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پیدایش 16:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 चुनाँचे सारय ने अपनी मिसरी लौंडी हाजिरा को अपने शौहर अब्राम को दे दिया ताकि वह उस की बीवी बन जाए उस वक़्त अब्राम को कनान में बसते हुए दस साल हो गए थे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 اَبرامؔ کو مُلکِ کنعانؔ میں رہتے ہویٔے دس بَرس گزر چُکے تھے۔ تَب اَبرامؔ کی بیوی سارَیؔ نے اَپنی مِصری لونڈی ہاگارؔ کو اَپنے خَاوند کے سُپرد کر دیا تاکہ وہ اَبرامؔ کی بیوی بنے۔

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کِتابِ مُقادّس

3 اور ابرامؔ کو مُلکِ کنعانؔ میں رہتے دس برس ہو گئے تھے جب اُس کی بِیوی سارَؔی نے اپنی مِصری لَونڈی اُسے دی کہ اُس کی بِیوی بنے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 چنانچہ سارئی نے اپنی مصری لونڈی ہاجرہ کو اپنے شوہر ابرام کو دے دیا تاکہ وہ اُس کی بیوی بن جائے۔ اُس وقت ابرام کو کنعان میں بستے ہوئے دس سال ہو گئے تھے۔

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پیدایش 16:3
15 حوالہ جات  

तब सारय ने अब्राम से कहा, “जो ज़ुल्म मुझ पर किया जा रहा है वह आप ही पर आए। मैंने ख़ुद इसे आपके बाज़ुओं में दे दिया था। अब जब इसे मालूम हुआ है कि उम्मीद से है तो मुझे हक़ीर जानने लगी है। रब मेरे और आपके दरमियान फ़ैसला करे।”


हाजिरा जो अरब में वाक़े पहाड़ सीना की अलामत है मौजूदा शहर यरूशलम से मुताबिक़त रखती है। वह और उसके तमाम बच्चे ग़ुलामी में ज़िंदगी गुज़ारते हैं।


उस की शाही ख़ानदानों से ताल्लुक़ रखनेवाली 700 बीवियाँ और 300 दाश्ताएँ थीं। इन औरतों ने आख़िरकार उसका दिल रब से दूर कर दिया।


हबरून से यरूशलम में मुंतक़िल होने के बाद दाऊद ने मज़ीद बीवियों और दाश्ताओं से शादी की। नतीजे में यरूशलम में उसके कई बेटे-बेटियाँ पैदा हुए।


जब वह वहाँ ठहरे थे तो रूबिन याक़ूब की हरम बिलहाह से हमबिसतर हुआ। याक़ूब को मालूम हो गया। याक़ूब के बारह बेटे थे।


उस रात वह उठा और अपनी दो बीवियों, दो लौंडियों और ग्यारह बेटों को लेकर दरियाए-यब्बोक़ को वहाँ से पार किया जहाँ कम गहराई थी।


जब लियाह ने देखा कि मेरे और बच्चे पैदा नहीं हो रहे तो उसने याक़ूब को अपनी लौंडी ज़िलफ़ा दे दी ताकि वह भी उस की बीवी हो।


यों उसने अपने शौहर को बिलहाह दी, और वह उससे हमबिसतर हुआ।


इसलिए वह इब्राहीम के बेटे इसमाईल के पास गया और उस की बेटी महलत से शादी की। वह नबायोत की बहन थी। यों उस की बीवियों में इज़ाफ़ा हुआ।


अपनी मौत से पहले उसने अपनी दूसरी बीवियों के बेटों को तोह्फ़े देकर अपने बेटे से दूर मशरिक़ की तरफ़ भेज दिया।


अब्राम हाजिरा से हमबिसतर हुआ तो वह उम्मीद से हो गई। जब हाजिरा को यह मालूम हुआ तो वह अपनी मालिकन को हक़ीर जानने लगी।


उस वक़्त अब्राम 86 साल का था।


जब वह फ़ारान के रेगिस्तान में रहता था तो उस की माँ ने उसे एक मिसरी औरत से ब्याह दिया।


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