بھی مَیں نے اِتنی جُرأت کی کہ آقا سے بات کر سکوں۔

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کِتابِ مُقادّس

27 تب ابرہامؔ نے جواب دِیا اور کہا کہ دیکھئے! مَیں نے خُداوند سے بات کرنے کی جُرأت کی اگرچہ مَیں خاک اور راکھ ہُوں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

27 ابراہیم نے کہا، ”مَیں معافی چاہتا ہوں کہ مَیں نے رب سے بات کرنے کی جرأت کی ہے اگرچہ مَیں خاک اور راکھ ہی ہوں۔

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پیدایش 18:27
18 حوالہ جات  

मैं चिल्ला उठा, “मुझ पर अफ़सोस, मैं बरबाद हो गया हूँ! क्योंकि गो मेरे होंट नापाक हैं, और जिस क़ौम के दरमियान रहता हूँ उसके होंट भी नजिस हैं तो भी मैंने अपनी आँखों से बादशाह रब्बुल-अफ़वाज को देखा है।”


जब शमौन पतरस ने यह सब कुछ देखा तो उसने ईसा के सामने मुँह के बल गिरकर कहा, “ख़ुदावंद, मुझसे दूर चले जाएँ। मैं तो गुनाहगार हूँ।”


पसीना बहा बहाकर तुझे रोटी कमाने के लिए भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। और यह सिलसिला मौत तक जारी रहेगा। तू मेहनत करते करते दुबारा ज़मीन में लौट जाएगा, क्योंकि तू उसी से लिया गया है। तू ख़ाक है और दुबारा ख़ाक में मिल जाएगा।”


फिर ईसा ने उन्हें एक तमसील सुनाई जो मुसलसल दुआ करने और हिम्मत न हारने की ज़रूरत को ज़ाहिर करती है।


ऐ रब, ताहम तू ही हमारा बाप, हमारा कुम्हार है। हम सब मिट्टी ही हैं जिसे तेरे हाथ ने तश्कील दिया है।


तब तेरी ख़ाक दुबारा उस ख़ाक में मिल जाएगी जिससे निकल आई और तेरी रूह उस ख़ुदा के पास लौट जाएगी जिसने उसे बख़्शा था।


उसने मुझे कीचड़ में फेंक दिया है, और देखने में मैं ख़ाक और मिट्टी ही बन गया हूँ।


तो फिर वह इनसान पर क्यों भरोसा रखे जो मिट्टी के घर में रहता, ऐसे मकान में जिसकी बुनियाद ख़ाक पर ही रखी गई है। उसे पतंगे की तरह कुचला जाता है।


फिर रब ख़ुदा ने ज़मीन से मिट्टी लेकर इनसान को तश्कील दिया और उसके नथनों में ज़िंदगी का दम फूँका तो वह जीती जान हुआ।


ऐ रब, इनसान कौन है कि तू उसका ख़याल रखे? आदमज़ाद कौन है कि तू उसका लिहाज़ करे?


तो इनसान कौन है कि तू उसे याद करे या आदमज़ाद कि तू उसका ख़याल रखे?


“ऐ मेरे ख़ुदा, मैं निहायत शरमिंदा हूँ। अपना मुँह तेरी तरफ़ उठाने की मुझमें जुर्रत नहीं रही। क्योंकि हमारे गुनाहों का इतना बड़ा ढेर लग गया है कि वह हमसे ऊँचा है, बल्कि हमारा क़ुसूर आसमान तक पहुँच गया है।


लेकिन हो सकता है कि सिर्फ़ 45 रास्तबाज़ उसमें हों। क्या तू फिर भी उन पाँच लोगों की कमी के सबब से पूरे शहर को तबाह करेगा?” उसने कहा, “अगर मुझे 45 भी मिल जाएँ तो उसे बरबाद नहीं करूँगा।”


लेकिन मूसा ने कहा, “ऐ रब, तू अपनी क़ौम पर अपना ग़ुस्सा क्यों उतारना चाहता है? तू ख़ुद अपनी अज़ीम क़ुदरत से उसे मिसर से निकाल लाया है।


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